Putting out ˹the Sun˺
التَّكْوِير
التَّکْوِیر

सीखने के बिंदु
यह सूरह क़यामत के दिन की कुछ भयावहताओं के बारे में बात करती है।
हर किसी को उनके कर्मों के अनुसार इनाम दिया जाएगा या सज़ा दी जाएगी।
अल्लाह क़सम खाता है कि क़ुरआन उसका कलाम है और मुहम्मद उसका नबी है।
नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया, "जो कोई वाकई जानना चाहता है कि क़यामत का दिन कैसा होगा, उसे सूरह अत-तकवीर (81), सूरह अल-इन्फ़ितार (82), और सूरह अल-इन्शिकाक़ (84) पढ़नी चाहिए।" {इसे इमाम अत-तिर्मिज़ी और इमाम अहमद ने रिवायत किया है।}

क़यामत के दिन की भयावहता
1जब सूरज बुझा दिया जाएगा, 2और जब तारे गिर पड़ेंगे, 3और जब पहाड़ उड़ा दिए जाएँगे, 4और जब गाभिन ऊँटनियाँ बेपरवाह छोड़ दी जाएँगी, 5और जब वहशी जानवर इकट्ठे किए जाएँगे, 6और जब समुद्र दहकाए जाएँगे, 7और जब आत्माएँ (शरीरों से) जोड़ी जाएँगी, 8और जब जीवित दफ़नाई गई शिशु कन्याओं से पूछा जाएगा, 9कि उन्हें किस अपराध के लिए मार डाला गया था, 10और जब कर्मों के लेखे खोले जाएँगे, 11और जब आसमान फट जाएगा, 12और जब जहन्नम दहका दी जाएगी, 13और जब जन्नत करीब लाई जाएगी— 14उस दिन हर जान जान लेगी कि वह क्या अमल साथ लाई है।
إِذَا ٱلشَّمۡسُ كُوِّرَتۡ 1وَإِذَا ٱلنُّجُومُ ٱنكَدَرَتۡ 2وَإِذَا ٱلۡجِبَالُ سُيِّرَتۡ 3وَإِذَا ٱلۡعِشَارُ عُطِّلَتۡ 4وَإِذَا ٱلۡوُحُوشُ حُشِرَتۡ 5وَإِذَا ٱلۡبِحَارُ سُجِّرَتۡ 6وَإِذَا ٱلنُّفُوسُ زُوِّجَتۡ 7وَإِذَا ٱلۡمَوۡءُۥدَةُ سُئِلَتۡ 8بِأَيِّ ذَنۢبٖ قُتِلَتۡ 9وَإِذَا ٱلصُّحُفُ نُشِرَتۡ 10وَإِذَا ٱلسَّمَآءُ كُشِطَتۡ 11وَإِذَا ٱلۡجَحِيمُ سُعِّرَتۡ 12وَإِذَا ٱلۡجَنَّةُ أُزۡلِفَتۡ 13عَلِمَتۡ نَفۡسٞ مَّآ أَحۡضَرَتۡ14
आयत 13: कुछ मूर्तिपूजक गरीबी या शर्म के डर से अपनी बेटियों को मार देते थे। इस्लाम ने इस भयानक प्रथा को रोक दिया।
आयत 14: गर्भवती ऊँटनियाँ रेगिस्तानी संस्कृति में सबसे महँगी वस्तु थीं।

पृष्ठभूमि की कहानी
अगले परिच्छेद के अनुसार, मूर्ति पूजकों ने पैगंबर पर कुरान गढ़ने का आरोप लगाया और उन्हें पागल कहा। अगले परिच्छेद में, अल्लाह दिन और रात की कसम खाता है कि मुहम्मद अपनी हर बात में सच्चे हैं, जिसमें यह भी शामिल है कि वह उसका पैगंबर है और कुरान उसका कलाम है। अल्लाह कहता है कि पैगंबर ने फ़रिश्ते जिब्रील को देखा था। कुरान का उद्देश्य लोगों को उनके रब की याद दिलाना और उन्हें इस्लाम के सीधे मार्ग पर मार्गदर्शन करना है। {इमाम इब्न कसीर द्वारा दर्ज}

