Friday Congregation
الجُمُعَة
الجُمُعَہ

सीखने के बिंदु
यह सूरह मुसलमानों को अल्लाह की विशेष कृपाओं के लिए उसका शुक्र अदा करना सिखाती है। उदाहरण के लिए:
उन्हें पैगंबर को उचित सम्मान देकर उनकी कद्र करनी चाहिए।
उन्हें जुमा की नमाज़ की कद्र करनी चाहिए, खुत्बे पर ध्यान देकर।
और उन्हें कुरान की कद्र करनी चाहिए, उसकी शिक्षाओं का पालन करके।
अल्लाह का फज़्ल मोमिनों पर
1जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है, वह सदैव अल्लाह की तस्बीह करता है, जो बादशाह है, अत्यंत पवित्र है, सर्वशक्तिमान है, महाज्ञानी है। 2वही है जिसने निरक्षर लोगों में उन्हीं में से एक रसूल (पैग़म्बर) भेजा, जो उन्हें उसकी आयतें सुनाता है, उन्हें पवित्र करता है और उन्हें किताब (ग्रंथ) और हिकमत (ज्ञान) सिखाता है, जबकि इससे पहले वे निश्चित रूप से स्पष्ट गुमराही में थे। 3और उनमें से दूसरों के लिए भी जो अभी तक उनसे (ईमान में) नहीं मिले हैं। और वह सर्वशक्तिमान, महाज्ञानी है। 4यह अल्लाह का फ़ज़ल है। वह जिसे चाहता है, उसे देता है। और अल्लाह महान फ़ज़ल का स्वामी है।
يُسَبِّحُ لِلَّهِ مَا فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَمَا فِي ٱلۡأَرۡضِ ٱلۡمَلِكِ ٱلۡقُدُّوسِ ٱلۡعَزِيزِ ٱلۡحَكِيمِ 1هُوَ ٱلَّذِي بَعَثَ فِي ٱلۡأُمِّيِّۧنَ رَسُولٗا مِّنۡهُمۡ يَتۡلُواْ عَلَيۡهِمۡ ءَايَٰتِهِۦ وَيُزَكِّيهِمۡ وَيُعَلِّمُهُمُ ٱلۡكِتَٰبَ وَٱلۡحِكۡمَةَ وَإِن كَانُواْ مِن قَبۡلُ لَفِي ضَلَٰلٖ مُّبِينٖ 2وَءَاخَرِينَ مِنۡهُمۡ لَمَّا يَلۡحَقُواْ بِهِمۡۚ وَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلۡحَكِيمُ 3ذَٰلِكَ فَضۡلُ ٱللَّهِ يُؤۡتِيهِ مَن يَشَآءُۚ وَٱللَّهُ ذُو ٱلۡفَضۡلِ ٱلۡعَظِيمِ4

व्यर्थ इल्म
5उन लोगों का उदाहरण जिन्हें तौरात (तौरेत) पर अमल करने का ज़िम्मा सौंपा गया था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, उस गधे जैसा है जो किताबें लाद रहा हो। उन लोगों का उदाहरण कितना बुरा है जो अल्लाह की आयतों को झुठलाते हैं! और अल्लाह ज़ालिम लोगों को हिदायत नहीं देता।
مَثَلُ ٱلَّذِينَ حُمِّلُواْ ٱلتَّوۡرَىٰةَ ثُمَّ لَمۡ يَحۡمِلُوهَا كَمَثَلِ ٱلۡحِمَارِ يَحۡمِلُ أَسۡفَارَۢاۚ بِئۡسَ مَثَلُ ٱلۡقَوۡمِ ٱلَّذِينَ كَذَّبُواْ بَِٔايَٰتِ ٱللَّهِۚ وَٱللَّهُ لَا يَهۡدِي ٱلۡقَوۡمَ ٱلظَّٰلِمِينَ5
आयत 5: तौरात वह आसमानी किताब है जो मूसा पर नाज़िल हुई थी।
जिन्होंने मूसा की नाफ़रमानी की
5याद करो, हे नबी, जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा, ऐ मेरी क़ौम! तुम मुझे हमेशा क्यों तकलीफ़ देते हो, जबकि तुम जानते हो कि मैं तुम्हारी ओर अल्लाह का रसूल हूँ? तो जब वे (हक़ से) मुँह मोड़ते रहे, अल्लाह ने उनके दिलों को भी टेढ़ा कर दिया। और अल्लाह फ़ासिक़ों को हिदायत नहीं देता।
مَثَلُ ٱلَّذِينَ حُمِّلُواْ ٱلتَّوۡرَىٰةَ ثُمَّ لَمۡ يَحۡمِلُوهَا كَمَثَلِ ٱلۡحِمَارِ يَحۡمِلُ أَسۡفَارَۢاۚ بِئۡسَ مَثَلُ ٱلۡقَوۡمِ ٱلَّذِينَ كَذَّبُواْ بَِٔايَٰتِ ٱللَّهِۚ وَٱللَّهُ لَا يَهۡدِي ٱلۡقَوۡمَ ٱلظَّٰلِمِينَ5
आयत 5: तौरात वह पवित्र किताब है जो मूसा अलैहिस्सलाम पर नाज़िल हुई।
जागृति का आह्वान
6कहो, 'हे नबी,' "हे यहूदियों! यदि तुम दावा करते हो कि तुम समस्त मानवजाति में से अल्लाह के चुने हुए 'लोग' हो, तो मृत्यु की कामना करो, यदि तुम्हारी बात सच है।" 7लेकिन वे कभी उसकी कामना नहीं करेंगे, उनके कर्मों के कारण। और अल्लाह ज़ालिमों का भली-भांति ज्ञान रखता है। 8कहो, "जिस मृत्यु से तुम भाग रहे हो, वह तुम्हें अवश्य आ मिलेगी। फिर तुम्हें दृश्य और अदृश्य के ज्ञाता की ओर लौटाया जाएगा, और वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों से अवगत कराएगा।"
قُلۡ يَٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ هَادُوٓاْ إِن زَعَمۡتُمۡ أَنَّكُمۡ أَوۡلِيَآءُ لِلَّهِ مِن دُونِ ٱلنَّاسِ فَتَمَنَّوُاْ ٱلۡمَوۡتَ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ 6وَلَا يَتَمَنَّوۡنَهُۥٓ أَبَدَۢا بِمَا قَدَّمَتۡ أَيۡدِيهِمۡۚ وَٱللَّهُ عَلِيمُۢ بِٱلظَّٰلِمِينَ 7قُلۡ إِنَّ ٱلۡمَوۡتَ ٱلَّذِي تَفِرُّونَ مِنۡهُ فَإِنَّهُۥ مُلَٰقِيكُمۡۖ ثُمَّ تُرَدُّونَ إِلَىٰ عَٰلِمِ ٱلۡغَيۡبِ وَٱلشَّهَٰدَةِ فَيُنَبِّئُكُم بِمَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ8
आयत 8: 3 यह आयत उन लोगों का ज़िक्र करती है जिन्होंने पैगंबर ज़करिया (अलैहिस्सलाम) और उनके बेटे यह्या (अलैहिस्सलाम) का क़त्ल किया, जिन्होंने 'ईसा (अलैहिस्सलाम) को क़त्ल करने का प्रयास किया, जिन्होंने सब्त का उल्लंघन किया, और उन न्यायाधीशों का जिन्होंने रिश्वत ली।

