The Pleading Woman
المُجَادِلَة
المُجادَلَہ

सीखने के बिंदु
अल्लाह सर्वज्ञ है क्योंकि वह सब कुछ सुनता और देखता है।
मोमिनों को अपने कार्यों को उचित ढंग से करना चाहिए। इसमें तलाक़, सभाओं में सामाजिक शिष्टाचार, एकांत वार्तालाप, और पैगंबर के साथ व्यवहार शामिल है।
अगर हम सचमुच सीखना चाहते हैं, तो हमें अच्छे प्रश्न पूछने चाहिए।
लोगों को ऐसे शत्रु पर विश्वास नहीं करना चाहिए जो उनकी कौम को हानि पहुँचाने का प्रयास करता है।

पृष्ठभूमि की कहानी
एक महिला जिसका नाम खौला था, उसका अपने पति औस से विवाद हो गया। औस ने गुस्से में उससे कहा कि वह उसकी माँ जैसी है। इस्लाम से पहले, अरब में इसे तलाक का एक रूप माना जाता था। खौला ने पैगंबर की राय माँगी, जिन्होंने शुरू में कहा कि इस मामले पर अल्लाह की ओर से उनके पास कोई शिक्षा नहीं है और पुरानी अरब प्रथाओं के आधार पर, वह तलाकशुदा थी। उसने तर्क दिया कि इस अलगाव से उनके बच्चे पीड़ित होंगे। जब पैगंबर ने अपना उत्तर दोहराया, तो उसने अल्लाह से समाधान के लिए प्रार्थना की। इसके बाद, ये आयतें अवतरित हुईं, जिससे तलाक की यह पुरानी प्रथा समाप्त हो गई। (इमाम अहमद द्वारा दर्ज)