इनकार करने वालों के लिए एक संदेश
15क़सम है पीछे हटने वाले तारों की, 16जो चलते हैं और छिप जाते हैं, 17और रात की जब वह छा जाए, 18और सुबह की जब वह साँस ले! 19निःसंदेह यह क़ुरआन अल्लाह का कलाम है, जिसे एक प्रतिष्ठित दूत-फ़रिश्ता जिब्रील ने पहुँचाया है। 20शक्तिशाली, अर्श के स्वामी के यहाँ प्रतिष्ठित, 21वहाँ (स्वर्ग में) जिसका पालन किया जाता है, और पूर्णतः विश्वसनीय। 22और तुम्हारा साथी मुहम्मद दीवाना नहीं है। 23और उसने वास्तव में उस 'फ़रिश्ते' को स्पष्ट क्षितिज पर देखा। 24और वह ग़ैब की उन बातों को नहीं रोकता जो उस पर प्रकट की जाती हैं। 25और यह 'कुरान' किसी धिक्कारे हुए शैतान का कलाम नहीं है। 26तो तुम और कौन सा मार्ग अपनाओगे? 27निःसंदेह यह 'कुरान' तो समस्त संसार के लिए केवल एक नसीहत है— 28तुम में से जो कोई भी सीधा मार्ग अपनाना चाहे। 29लेकिन तुम ऐसा नहीं कर सकते, सिवाय अल्लाह की मर्ज़ी के, जो समस्त जहानों का रब है।
فَلَآ أُقۡسِمُ بِٱلۡخُنَّسِ 15ٱلۡجَوَارِ ٱلۡكُنَّسِ 16وَٱلَّيۡلِ إِذَا عَسۡعَسَ 17وَٱلصُّبۡحِ إِذَا تَنَفَّسَ 18إِنَّهُۥ لَقَوۡلُ رَسُولٖ كَرِيمٖ 19ذِي قُوَّةٍ عِندَ ذِي ٱلۡعَرۡشِ مَكِينٖ 20مُّطَاعٖ ثَمَّ أَمِينٖ 21وَمَا صَاحِبُكُم بِمَجۡنُونٖ 22وَلَقَدۡ رَءَاهُ بِٱلۡأُفُقِ ٱلۡمُبِينِ 23وَمَا هُوَ عَلَى ٱلۡغَيۡبِ بِضَنِينٖ 24وَمَا هُوَ بِقَوۡلِ شَيۡطَٰنٖ رَّجِيمٖ 25فَأَيۡنَ تَذۡهَبُونَ 26إِنۡ هُوَ إِلَّا ذِكۡرٞ لِّلۡعَٰلَمِينَ 27لِمَن شَآءَ مِنكُمۡ أَن يَسۡتَقِيمَ 28وَمَا تَشَآءُونَ إِلَّآ أَن يَشَآءَ ٱللَّهُ رَبُّ ٱلۡعَٰلَمِينَ29
आयत 28: यह शायद ब्लैक होल की ओर संकेत करता है, जो विशाल तारे होते हैं और ढह जाने के बाद अपने आस-पास की हर चीज़ को अपनी ओर खींच लेते हैं। वे घूमते हैं और अंतरिक्ष में यात्रा करते हैं, लेकिन देखे नहीं जा सकते। अरबी में 'कनसा' का अर्थ है 'झाड़ू लगाना' या 'छिपाना'। 'मिकनासा', जो इसी क्रिया से बना है, वैक्यूम क्लीनर के लिए मानक शब्द है।
आयत 29: इसका अर्थ है कि वे % आपको वही पहुँचाते हैं जो उन्हें अल्लाह से मिलता है, न उससे ज़्यादा और न उससे कम।