Surah 89
Volume 1

Dawn

الفَجْر

الفجر

LEARNING POINTS

सीखने के बिंदु

अल्लाह को अपनी किसी भी रचना की कसम खाने का अधिकार है, जैसे सूरज, चाँद या तारे। मुसलमान केवल अल्लाह की कसम खा सकते हैं।

मूर्ति पूजक सज़ा से सुरक्षित नहीं हैं, ठीक वैसे ही जैसे वे अधिक शक्तिशाली लोग जो पहले नष्ट कर दिए गए थे।

अल्लाह लोगों को गरीबी और अमीरी से आज़माता है। जो लोग अल्लाह पर ईमान रखते हैं वे हमेशा शुक्रगुज़ार रहते हैं, लेकिन इनकार करने वाले या तो घमंड करते हैं या शिकायत करते रहते हैं।

जो लोग इस दुनिया में बुराई करते हैं, उन्हें क़यामत के दिन पछतावा होगा, और जो लोग अच्छा करते हैं उन्हें जन्नत में सम्मानित किया जाएगा।

अल्लाह की शक्ति

1क़सम है भोर की, 2और दस रातों की, 3और जुफ़्त और ताक़ की, 4और रात की जब वह गुज़र जाए! 5क्या इसमें अक़्ल वालों के लिए कोई क़सम नहीं है? 6क्या आपने नहीं देखा कि आपके रब ने आद के साथ क्या किया— 7इरम के लोग—अपनी ऊँची इमारतों वाले, 8जिनकी मिसाल किसी भी दूसरे शहर में नहीं थी; 9और समूद, जिन्होंने पत्थरों की घाटी में चट्टानों को काटकर अपने घर बनाए; 10और महान पिरामिडों वाला फ़िरऔन? 11उन सबने ज़मीन में बहुत फ़साद फैलाया, 12और वहाँ बहुत फ़साद फैलाया। 13तो आपके रब ने उन पर अज़ाब का कोड़ा बरसाया। 14आपका रब यक़ीनन निगरानी कर रहा है।

وَٱلۡفَجۡرِ 1وَلَيَالٍ عَشۡرٖ 2وَٱلشَّفۡعِ وَٱلۡوَتۡرِ 3وَٱلَّيۡلِ إِذَا يَسۡرِ 4هَلۡ فِي ذَٰلِكَ قَسَمٞ لِّذِي حِجۡرٍ 5أَلَمۡ تَرَ كَيۡفَ فَعَلَ رَبُّكَ بِعَادٍ 6إِرَمَ ذَاتِ ٱلۡعِمَادِ 7ٱلَّتِي لَمۡ يُخۡلَقۡ مِثۡلُهَا فِي ٱلۡبِلَٰدِ 8وَثَمُودَ ٱلَّذِينَ جَابُواْ ٱلصَّخۡرَ بِٱلۡوَادِ 9وَفِرۡعَوۡنَ ذِي ٱلۡأَوۡتَادِ 10ٱلَّذِينَ طَغَوۡاْ فِي ٱلۡبِلَٰدِ 11فَأَكۡثَرُواْ فِيهَا ٱلۡفَسَادَ 12فَصَبَّ عَلَيۡهِمۡ رَبُّكَ سَوۡطَ عَذَابٍ 13إِنَّ رَبَّكَ لَبِٱلۡمِرۡصَادِ14

आयत 12: ज़ुल-हिज्जा के महीने के पहले दस दिन और रातें, जब हज्ज किया जाता है।

आयत 14: विषम संख्याओं में 1, 3, 5, आदि शामिल हैं, और सम संख्याओं में 2, 4, 6, आदि शामिल हैं। अल्लाह ने इस दुनिया में जो कुछ भी बनाया है, वह संख्या में या तो विषम है या सम।

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SIDE STORY

छोटी कहानी

एक दिन, एक राजा ने अपने सलाहकार से पूछा, "मैं अपने सेवक को हर समय खुश क्यों देखता हूँ?" सलाहकार ने कहा, "चलो उसे 99 के नियम से परखते हैं।" राजा ने पूछा कि वह क्या था, और सलाहकार ने कहा, "आज रात, मैं एक थैले में 99 दीनार (सोने के सिक्के) डालूँगा, थैले पर 100 दीनार लिखूँगा, उसे उसके घर के सामने रखूँगा, और देखूँगा कि वह कैसी प्रतिक्रिया देगा।" राजा मान गया। सुबह, सेवक बहुत नींद में और चिड़चिड़ा था। राजा ने उससे पूछा, "क्या हुआ?" उसने कहा, "कल रात, मुझे अपने घर के सामने एक थैला मिला। थैले में 100 दीनार होने चाहिए थे। लेकिन जब मेरी पत्नी और मैंने पैसे गिने, तो एक दीनार गायब था। हम दो घंटे तक गिनते रहे। हमने घर के बाहर खोजा। हमने सोचा कि हमारे पड़ोसी ने वह दीनार ले लिया होगा। मैंने उसे सुबह 3:00 बजे जगाया, और मैंने पूछा कि क्या उसने मेरा दीनार चुराया था। उसने मुझसे वापस सोने और सुबह सबसे पहले अपने डॉक्टर को दिखाने के लिए कहा। फिर मैंने अपनी पत्नी से कहा, 'शायद तुमने इसे चुराया है।' उसने कहा, 'नहीं, तुम्हें थैला मिला था। तुम ही चोर होगे।' मैंने कहा, 'नहीं, मैं नहीं हूँ। शायद बच्चों ने किया होगा।' हम पूरी रात पैसे गिनते रहे, उस दीनार की तलाश करते रहे, और एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे।" सलाहकार ने राजा से कहा, "वह एक गायब दीनार के कारण 99 दीनार का आनंद नहीं ले सका। निम्नलिखित अंश के अनुसार, कुछ लोग अल्लाह का उसकी नेमतों के लिए शुक्रिया अदा नहीं करते क्योंकि वे सोचते हैं कि यह तो उन्हें वैसे भी मिलना ही था। लेकिन अगर अल्लाह उन्हें वह नहीं देता जो वे सोचते हैं कि उन्हें मिलना चाहिए, तो वे शिकायत करते रहते हैं और उनके पास जो कुछ है उसकी कद्र करने में विफल रहते हैं।"