आयशा, पैगंबर की पत्नी ने कहा, 'मैं घर में थी जब खौला उनसे बात कर रही थी; मैं सुन नहीं पाई कि उसने क्या कहा, लेकिन अल्लाह ने 7 आसमानों के ऊपर से सब कुछ सुना।' (इमाम अल-बुखारी द्वारा दर्ज)
ख़ौला का मामला
1अल्लाह ने उस स्त्री की बात सुन ली है जो आपसे, 'ऐ पैगंबर', अपने पति के विषय में झगड़ रही थी और अल्लाह से फ़रियाद कर रही थी। अल्लाह ने तुम दोनों की बातचीत सुन ली है। यक़ीनन अल्लाह सब कुछ सुनने वाला, देखने वाला है।
قَدۡ سَمِعَ ٱللَّهُ قَوۡلَ ٱلَّتِي تُجَٰدِلُكَ فِي زَوۡجِهَا وَتَشۡتَكِيٓ إِلَى ٱللَّهِ وَٱللَّهُ يَسۡمَعُ تَحَاوُرَكُمَآۚ إِنَّ ٱللَّهَ سَمِيعُۢ بَصِيرٌ1
हुक्म
2तुम में से जो अपनी पत्नियों को अपनी माताओं के समान कहकर तलाक देते हैं, उन्हें (यह) जानना चाहिए कि उनकी पत्नियाँ किसी भी तरह से उनकी माताएँ नहीं हैं। उनकी माताएँ केवल वही हो सकती हैं जिन्होंने उन्हें जन्म दिया है। वे जो कहते हैं वह निश्चित रूप से घिनौना और असत्य है। फिर भी अल्लाह क्षमा करने और माफ करने को तैयार है। 3जो लोग इस तरह से अपनी पत्नियों को तलाक देते हैं, फिर जो उन्होंने कहा है, उससे पलटना चाहते हैं, उन्हें एक-दूसरे को छूने से पहले एक गुलाम को आज़ाद करना होगा। यह 'प्रायश्चित' तुम्हें ऐसा करने से रोकने के लिए है। और अल्लाह तुम्हारे हर काम से पूरी तरह वाकिफ है। 4लेकिन अगर पति इसे वहन नहीं कर सकता है, तो उसे एक-दूसरे को छूने से पहले लगातार दो महीने रोज़े रखने होंगे। लेकिन अगर वह रोज़े रखने में असमर्थ है, तो उसे साठ गरीब लोगों को खाना खिलाना होगा। यह अल्लाह और उसके रसूल पर तुम्हारे ईमान को साबित करने के लिए है। ये अल्लाह द्वारा निर्धारित नियम हैं। और नाफरमानों को दर्दनाक सज़ा मिलेगी।
ٱلَّذِينَ يُظَٰهِرُونَ مِنكُم مِّن نِّسَآئِهِم مَّا هُنَّ أُمَّهَٰتِهِمۡۖ إِنۡ أُمَّهَٰتُهُمۡ إِلَّا ٱلَّٰٓـِٔي وَلَدۡنَهُمۡۚ وَإِنَّهُمۡ لَيَقُولُونَ مُنكَرٗا مِّنَ ٱلۡقَوۡلِ وَزُورٗاۚ وَإِنَّ ٱللَّهَ لَعَفُوٌّ غَفُورٞ 2وَٱلَّذِينَ يُظَٰهِرُونَ مِن نِّسَآئِهِمۡ ثُمَّ يَعُودُونَ لِمَا قَالُواْ فَتَحۡرِيرُ رَقَبَةٖ مِّن قَبۡلِ أَن يَتَمَآسَّاۚ ذَٰلِكُمۡ تُوعَظُونَ بِهِۦۚ وَٱللَّهُ بِمَا تَعۡمَلُونَ خَبِيرٞ 3فَمَن لَّمۡ يَجِدۡ فَصِيَامُ شَهۡرَيۡنِ مُتَتَابِعَيۡنِ مِن قَبۡلِ أَن يَتَمَآسَّاۖ فَمَن لَّمۡ يَسۡتَطِعۡ فَإِطۡعَامُ سِتِّينَ مِسۡكِينٗاۚ ذَٰلِكَ لِتُؤۡمِنُواْ بِٱللَّهِ وَرَسُولِهِۦۚ وَتِلۡكَ حُدُودُ ٱللَّهِۗ وَلِلۡكَٰفِرِينَ عَذَابٌ أَلِيمٌ4
जो नियम तोड़ते हैं
5निश्चित रूप से वे लोग जो अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करते हैं, उन्हें नीचा दिखाया जाएगा, ठीक वैसे ही जैसे उनसे पहले वालों को किया गया था। हमने निश्चित रूप से स्पष्ट आयतें उतारी हैं। और काफ़िरों को अपमानजनक अज़ाब मिलेगा। 6जिस दिन अल्लाह उन सबको एक साथ फिर से जीवित करेगा, वह उन्हें उनके कर्मों की याद दिलाएगा। अल्लाह ने वह सब कुछ दर्ज कर लिया है, भले ही वे उसे भूल गए हों। और अल्लाह हर चीज़ पर गवाह है।
إِنَّ ٱلَّذِينَ يُحَآدُّونَ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥ كُبِتُواْ كَمَا كُبِتَ ٱلَّذِينَ مِن قَبۡلِهِمۡۚ وَقَدۡ أَنزَلۡنَآ ءَايَٰتِۢ بَيِّنَٰتٖۚ وَلِلۡكَٰفِرِينَ عَذَابٞ مُّهِينٞ 5يَوۡمَ يَبۡعَثُهُمُ ٱللَّهُ جَمِيعٗا فَيُنَبِّئُهُم بِمَا عَمِلُوٓاْۚ أَحۡصَىٰهُ ٱللَّهُ وَنَسُوهُۚ وَٱللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ شَهِيدٌ6
आयत 5: जिन्होंने अतीत में अपने नबियों को चुनौती दी थी।
अल्लाह सब कुछ जानता है
7क्या तुम नहीं देखते कि अल्लाह जानता है जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है? अगर तीन सरगोशी करते हैं तो वह उनका चौथा होता है। और अगर वे पाँच हों तो वह उनका छठा होता है। चाहे वे इससे कम हों या ज़्यादा, वह उनके साथ होता है जहाँ कहीं भी वे हों। फिर क़यामत के दिन वह उन्हें बताएगा जो कुछ उन्होंने किया। बेशक अल्लाह को हर चीज़ का मुकम्मल इल्म है।
أَلَمۡ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ يَعۡلَمُ مَا فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَمَا فِي ٱلۡأَرۡضِۖ مَا يَكُونُ مِن نَّجۡوَىٰ ثَلَٰثَةٍ إِلَّا هُوَ رَابِعُهُمۡ وَلَا خَمۡسَةٍ إِلَّا هُوَ سَادِسُهُمۡ وَلَآ أَدۡنَىٰ مِن ذَٰلِكَ وَلَآ أَكۡثَرَ إِلَّا هُوَ مَعَهُمۡ أَيۡنَ مَا كَانُواْۖ ثُمَّ يُنَبِّئُهُم بِمَا عَمِلُواْ يَوۡمَ ٱلۡقِيَٰمَةِۚ إِنَّ ٱللَّهَ بِكُلِّ شَيۡءٍ عَلِيمٌ7

पृष्ठभूमि की कहानी
इस सूरह की आयतें 8-10 मदीना के कुछ मुनाफ़िक़ों की एक बुरी प्रथा से संबंधित हैं। जब भी कोई मुसलमान पास से गुज़रता, तो वे एक-दूसरे को आँख मारते और कानाफूसी करते थे। वे मुसलमानों को डराने के लिए कहानियाँ भी गढ़ने लगते थे। इस बदमाशी से मुसलमान असहज महसूस करते थे, इसलिए उन्होंने पैगंबर से शिकायत की, और जल्द ही इस सूरह की आयतें 8-10 नाज़िल हुईं। (इमाम इब्न कसीर द्वारा दर्ज किया गया है)

ज्ञान की बातें
शब्द मायने रखते हैं। अल्लाह एक शब्द से रचना करता है। लोग एक शब्द से शादी करते हैं। नए मुस्लिम एक शब्द से इस्लाम में प्रवेश करते हैं। एक शब्द किसी का दिन बना सकता है या उसका दिल तोड़ सकता है। हमें किसी बीमार व्यक्ति के सामने अपने स्वास्थ्य का बखान नहीं करना चाहिए। या किसी गरीब के सामने अपने पैसे का। या किसी अनाथ के सामने अपने माता-पिता का। इसीलिए बोलने से पहले सोचना महत्वपूर्ण है। यदि हम ऐसा करते हैं, तो हम अपने मन में मौजूद 85% बातें नहीं कहेंगे, केवल इसलिए क्योंकि वे किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाएँगी या किसी का समय बर्बाद करेंगी।


