यह अनुवाद कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से किया गया है। इसके अलावा, यह डॉ. मुस्तफा खत्ताब के "स्पष्ट कुरआन" पर आधारित है।

Ibrâhîm (सूरह 14)
إِبْرَاهِيم (Abraham)
परिचय
यह मक्की सूरह पैगंबर इब्राहीम (ﷺ) के नाम पर रखी गई है, जिन्होंने अपनी पत्नी हाजरा और अपने बेटे इस्माईल को उस स्थान पर बसाया जो बाद में मक्का शहर बना, और अल्लाह से दुआ की कि वह उनकी संतानों को मूर्ति-पूजा से बचाए। यह एक ऐसी प्रथा थी जिसमें मक्कावासी इस वह्य के अवतरण के समय गहराई से लिप्त थे (आयतों 35-41)। सूरह में अल्लाह की कुछ नेमतों का भी ज़िक्र है, जिनका सामना नाशुक्री और इनकार से किया गया। एक बड़ा भाग यह उजागर करता है कि काफ़िरों को शैतान द्वारा धोखा दिया जाएगा और जहन्नम में यातना दी जाएगी, यह इच्छा करते हुए कि काश वे ईमान लाए होते, जैसा कि अगली सूरह (15:2) में है। अल्लाह के नाम से जो अत्यंत कृपाशील, दयावान है