The Night
اللَّيْل
الليل

सीखने के बिंदु
अल्लाह ने लोगों को चुनने की आज़ादी दी है।
कुछ लोग अल्लाह के साथ अच्छा संबंध बनाए रखना और साथी मनुष्यों की परवाह करना चुनते हैं, और कुछ लोग अल्लाह का इनकार करना और दूसरों की परवाह न करना चुनते हैं।
लोग जो कुछ भी करना चुनते हैं, अल्लाह उनके लिए उसे आसान बना देता है।
प्रत्येक व्यक्ति को इस दुनिया में अपने चुनावों के आधार पर अगले जीवन में पुरस्कृत या दंडित किया जाएगा।


पृष्ठभूमि की कहानी
बिलाल इब्न रबाह एक मुस्लिम गुलाम थे और उनके मालिक उमय्या इब्न खलफ थे, जो मक्का के एक दुष्ट मूर्तिपूजक थे। उमय्या बिलाल को इस्लाम छोड़ने के लिए मजबूर करने के लिए यातना देता था, लेकिन बिलाल हमेशा मना कर देते थे। एक दिन, पैगंबर के साथी अबू बक्र, बिलाल के पास से गुजरे जब उन्हें उनकी छाती पर एक बड़ी चट्टान रखकर यातना दी जा रही थी, और उन्हें बिलाल के लिए बहुत अफ़सोस हुआ। वह बिलाल के मालिक के पास गए और उनकी आज़ादी के लिए भुगतान किया। कुछ मूर्तिपूजकों ने कहना शुरू कर दिया कि अबू बक्र ने उन्हें इसलिए आज़ाद किया क्योंकि बिलाल ने अतीत में उन पर कोई एहसान किया था। लेकिन यह सूरह इसलिए अवतरित हुई ताकि सभी को पता चले कि अबू बक्र ने यह केवल अल्लाह की खातिर किया था, और वह उस प्रतिफल से बहुत संतुष्ट होंगे जो अल्लाह उन्हें जन्नत में देगा। उमय्या जैसे दुष्ट लोगों को आग (जहन्नम) में एक भयानक सज़ा की चेतावनी दी गई है। {इमाम अल-कुर्तुबी द्वारा दर्ज}
मोमिन और काफ़िर
1रात की क़सम, जब वह छा जाती है, 2और दिन की क़सम, जब वह चमक उठता है! 3और उसकी क़सम जिसने नर और मादा को पैदा किया! 4यक़ीनन तुम्हारी कोशिशें भिन्न-भिन्न हैं। 5तो जिसने (माल) दिया और (अल्लाह से) डरता रहा, 6और महानतम प्रतिफल पर पूर्ण विश्वास करता है, 7हम उसके लिए आसानी का मार्ग प्रशस्त कर देंगे। 8और जिसने कंजूसी की, और अपने आप को बेपरवाह समझा, 9और महानतम प्रतिफल को पूर्णतः नकारता है, 10हम उसके लिए कठिनाई का मार्ग प्रशस्त कर देंगे। 11और उसका माल उसे काम नहीं आएगा जब वह जहन्नम में गिरेगा।
وَٱلَّيۡلِ إِذَا يَغۡشَىٰ 1وَٱلنَّهَارِ إِذَا تَجَلَّىٰ 2وَمَا خَلَقَ ٱلذَّكَرَ وَٱلۡأُنثَىٰٓ 3إِنَّ سَعۡيَكُمۡ لَشَتَّىٰ 4فَأَمَّا مَنۡ أَعۡطَىٰ وَٱتَّقَىٰ 5وَصَدَّقَ بِٱلۡحُسۡنَىٰ 6فَسَنُيَسِّرُهُۥ لِلۡيُسۡرَىٰ 7وَأَمَّا مَنۢ بَخِلَ وَٱسۡتَغۡنَىٰ 8وَكَذَّبَ بِٱلۡحُسۡنَىٰ 9فَسَنُيَسِّرُهُۥ لِلۡعُسۡرَىٰ 10وَمَا يُغۡنِي عَنۡهُ مَالُهُۥٓ إِذَا تَرَدَّىٰٓ11
सवाब और अज़ाब
12और निश्चय ही हम पर है राह दिखाना। 13और निश्चय ही यह दुनिया और आख़िरत हमारे ही हैं। 14और मैंने तुम्हें दहकती हुई आग से डराया है, 15जिसमें बदबख़्त के सिवा कोई नहीं जलेगा— 16जो झुठलाता है और मुँह मोड़ता है। 17लेकिन ईमान वाले उससे सुरक्षित रहेंगे। 18जो अपने माल का कुछ हिस्सा खुद को पवित्र करने के लिए दान करता है, 19किसी के एहसान के बदले में नहीं, 20केवल अपने सर्वोच्च रब को राज़ी करने के लिए। 21यकीनन वह संतुष्ट होगा।
إِنَّ عَلَيۡنَا لَلۡهُدَىٰ 12وَإِنَّ لَنَا لَلۡأٓخِرَةَ وَٱلۡأُولَىٰ 13فَأَنذَرۡتُكُمۡ نَارٗا تَلَظَّىٰ 14لَا يَصۡلَىٰهَآ إِلَّا ٱلۡأَشۡقَى 15ٱلَّذِي كَذَّبَ وَتَوَلَّىٰ 16وَسَيُجَنَّبُهَا ٱلۡأَتۡقَى 17ٱلَّذِي يُؤۡتِي مَالَهُۥ يَتَزَكَّىٰ 18وَمَا لِأَحَدٍ عِندَهُۥ مِن نِّعۡمَةٖ تُجۡزَىٰٓ 19إِلَّا ٱبۡتِغَآءَ وَجۡهِ رَبِّهِ ٱلۡأَعۡلَىٰ 20وَلَسَوۡفَ يَرۡضَىٰ21