छोटी कहानी
उमर इब्न अब्दुल-अज़ीज़, एक महान मुस्लिम शासक, एक दिन बीमार पड़ गए। लोग उन्हें सांत्वना देने के लिए उनके घर आने लगे। एक आगंतुक ने उमर से पूछा, "क्या परेशानी है?" उन्होंने जवाब दिया, "अल-हम्दु-लिल्लाह! मुझे यहाँ और यहाँ कुछ दर्द है।" उस आदमी ने कहा, "सुब्हानअल्लाह! निराशाजनक मामला! मेरे पिता इसी कारण से मर गए। मेरे चाचा भी इसी कारण से मर गए। इसका कोई इलाज नहीं है; आप निश्चित रूप से मर रहे हैं।" टूटे हुए दिल के साथ, उमर ने उस आदमी से कहा, "मैंने सोचा था कि तुम मेरे चेहरे पर मुस्कान लाने आए हो! आज से, जब तुम किसी बीमार से मिलने जाओ, तो मृतकों के बारे में बात मत करना, और जब तुम मेरे घर से जाओ, तो कभी वापस मत आना।"

ज्ञान की बातें
इस्लाम में, अपनी ज़बान से लोगों को नुकसान पहुँचाना मना है, जिसमें खतरनाक तरीके से मज़ाक करना भी शामिल है। किसी को यह बताना कि उसकी माँ अभी-अभी मर गई या उसके घर में आग लग गई है, मज़ाकिया नहीं है, भले ही आप इसे 'अप्रैल फ़ूल डे' का मज़ाक कहें। पैगंबर अपने कुछ साथियों के साथ यात्रा कर रहे थे और उन्होंने आराम करने का फैसला किया। जब वे सो रहे थे, तो उनमें से एक ने अपने दोस्त से कुछ लिया और उसे कहीं छिपा दिया। जब उसका दोस्त जागा, तो वह डर गया क्योंकि उसे वह नहीं मिला। अंत में, जिसने उसे छिपाया था, उसने उसे वापस कर दिया, और पैगंबर को बताया कि वह बस अपने दोस्त के साथ मज़ाक कर रहा था। पैगंबर ने उससे कहा कि उसे लोगों को डराना नहीं चाहिए, भले ही वह उनके साथ मज़ाक कर रहा हो। (इमाम अल-बुखारी द्वारा दर्ज)



छोटी कहानी
1999 में जब मैं विश्वविद्यालय में था, तब मेरा एक दोस्त था जो हॉस्टल में मेरे बगल वाले कमरे में रहता था। एक दिन, वह देर से आया जब उसके कोई भी रूममेट वहाँ नहीं थे। जब वह सोने गया, तो उसे अपने तकिए के नीचे कुछ गोल महसूस हुआ, जो एक खोपड़ी निकली। वह इतना डर गया था कि वह qवीं मंजिल की खिड़की से कूदना चाहता था। बगल के कमरे में रहने वाले कुछ मेडिकल छात्रों की ज़ोर-ज़ोर की हँसी ने शरारती योजनाकारों का भेद खोल दिया।
शैतानी कानाफूसी
8क्या तुमने उन्हें नहीं देखा जिन्हें कानाफूसी से मना किया गया था, फिर भी वे उसी की ओर लौटते हैं जिससे उन्हें रोका गया था, केवल बुराई, हदें तोड़ने और रसूल की नाफरमानी की बातें करते हैं? और जब वे तुम्हारे पास आते हैं, ऐ पैगंबर, तो वे तुम्हें उस तरह सलाम नहीं करते जिस तरह अल्लाह तुम्हें सलाम करता है, और आपस में मज़ाक उड़ाते हुए कहते हैं, अल्लाह हमें हमारी बातों के लिए सज़ा क्यों नहीं देता? जहन्नम उनके लिए काफी है - वे उसमें जलेंगे। क्या ही बुरा ठिकाना है!
أَلَمۡ تَرَ إِلَى ٱلَّذِينَ نُهُواْ عَنِ ٱلنَّجۡوَىٰ ثُمَّ يَعُودُونَ لِمَا نُهُواْ عَنۡهُ وَيَتَنَٰجَوۡنَ بِٱلۡإِثۡمِ وَٱلۡعُدۡوَٰنِ وَمَعۡصِيَتِ ٱلرَّسُولِۖ وَإِذَا جَآءُوكَ حَيَّوۡكَ بِمَا لَمۡ يُحَيِّكَ بِهِ ٱللَّهُ وَيَقُولُونَ فِيٓ أَنفُسِهِمۡ لَوۡلَا يُعَذِّبُنَا ٱللَّهُ بِمَا نَقُولُۚ حَسۡبُهُمۡ جَهَنَّمُ يَصۡلَوۡنَهَاۖ فَبِئۡسَ ٱلۡمَصِيرُ8
आयत 8: वे पैगंबर से 'अस्सलामु अलैकुम' (तुम पर शांति हो) कहने के बजाय, 'असामु अलैकुम' (तुम पर मौत हो) कहते थे।
निजी गुफ़्तगू के सुझाव
9ऐ ईमानवालो! जब तुम सरगोशी करो, तो वह गुनाह, ज़्यादती और रसूल की नाफ़रमानी के बारे में न हो, बल्कि नेकी और परहेज़गारी के बारे में हो। और अल्लाह से डरो, जिसके पास तुम सब इकट्ठा किए जाओगे। 10सरगोशी तो बस शैतान की ओर से होती है ताकि वह ईमानवालों को दुखी करे। हालाँकि वह उन्हें ज़रा भी नुकसान नहीं पहुँचा सकता सिवाय अल्लाह की इच्छा के। अतः अल्लाह ही पर ईमानवालों को भरोसा रखना चाहिए।
َٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓاْ إِذَا تَنَٰجَيۡتُمۡ فَلَا تَتَنَٰجَوۡاْ بِٱلۡإِثۡمِ وَٱلۡعُدۡوَٰنِ وَمَعۡصِيَتِ ٱلرَّسُولِ وَتَنَٰجَوۡاْ بِٱلۡبِرِّ وَٱلتَّقۡوَىٰۖ وَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ ٱلَّذِيٓ إِلَيۡهِ تُحۡشَرُونَ 9إِنَّمَا ٱلنَّجۡوَىٰ مِنَ ٱلشَّيۡطَٰنِ لِيَحۡزُنَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَلَيۡسَ بِضَآرِّهِمۡ شَيًۡٔا إِلَّا بِإِذۡنِ ٱللَّهِۚ وَعَلَى ٱللَّهِ فَلۡيَتَوَكَّلِ ٱلۡمُؤۡمِنُونَ10

