यह अनुवाद कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से किया गया है। इसके अलावा, यह डॉ. मुस्तफा खत्ताब के "स्पष्ट कुरआन" पर आधारित है।

Al-Mujâdilah (सूरह 58)
المُجَادِلَة (The Pleading Woman)
परिचय
एक सहाबिया, ख़ौला बिन्त थ'अलबा, का अपने पति, औस इब्न अस-सामित, से मतभेद हो गया। तब उसने अपनी पत्नी से कहा कि वह उसके लिए अपनी माँ की ज़हर (पीठ) की तरह हराम है। अरब में इस कथन को तलाक़ का एक रूप (जिसे ज़िहार के नाम से जाना जाता था) माना जाता था। ख़ौला पैगंबर (ﷺ) के पास आईं ताकि उनकी राय जान सकें। उन्होंने (ﷺ) उसे बताया कि उन्हें इस संबंध में कोई वह्य (ईशवाणी) प्राप्त नहीं हुई है, और परंपरा के अनुसार, वह तलाक़शुदा थी। उसने तर्क दिया कि उसके और उसके पति के बच्चे हैं जो अपने माता-पिता के अलग होने पर कष्ट भोगेंगे। तब उसने अल्लाह से गिड़गिड़ाना शुरू कर दिया, जबकि पैगंबर (ﷺ) वही उत्तर दोहराते रहे। अंततः, उसकी दुआओं के जवाब में यह मदनी सूरह अवतरित हुई, जिससे इस प्राचीन प्रथा को समाप्त कर दिया गया। यह सूरह अल्लाह के असीम ज्ञान और उसकी अदम्य शक्ति पर ज़ोर देती है, और यह स्पष्ट करती है कि जो लोग अल्लाह के साथ गठबंधन करते हैं और उसके आदेशों का पालन करते हैं, वे निश्चित रूप से विजयी होंगे, जबकि जो लोग उसे चुनौती देते हैं और उसके शत्रुओं के साथ गठबंधन करते हैं, वे अपमानित और पराजित होंगे। इस अवधारणा को अगली सूरह (आयतों 59:1-4 और 11-17) में विस्तार से समझाया गया है। अल्लाह के नाम से जो अत्यंत कृपाशील, दयावान है