The Clear Proof
البَيِّنَة
البينة

सीखने के बिंदु
पैगंबर कोई नया संदेश लेकर नहीं आए थे। सभी पैगंबरों ने अपने लोगों से एक ही बात करने को कहा: अल्लाह पर ईमान लाओ और नेक अमल करो।
जब पैगंबर हक़ लेकर आए, तो कुछ लोगों ने उन पर ईमान लाए, लेकिन बहुतों ने अपना कुफ्र जारी रखा।
जो कुफ्र करते हैं, उन्हें जहन्नम में हमेशा के लिए एक भयानक ठिकाने की चेतावनी दी जाती है, और जो ईमान लाते हैं, उन्हें जन्नत में हमेशा के लिए एक बेहतरीन ठिकाने का वादा किया जाता है।
उबई इब्न काब एक महान सहाबी थे जो पैगंबर के लिए कुरान लिखते थे। एक दिन, पैगंबर ने उनसे कहा, "अल्लाह ने मुझे तुम्हें सूरह अल-बय्यिनाह सुनाने का हुक्म दिया है।" उबई ने हैरत से पूछा, "क्या अल्लाह ने मेरा नाम लेकर ज़िक्र किया?" जब पैगंबर ने हाँ कहा, तो उबई खुशी से रोने लगे। {इमाम अल-बुखारी और इमाम मुस्लिम द्वारा दर्ज}


ज्ञान की बातें
पैगंबर ﷺ ने फरमाया कि अल्लाह ने आदम अलैहिस्सलाम से लेकर मुहम्मद ﷺ तक कुल 124,000 नबी/रसूल भेजे। (इसे इमाम अहमद और इमाम इब्न हिब्बान ने दर्ज किया है।) कुरान (35:24) कहता है कि हर समुदाय को उनके इतिहास में किसी न किसी मोड़ पर कम से कम एक नबी मिला। हालांकि ये नबी अलग-अलग शरीयत (कानूनों) के साथ आए, उनका संदेश हमेशा एक ही था: अल्लाह की इबादत करो और एक अच्छे इंसान बनो। कोई पूछ सकता है, "अगर अल्लाह ने ये सभी नबी/रसूल भेजे, तो कुरान में उनमें से केवल 25 का ही उल्लेख क्यों है?" हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि कुरान कोई इतिहास की किताब नहीं है। सभी नबी लोगों को यह सिखाने आए कि अल्लाह की इबादत कैसे करें और सम्मान के साथ कैसे जिएं। हमें जीवन का एक पूर्ण तरीका देने के लिए, अल्लाह ने कुरान में इन नबियों के उदाहरण प्रस्तुत किए हैं, ताकि उनमें से हर एक हमें जीवन के एक अलग पहलू के बारे में सिखाए। उदाहरण के लिए, उनमें से कुछ को राजनीतिक मुद्दों से निपटना पड़ा, जैसे मूसा अलैहिस्सलाम को। कुछ को पारिवारिक मुद्दों से निपटना पड़ा, जैसे यूसुफ अलैहिस्सलाम को। कुछ को व्यापारिक मुद्दों से निपटना पड़ा, जैसे शुऐब अलैहिस्सलाम को। और इसी तरह। अंतिम पैगंबर के रूप में, मुहम्मद ﷺ ने हमें सार्वभौमिक शिक्षाएं दीं जो जीवन के सभी पहलुओं को कवर करती हैं, इसलिए अब और नबियों की आवश्यकता नहीं है।
निम्नलिखित अंश के अनुसार, अल्लाह लोगों से बस यही चाहता है कि वे उसके प्रति सच्चे (ईमानदार) रहें। पैगंबर ﷺ की पत्नी खदीजा रज़ियल्लाहु अन्हा का निधन सहाबा (साथियों) को कुछ इबादतें (पूजा के कार्य) करने की आवश्यकता होने से पहले ही हो गया था। इसलिए, उन्होंने कोई रमज़ान का रोज़ा नहीं रखा, न ही दिन में 5 बार नमाज़ पढ़ी और न ही हज किया। लेकिन पैगंबर ﷺ को अल्लाह से खुशखबरी मिली कि उन्हें उनकी सच्चाई (ईमानदारी) के लिए जन्नत में एक शानदार महल मिलेगा। (इसे इमाम अल-बुखारी ने दर्ज किया है।)