ज्ञान की बातें
इस सूरह की आयत 11 के अनुसार, जिन्हें ज्ञान से नवाज़ा गया है, उन्हें क़यामत के दिन सम्मानित किया जाएगा। कोई पूछ सकता है, "इस्लाम में इतना ज्ञान है? मुझे क्या सीखना चाहिए?" सामान्यतः, ज्ञान तीन प्रकार का होता है:!
1. हराम इल्म, जिसका किसी भी मुसलमान को अभ्यास नहीं करना चाहिए, जैसे काला जादू सीखना या हैकिंग करना।

2. अच्छा इल्म, जो जायज़ है, जैसे चिकित्सा और वेब डिज़ाइन सीखना।
3. फ़र्ज़ इल्म, जो सभी मुसलमानों को होना चाहिए। इसमें अल्लाह के बारे में सीखना (और उसकी इबादत कैसे करें), पैगंबर ﷺ के बारे में (और उनके उदाहरण का पालन कैसे करें), और इस्लाम के बारे में (और हलाल को हराम से कैसे पहचानें) शामिल है। हर मुसलमान को यह ज्ञान होना चाहिए, चाहे उनकी शिक्षा का स्तर कुछ भी हो। इस ज्ञान का संबंध उन 3 सवालों से है जो हर किसी से क़ब्र में पूछे जाएंगे:
1) तुम्हारा रब कौन है?
2) आपके पैगंबर कौन हैं?
3) आपका धर्म क्या है?

छोटी कहानी
इब्न अब्बास (पैगंबर के चचेरे भाई) एक बहुत ही बुद्धिमान युवक थे। पैगंबर ने अल्लाह से दुआ की कि उन्हें ज्ञान और बुद्धि से नवाज़े। (इमाम अहमद द्वारा दर्ज) पैगंबर की वफ़ात के बाद, इब्न अब्बास ने एक व्यक्ति से कहा, "चलो, पैगंबर के साथियों से इल्म हासिल करें ताकि हम भविष्य में दूसरों को सिखा सकें।" उस व्यक्ति ने मना कर दिया और कहा, "तुम कौन हो? क्या तुम्हें लगता है कि लोगों को तुम्हारे ज्ञान की ज़रूरत पड़ेगी?" इब्न अब्बास ने उसकी बात नहीं सुनी और ज्ञान इकट्ठा करने के लिए निकल पड़े। उन्होंने कहा कि वह किसी के घर के सामने घंटों इंतज़ार करते थे - धूप और धूल भरे दिनों में भी - ताकि उनसे सीख सकें। आखिरकार, इब्न अब्बास ने इतना ज्ञान प्राप्त कर लिया कि बहुत से लोग उनसे सीखने के लिए जमा होने लगे। जिस व्यक्ति ने उनके साथ अध्ययन करने से मना किया था, उसने बाद में स्वीकार किया, "इब्न अब्बास सही थे, और मैं गलत था।" (इमाम अत-तबरानी द्वारा दर्ज)