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झुठलाने वालों के लिए बुरी खबर

15जब इंसान को उसका रब अपनी उदारता और नेमतों से आज़माता है, तो वह कहता है, "मेरे रब ने मुझे इज़्ज़त बख्शी है (जो मेरा हक़ था)!" 16लेकिन जब वह उन्हें उनकी आजीविका सीमित करके आज़माता है, तो वे कहते हैं, "मेरे रब ने मुझे ज़लील किया है (बेवजह)!" 17हरगिज़ नहीं! बल्कि तुम यतीम पर मेहरबान भी नहीं होते, 18और तुम एक-दूसरे को मिस्कीनों को खाना खिलाने पर प्रोत्साहित नहीं करते। 19और तुम दूसरों की मीरास को लालच से हड़प लेते हो। 20और माल से बहुत ज़्यादा मोहब्बत करते हो। 21हरगिज़ नहीं! जब ज़मीन को चूर-चूर कर दिया जाएगा, 22और तुम्हारा रब फ़रिश्तों के साथ, सफ़ दर सफ़, तशरीफ़ लाएगा, 23और उस दिन जहन्नम पेश की जाएगी—उसी दिन हर गुनाहगार अपने हर गुनाह को याद करेगा। मगर उस वक़्त याद करने का क्या फ़ायदा? 24वे कहेंगे, "हाय अफ़सोस! काश मैंने अपनी इस (असली) ज़िंदगी के लिए कुछ नेक अमल आगे भेजा होता।" 25उस दिन, वह उन्हें ऐसी सख़्त सज़ा देगा, जैसी किसी को नहीं। 26और उन्हें ऐसी सख़्ती से जकड़ेगा, जैसी किसी को नहीं।

فَأَمَّا ٱلۡإِنسَٰنُ إِذَا مَا ٱبۡتَلَىٰهُ رَبُّهُۥ فَأَكۡرَمَهُۥ وَنَعَّمَهُۥ فَيَقُولُ رَبِّيٓ أَكۡرَمَنِ 15وَأَمَّآ إِذَا مَا ٱبۡتَلَىٰهُ فَقَدَرَ عَلَيۡهِ رِزۡقَهُۥ فَيَقُولُ رَبِّيٓ أَهَٰنَنِ 16كَلَّاۖ بَل لَّا تُكۡرِمُونَ ٱلۡيَتِيمَ 17وَلَا تَحَٰٓضُّونَ عَلَىٰ طَعَامِ ٱلۡمِسۡكِينِ 18وَتَأۡكُلُونَ ٱلتُّرَاثَ أَكۡلٗا لَّمّٗا 19وَتُحِبُّونَ ٱلۡمَالَ حُبّٗا جَمّٗا 20كَلَّآۖ إِذَا دُكَّتِ ٱلۡأَرۡضُ دَكّٗا دَكّٗا 21وَجَآءَ رَبُّكَ وَٱلۡمَلَكُ صَفّٗا صَفّٗا 22وَجِاْيٓءَ يَوۡمَئِذِۢ بِجَهَنَّمَۚ يَوۡمَئِذٖ يَتَذَكَّرُ ٱلۡإِنسَٰنُ وَأَنَّىٰ لَهُ ٱلذِّكۡرَىٰ 23يَقُولُ يَٰلَيۡتَنِي قَدَّمۡتُ لِحَيَاتِي 24فَيَوۡمَئِذٖ لَّا يُعَذِّبُ عَذَابَهُۥٓ أَحَدٞ 25وَلَا يُوثِقُ وَثَاقَهُۥٓ أَحَدٞ26

मोमिनों के लिए खुशखबरी

27अल्लाह ईमान वालों से कहेंगे, "ऐ इत्मीनान वाली रूह! 28अपने रब की तरफ लौट आ, उससे राज़ी और वो तुझसे राज़ी। 29तो मेरे बंदों में दाखिल हो जा, 30और मेरी जन्नत में दाखिल हो जा।"

ٰٓأَيَّتُهَا ٱلنَّفۡسُ ٱلۡمُطۡمَئِنَّةُ 27ٱرۡجِعِيٓ إِلَىٰ رَبِّكِ رَاضِيَةٗ مَّرۡضِيَّةٗ 28فَٱدۡخُلِي فِي عِبَٰدِي 29وَٱدۡخُلِي جَنَّتِي30

Al-Fajr () - बच्चों के लिए कुरान - अध्याय 89 - स्पष्ट कुरान डॉ. मुस्तफा खत्ताब द्वारा