छोटी कहानी
नए इमाम ने देखा कि रमज़ान के चौथे दिन के बाद ज़्यादा लोग नमाज़ के लिए नहीं आ रहे थे। इसलिए उन्होंने जुमा को एक घोषणा की, जिसमें कहा गया कि जो लोग रोज़ाना मस्जिद में नमाज़ अदा करेंगे उन्हें महीने के अंत तक बड़ा सवाब मिलेगा। तो बहुत से लोग यह सोचकर आने लगे कि इमाम उन्हें रमज़ान के अंत में पैसे देंगे। ईद के दिन, हर कोई अपना इनाम लेने के लिए एक ट्रक के साथ आया, लेकिन वे निराश हुए जब इमाम ने कहा कि उनका मतलब जन्नत में अल्लाह का सवाब था। उनमें से कुछ ने मस्जिद से निकलते हुए चिल्लाया, "हमें पता था कि तुम हमें धोखा दे रहे हो, लेकिन हमारे पास तुम्हारे लिए एक बुरी खबर है: हम हमेशा वुज़ू के बिना नमाज़ पढ़ने आते थे! अब कौन हँस रहा है?" क्या आपको लगता है कि ये लोग नमाज़ के लिए सच्चे दिल से आए थे या वे सिर्फ पैसे के लिए आए थे?
नबी वाज़ेह दलील हैं।
1अहले किताब में से काफ़िर और मुशरिक अपने कुफ्र से बाज़ आने वाले नहीं थे जब तक उनके पास खुली दलील न आ जाए। 2अल्लाह की ओर से एक रसूल, पाक सहिफ़े पढ़ता हुआ, और 3सही तालीम के साथ। 4अहले किताब उनकी पैग़म्बरी के बारे में मतभेद में नहीं पड़े जब तक उनके पास खुली दलील न आ जाए। 5जबकि उन्हें बस यही हुक्म दिया गया था कि वे अकेले अल्लाह की इबादत करें, उसके लिए दीन को खालिस करते हुए—नमाज़ क़ायम करें, और ज़कात अदा करें। यही सीधा दीन है।
لَمۡ يَكُنِ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ مِنۡ أَهۡلِ ٱلۡكِتَٰبِ وَٱلۡمُشۡرِكِينَ مُنفَكِّينَ حَتَّىٰ تَأۡتِيَهُمُ ٱلۡبَيِّنَةُ 1رَسُولٞ مِّنَ ٱللَّهِ يَتۡلُواْ صُحُفٗا مُّطَهَّرَةٗ 2فِيهَا كُتُبٞ قَيِّمَةٞ 3وَمَا تَفَرَّقَ ٱلَّذِينَ أُوتُواْ ٱلۡكِتَٰبَ إِلَّا مِنۢ بَعۡدِ مَا جَآءَتۡهُمُ ٱلۡبَيِّنَةُ 4وَمَآ أُمِرُوٓاْ إِلَّا لِيَعۡبُدُواْ ٱللَّهَ مُخۡلِصِينَ لَهُ ٱلدِّينَ حُنَفَآءَ وَيُقِيمُواْ ٱلصَّلَوٰةَ وَيُؤۡتُواْ ٱلزَّكَوٰةَۚ وَذَٰلِكَ دِينُ ٱلۡقَيِّمَةِ5
आयत 5: जब उन्होंने उनकी नुबुव्वत के सबूत देखे, तो उनमें से कुछ उन पर ईमान लाए और कुछ ने उन्हें झुठलाया।
इनकार करने वालों की सज़ा
6निश्चित रूप से अहले किताब और मुशरिकों में से जिन्होंने कुफ्र किया, वे जहन्नम की आग में होंगे, उसमें सदा रहेंगे। वे सब सृष्टियों में सबसे बुरे हैं।
إِنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ مِنۡ أَهۡلِ ٱلۡكِتَٰبِ وَٱلۡمُشۡرِكِينَ فِي نَارِ جَهَنَّمَ خَٰلِدِينَ فِيهَآۚ أُوْلَٰٓئِكَ هُمۡ شَرُّ ٱلۡبَرِيَّةِ6
मोमिनों का सवाब
7बेशक जो लोग ईमान लाए और नेक अमल किए, वे ही सब सृष्टियों में श्रेष्ठ हैं। 8उनका प्रतिफल उनके रब के पास हमेशा रहने वाले बाग़ होंगे, जिनके नीचे नहरें बहती होंगी, उनमें सदा-सदा के लिए रहने को। अल्लाह उनसे राज़ी है और वे उससे राज़ी हैं। यह केवल उनके लिए है जो अपने रब का सम्मान करते हैं।
إِنَّ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّٰلِحَٰتِ أُوْلَٰٓئِكَ هُمۡ خَيۡرُ ٱلۡبَرِيَّةِ 7جَزَآؤُهُمۡ عِندَ رَبِّهِمۡ جَنَّٰتُ عَدۡنٖ تَجۡرِي مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَٰرُ خَٰلِدِينَ فِيهَآ أَبَدٗاۖ رَّضِيَ ٱللَّهُ عَنۡهُمۡ وَرَضُواْ عَنۡهُۚ ذَٰلِكَ لِمَنۡ خَشِيَ رَبَّهُۥ8