यह एक सच्ची कहानी है जो 1960 के दशक के अंत में संयुक्त राज्य अमेरिका में घटी थी। एक अफ्रीकी-अमेरिकी छठी कक्षा के छात्र ने एक निबंध लिखा जिसमें उसने कहा कि वह टीवी पर आना चाहता है। समस्या यह थी कि वह हकलाता था, इसलिए वह धाराप्रवाह नहीं बोल पाता था। जब उसकी नस्लवादी शिक्षिका ने उसका निबंध पढ़ा, तो उसने उसे पूरी कक्षा के सामने बुलाया, सिर्फ उसे अपमानित करने के लिए। उसने कहा, "बच्चे! क्या तुम्हारे पिताजी कभी टीवी पर आए हैं?" उसने हकलाते हुए जवाब दिया, "न-न-नहीं!" उसने फिर कहा, "तुम्हारी माँ के बारे में क्या - क्या वह कभी टीवी पर आई हैं?" फिर से, उसने जवाब दिया, "न-न-नहीं!" वह चिल्लाई, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसी कोई बात कागज़ पर लिखने की?" उसने जवाब देने की कोशिश की, लेकिन उसने बीच में ही टोक दिया, "तो चुप हो जाओ और बैठ जाओ। तुम इतने दयनीय हो कि बात भी नहीं कर सकते!" हालाँकि उसकी शिक्षिका उसके प्रति बहुत क्रूर थी, उसने हमेशा खुद पर विश्वास रखा। वह आखिरकार अब तक के सबसे प्रसिद्ध अमेरिकी टीवी होस्ट में से एक बन गया, जिसने लिटिल बिग शॉट्स और फैमिली फ्यूड जैसे लोकप्रिय शो की मेजबानी की। उसका नाम स्टीव हार्वे है। वह कहते हैं कि हर साल वह अपनी शिक्षिका को एक बिल्कुल नया एलसीडी स्क्रीन मेल करना सुनिश्चित करते हैं ताकि वह उन्हें टीवी पर देख सकें।

1. कभी हार मत मानो।
2. ज्ञान की तलाश करो, भले ही वह मुश्किल हो।
3. तुम्हें खुद पर विश्वास करना होगा। यदि तुम नहीं करते, तो कोई नहीं करेगा।
किसी को भी आपको यह महसूस न कराने दें कि आप महत्वहीन हैं।

ज्ञान की बातें
चाहे माता-पिता को पसंद हो या न हो, बच्चे मीडिया से सीखते हैं। कुछ फिल्में और वीडियो गेम अच्छे होते हैं, लेकिन कई बुरे प्रभाव डालते हैं। कई खेलों में, आप जितने अधिक लोगों को गोली मारते हैं, उतने ही अधिक अंक प्राप्त करते हैं। कितने खेल आपको किसी अंधे व्यक्ति को सड़क पार कराने, बेघरों को खाना खिलाने या अपना कमरा साफ करने के लिए अंक देते हैं? कई फिल्मों में ऐसे नायक होते हैं जो बिना कभी गिरफ्तार हुए अपने रास्ते में आने वाली हर चीज़ को नष्ट कर देते हैं। हम में से कई एक बुलडॉग, एक बिल्ली और एक चूहे के कार्टून देखते हुए बड़े हुए, जो हर समय एक-दूसरे को मारते और गोली मारते रहते थे। हमने एक राजकुमारी को एक चोर के प्यार में पड़ते देखा जिसके पास उड़ने वाला कालीन था। हमने एक और राजकुमारी को, जिसके बाल बहुत लंबे थे, एक प्यारे चोर के प्यार में पड़ते देखा। हमने एक सुपरहीरो को एक पूरी तरह से काले पोशाक में देखा जो 200 मील प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से गाड़ी चलाता था और उसे कभी टिकट नहीं मिला, एक टैटू वाला नाविक जो पाइप पीता था, एक लंबी नाक वाला लकड़ी का लड़का जो हमेशा झूठ बोलता था, एक लड़की जो 7 छोटे पुरुषों के साथ एक घर में रहती थी जिन्हें वह नहीं जानती थी और एक और लड़की जो आधी रात के बाद एक पार्टी से केवल एक जूते के साथ घर आई थी। हमने कई प्राचीन यूनानी देवताओं वाली एक फिल्म देखी, और एक और जिसमें परियां थीं जो वसंत लाती थीं और पेड़ों को फल देती थीं - जो हमारे एकमात्र सच्चे ईश्वर पर हमारे विश्वास के विरुद्ध है जो हर चीज़ का ध्यान रखते हैं। माता-पिता को जितना हो सके उतनी बुरी सामग्री को फ़िल्टर करना चाहिए, और अपने बच्चों से उन मीडिया में मौजूद सकारात्मक और नकारात्मक दोनों संदेशों के बारे में बात करनी चाहिए जिनका वे उपभोग करते हैं।

आप एक किताब से सीख सकते हैं, लेकिन एक शिक्षक के साथ अध्ययन करना बेहतर है। यही कारण है कि अल्लाह ने हमें केवल कुरान नहीं भेजा, बल्कि उन्होंने हमें इसका संदेश समझाने के लिए एक पैगंबर भेजा। हालांकि, हमें उन लोगों को सावधानी से चुनना होगा जिनसे हम सीखते हैं। हर कोई जिसके यूट्यूब पर सैकड़ों व्याख्यान हैं या सोशल मीडिया पर हजारों अनुयायी हैं, जानकारी का एक विश्वसनीय स्रोत नहीं है। इसके अलावा, कई शिक्षकों के पास ज्ञान होता है, लेकिन केवल कुछ ही बुद्धि से नवाज़े जाते हैं। बुद्धि का मूल अर्थ है सही समय पर सही तरीके से सही बात कहना या सही काम करना।