पृष्ठभूमि की कहानी
शुरुआत में, जब पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने मदीना में जुमे की नमाज़ शुरू की, तो उन्होंने नमाज़ से शुरुआत की जिसके बाद खुत्बा (भाषण) होता था। एक बार, कठिनाई के समय में, जब पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) नमाज़ के बाद खुत्बा दे रहे थे, शहर में भोजन का एक कारवाँ आ पहुँचा। सामान्यतः, कारवाँ का स्वागत ढोल की थाप के साथ किया जाता था। मस्जिद में मौजूद अधिकांश लोगों ने सोचा कि चूँकि वे पहले ही नमाज़ पढ़ चुके थे, इसलिए जाना ठीक रहेगा। तो वे कारवाँ का स्वागत करने और ढोल का प्रदर्शन देखने के लिए दौड़ पड़े, पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को उनके खुत्बे के बीच में ही छोड़कर। बाद में, पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने जुमे की नमाज़ की शुरुआत खुत्बे से करने का फैसला किया ताकि हर कोई नमाज़ के लिए रुके। (इमाम अल-बुखारी और इमाम मुस्लिम द्वारा दर्ज)
जुमा की नमाज़
9ऐ ईमानवालो! जब जुमा के दिन नमाज़ के लिए अज़ान दी जाए, तो अल्लाह के ज़िक्र की तरफ़ बढ़ो और अपनी ख़रीद-फ़रोख़्त छोड़ दो। यह तुम्हारे लिए बेहतर है, अगर तुम जानो। 10फिर जब नमाज़ पूरी हो जाए, तो ज़मीन में फैल जाओ और अल्लाह का फ़ज़्ल तलाश करो। और अल्लाह को कसरत से याद करो ताकि तुम कामयाब हो सको।
يَٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓاْ إِذَا نُودِيَ لِلصَّلَوٰةِ مِن يَوۡمِ ٱلۡجُمُعَةِ فَٱسۡعَوۡاْ إِلَىٰ ذِكۡرِ ٱللَّهِ وَذَرُواْ ٱلۡبَيۡعَۚ ذَٰلِكُمۡ خَيۡرٞ لَّكُمۡ إِن كُنتُمۡ تَعۡلَمُونَ 9فَإِذَا قُضِيَتِ ٱلصَّلَوٰةُ فَٱنتَشِرُواْ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَٱبۡتَغُواْ مِن فَضۡلِ ٱللَّهِ وَٱذۡكُرُواْ ٱللَّهَ كَثِيرٗا لَّعَلَّكُمۡ تُفۡلِحُونَ10
भाषण के दौरान जाना
11जब उन्होंने काफिले के साथ कोई खेल-तमाशा या व्यापार देखा, तो वे सब उसकी ओर दौड़ पड़े और आपको, ऐ नबी, खुतबा देते हुए खड़ा छोड़ दिया। कहो, "जो अल्लाह के पास है वह खेल-तमाशे और व्यापार से कहीं बेहतर है। और अल्लाह ही सबसे उत्तम रिज़्क देने वाला है।"
وَإِذَا رَأَوۡاْ تِجَٰرَةً أَوۡ لَهۡوًا ٱنفَضُّوٓاْ إِلَيۡهَا وَتَرَكُوكَ قَآئِمٗاۚ قُلۡ مَا عِندَ ٱللَّهِ خَيۡرٞ مِّنَ ٱللَّهۡوِ وَمِنَ ٱلتِّجَٰرَةِۚ وَٱللَّهُ خَيۡرُ ٱلرَّٰزِقِينَ11