छोटी कहानी
यह एक सच्ची कहानी है जो एक मुस्लिम देश के सना गाँव में घटी। इस गाँव के अधिकांश लोग अशिक्षित थे—केवल कुछ ही हाफ़िज़ (जिन्होंने पूरा कुरान याद किया था) थे। उनमें से एक ने मस्जिद में नमाज़ की इमामत करना शुरू किया, लेकिन उसे इल्म नहीं था। ईद-उल-अज़हा से पहले, कुछ लोगों ने उससे सवाल पूछना शुरू किया कि क़ुर्बानी (बलिदान) सही तरीके से कैसे की जाए। 'मुझे नहीं पता' कहने के बजाय, उसने फ़िक़्ह (धार्मिक नियम) की एक किताब खरीदी और पढ़ाना शुरू कर दिया। एक कक्षा में, उसने यह नियम पढ़ा: 'क़ुर्बानी के लिए वुज़ू करना मुस्तहब (अनुशंसित) है।' इसे समझाने के लिए, उसने कहा, 'आपको भेड़ के लिए वुज़ू करना चाहिए—उसका मुँह, नाक, चेहरा, सिर, पैर और छोटे कान धोकर।' बेशक, उसने नियम को गलत समझा था। इसका वास्तविक अर्थ यह है कि व्यक्ति को स्वयं वुज़ू में होना चाहिए, न कि जानवर को।

मजलिसों के आदाब
11ऐ ईमान वालो! जब तुमसे कहा जाए कि मजलिसों में जगह बनाओ, तो जगह बनाओ। अल्लाह तुम्हारे लिए (अपनी रहमत में) जगह बनाएगा। और जब तुमसे कहा जाए कि उठ जाओ, तो उठ जाओ। अल्लाह तुम में से उन लोगों के दर्जे बुलंद करेगा जो ईमान लाए और उन लोगों के भी जिन्हें ज्ञान दिया गया। और अल्लाह तुम्हारे सब कामों से पूरी तरह वाकिफ है।
يَٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓاْ إِذَا قِيلَ لَكُمۡ تَفَسَّحُواْ فِي ٱلۡمَجَٰلِسِ فَٱفۡسَحُواْ يَفۡسَحِ ٱللَّهُ لَكُمۡۖ وَإِذَا قِيلَ ٱنشُزُواْ فَٱنشُزُواْ يَرۡفَعِ ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ مِنكُمۡ وَٱلَّذِينَ أُوتُواْ ٱلۡعِلۡمَ دَرَجَٰتٖۚ وَٱللَّهُ بِمَا تَعۡمَلُونَ خَبِيرٞ11

पृष्ठभूमि की कहानी
कुछ लोग पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से अनावश्यक और कभी-कभी बेतुके सवाल पूछा करते थे। उदाहरण के लिए:
1मेरा असली पिता कौन है?:
2मेरी जेब में क्या है?:
3मेरा खोया हुआ ऊँट कहाँ है?
कुछ लोग ऐसे नए नियम पूछते थे जिनसे शायद कुछ मुसलमानों या खुद उनके लिए भी मुश्किलें पैदा हो जातीं। इसलिए आयत 12 नाज़िल हुई, जिसमें मोमिनों से कहा गया कि सवाल पूछने से पहले सदक़ा दें। इसका उद्देश्य ऐसी प्रथाओं को कम करना था। अंततः, इस नियम को वापस ले लिया गया ताकि गरीबों के लिए सदक़ा देने की चिंता किए बिना सवाल पूछना आसान हो जाए। (इमाम इब्न कसीर द्वारा दर्ज किया गया)

ज्ञान की बातें
प्रश्न पूछना सीखने और बढ़ने का एक अच्छा तरीका है। कोई भी प्रश्न बुरा प्रश्न नहीं होता, जब तक हम उसे अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए पूछते हैं। एक दिन, मैंने एक कनाडाई स्कूल में एक इतिहासकार को शुरुआती मुस्लिम प्रवासियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बात करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने एक अच्छी प्रस्तुति तैयार की और स्कूल पहुँचने के लिए लगभग एक घंटे तक गाड़ी चलाई। प्रस्तुति में, उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति की कहानी का उल्लेख किया जिसे 1900 के दशक की शुरुआत में नस्लवाद के कारण टोरंटो में नौकरी नहीं मिल पाई थी। तो, इस व्यक्ति ने कैंडी बेचकर शुरुआत की, और अंततः एक सफल व्यवसायी बन गया। इतिहासकार को उम्मीद थी कि छात्र नस्लवाद से निपटने, या अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने या उस व्यक्ति के कनाडा में सफल होने के बारे में पूछेंगे। हालाँकि, पहला सवाल था: उस आदमी ने किस तरह की कैंडी बेची थी? और इतिहासकार बहुत निराश हुए। इमामों को भी इस तरह के सवालों से निपटना पड़ता है। उदाहरण के लिए:

क्या पानी हलाल है?
क्या जिन्न बच्चे पैदा करते हैं या अंडे देते हैं?
काले पत्थर का रंग क्या है?
नबी से पूछने से पहले सदक़ा
12ऐ ईमानवालो! जब तुम रसूल से सरगोशी करना चाहो, तो अपनी सरगोशी से पहले कुछ सदक़ा दो। यह तुम्हारे लिए बेहतर और पाकीज़ा है। लेकिन यदि तुम ऐसा न कर सको, तो बेशक अल्लाह बहुत बख़्शने वाला, मेहरबान है। 13क्या तुम अपनी सरगोशी से पहले सदक़ा देने से डर गए? चूंकि तुम ऐसा न कर सके, और अल्लाह ने तुम पर रहम किया है, तो नमाज़ क़ायम करो, और ज़कात दो, और अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा मानो। और अल्लाह तुम्हारे सब कामों से बाख़बर है।
يَٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓاْ إِذَا نَٰجَيۡتُمُ ٱلرَّسُولَ فَقَدِّمُواْ بَيۡنَ يَدَيۡ نَجۡوَىٰكُمۡ صَدَقَةٗۚ ذَٰلِكَ خَيۡرٞ لَّكُمۡ وَأَطۡهَرُۚ فَإِن لَّمۡ تَجِدُواْ فَإِنَّ ٱللَّهَ غَفُورٞ رَّحِيمٌ 12ءَأَشۡفَقۡتُمۡ أَن تُقَدِّمُواْ بَيۡنَ يَدَيۡ نَجۡوَىٰكُمۡ صَدَقَٰتٖۚ فَإِذۡ لَمۡ تَفۡعَلُواْ وَتَابَ ٱللَّهُ عَلَيۡكُمۡ فَأَقِيمُواْ ٱلصَّلَوٰةَ وَءَاتُواْ ٱلزَّكَوٰةَ وَأَطِيعُواْ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥۚ وَٱللَّهُ خَبِيرُۢ بِمَا تَعۡمَلُونَ13

पृष्ठभूमि की कहानी
अब्दुल्लाह इब्न नबताल नाम का एक मुनाफिक अपने कुछ दुष्ट दोस्तों को बताता था कि पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने क्या कहा या किया, ताकि वे सब उसका बहुत अनादरपूर्ण तरीके से मज़ाक उड़ा सकें। एक दिन पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अब्दुल्लाह से पूछा कि वह अपने दोस्तों के साथ उनका मज़ाक क्यों उड़ा रहा था। उसने अल्लाह की कसम खाई कि यह सच नहीं था, और उसने अपने दोस्तों को बुलाया, जिन्होंने भी कसम खाई कि उन्होंने ऐसा कभी नहीं किया। ऐसा करके, अब्दुल्लाह और उसके दोस्त झूठ बोल रहे थे। (इसे इमाम अहमद और इमाम अल-हाकिम ने दर्ज किया है।)
शैतान का समूह
14क्या तुमने उन मुनाफ़िक़ों को नहीं देखा जो उन लोगों से दोस्ती करते हैं जिन पर अल्लाह ग़ज़बनाक है? वे न पूरी तरह तुम्हारे साथ हैं और न उनके साथ। और वे जानबूझकर झूठी क़समें खाते हैं। 15अल्लाह ने उनके लिए एक कठोर अज़ाब तैयार कर रखा है। कितना बुरा है जो वे करते हैं। 16उन्होंने अपनी झूठी क़समों को ढाल बना लिया है, दूसरों को अल्लाह के मार्ग से रोकने के लिए। अतः उन्हें अपमानजनक अज़ाब होगा। 17उनका माल और उनकी औलाद अल्लाह के मुक़ाबले में उनके कुछ भी काम नहीं आएगी। वही जहन्नम वाले होंगे। वे उसमें हमेशा रहेंगे। 18जिस दिन अल्लाह उन सबको दोबारा उठाएगा, वे उसके सामने भी झूठी क़समें खाएँगे जैसे वे तुम्हारे सामने खाते हैं, यह सोचते हुए कि इससे उन्हें छुटकारा मिल जाएगा। यक़ीनन वही पूरे झूठे हैं। 19शैतान ने उन पर पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया है, और उन्हें अल्लाह की याद भुला दी है। वे शैतान का गिरोह हैं। निःसंदेह शैतान का गिरोह हारने वाला है।
۞ أَلَمۡ تَرَ إِلَى ٱلَّذِينَ تَوَلَّوۡاْ قَوۡمًا غَضِبَ ٱللَّهُ عَلَيۡهِم مَّا هُم مِّنكُمۡ وَلَا مِنۡهُمۡ وَيَحۡلِفُونَ عَلَى ٱلۡكَذِبِ وَهُمۡ يَعۡلَمُونَ 14أَعَدَّ ٱللَّهُ لَهُمۡ عَذَابٗا شَدِيدًاۖ إِنَّهُمۡ سَآءَ مَا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ 15ٱتَّخَذُوٓاْ أَيۡمَٰنَهُمۡ جُنَّةٗ فَصَدُّواْ عَن سَبِيلِ ٱللَّهِ فَلَهُمۡ عَذَابٞ مُّهِينٞ 16لَّن تُغۡنِيَ عَنۡهُمۡ أَمۡوَٰلُهُمۡ وَلَآ أَوۡلَٰدُهُم مِّنَ ٱللَّهِ شَيًۡٔاۚ أُوْلَٰٓئِكَ أَصۡحَٰبُ ٱلنَّارِۖ هُمۡ فِيهَا خَٰلِدُونَ 17يَوۡمَ يَبۡعَثُهُمُ ٱللَّهُ جَمِيعٗا فَيَحۡلِفُونَ لَهُۥ كَمَا يَحۡلِفُونَ لَكُمۡ وَيَحۡسَبُونَ أَنَّهُمۡ عَلَىٰ شَيۡءٍۚ أَلَآ إِنَّهُمۡ هُمُ ٱلۡكَٰذِبُونَ 18ٱسۡتَحۡوَذَ عَلَيۡهِمُ ٱلشَّيۡطَٰنُ فَأَنسَىٰهُمۡ ذِكۡرَ ٱللَّهِۚ أُوْلَٰٓئِكَ حِزۡبُ ٱلشَّيۡطَٰنِۚ أَلَآ إِنَّ حِزۡبَ ٱلشَّيۡطَٰنِ هُمُ ٱلۡخَٰسِرُونَ19

पृष्ठभूमि की कहानी
मोमिनों ने यह इच्छा की कि एक दिन इस्लाम उन ज़मीनों तक फैल जाएगा जो रोम और फ़ारस (ईरान) के शासन के अधीन थीं, जो उस समय के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य थे। मुनाफ़िक़ उनका मज़ाक उड़ाते हुए कहते थे, "तुम्हारा दिमाग़ ख़राब हो गया है! क्या तुम्हें लगता है कि वे महाशक्तियाँ उन छोटे, कमज़ोर क़स्बों जैसी हैं जिन्हें तुम अपने आँगन में हरा देते हो?" (इमाम अल-क़ुर्तोबी द्वारा दर्ज)
हालाँकि, एक सदी से भी कम समय में, मुस्लिम शासन रोम और फ़ारस से भी आगे फैल गया, पूर्व में चीन से लेकर पश्चिम में अटलांटिक महासागर तक फैला हुआ था, जिसमें पूरा उत्तरी अफ़्रीका और यूरोप के कुछ हिस्से जैसे तुर्की और स्पेन शामिल थे।
अल्लाह की जमात
20जो लोग अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करते हैं, वे निश्चित रूप से सबसे अपमानित लोगों में से होंगे। 21अल्लाह ने यह तय कर लिया है: मैं और मेरे रसूल निश्चित रूप से विजयी होंगे। निःसंदेह अल्लाह शक्तिशाली और सर्वशक्तिमान है। 22तुम कभी ऐसे लोग नहीं पाओगे जो अल्लाह और आख़िरत पर सच्चा ईमान रखते हों, कि वे उन लोगों के प्रति वफ़ादार हों जो अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करते हैं, भले ही वे उनके अपने माता-पिता, बच्चे, भाई-बहन या रिश्तेदार हों। ऐसे ईमानवालों के दिलों में अल्लाह ने ईमान स्थापित कर दिया है और उन्हें अपनी ओर से एक रूह (शक्ति) से सहायता दी है। वह उन्हें ऐसे बाग़ों में प्रवेश कराएगा जिनके नीचे नदियाँ बहती हैं, जहाँ वे हमेशा रहेंगे। अल्लाह उनसे प्रसन्न है और वे अल्लाह से प्रसन्न हैं। वे अल्लाह का समूह हैं। निःसंदेह अल्लाह का समूह ही सफल होने वाला है।
إِنَّ ٱلَّذِينَ يُحَآدُّونَ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥٓ أُوْلَٰٓئِكَ فِي ٱلۡأَذَلِّينَ 20كَتَبَ ٱللَّهُ لَأَغۡلِبَنَّ أَنَا۠ وَرُسُلِيٓۚ إِنَّ ٱللَّهَ قَوِيٌّ عَزِيزٞ 21لَّا تَجِدُ قَوۡمٗا يُؤۡمِنُونَ بِٱللَّهِ وَٱلۡيَوۡمِ ٱلۡأٓخِرِ يُوَآدُّونَ مَنۡ حَآدَّ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥ وَلَوۡ كَانُوٓاْ ءَابَآءَهُمۡ أَوۡ أَبۡنَآءَهُمۡ أَوۡ إِخۡوَٰنَهُمۡ أَوۡ عَشِيرَتَهُمۡۚ أُوْلَٰٓئِكَ كَتَبَ فِي قُلُوبِهِمُ ٱلۡإِيمَٰنَ وَأَيَّدَهُم بِرُوحٖ مِّنۡهُۖ وَيُدۡخِلُهُمۡ جَنَّٰتٖ تَجۡرِي مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَٰرُ خَٰلِدِينَ فِيهَاۚ رَضِيَ ٱللَّهُ عَنۡهُمۡ وَرَضُواْ عَنۡهُۚ أُوْلَٰٓئِكَ حِزۡبُ ٱللَّهِۚ أَلَآ إِنَّ حِزۡبَ ٱللَّهِ هُمُ ٱلۡمُفۡلِحُونَ22
आयत 22: अल्लाह ने उन्हें अपने फ़रिश्तों और वहियों के माध्यम से शक्ति दी है।