यह अनुवाद कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से किया गया है। इसके अलावा, यह डॉ. मुस्तफा खत्ताब के "स्पष्ट कुरआन" पर आधारित है।

Saba (सूरह 34)
سَبَأ (Sheba)
परिचय
यह मक्की सूरह अपना नाम सबा के लोगों (आयतों 15-20) के उल्लेख से लेती है, जिन्हें अल्लाह की नेमतों के प्रति नाशुक्री करने के कारण दंडित किया गया था। दाऊद (ﷺ) और सुलेमान (ﷺ) दोनों को अल्लाह के शुक्रगुज़ार बंदों के रूप में उद्धृत किया गया है। मक्का के मूर्तिपूजकों को याद दिलाया जाता है कि केवल ईमान ही उन्हें अल्लाह के करीब ला सकता है, न कि उनका धन। उनकी आलोचना की जाती है कि वे नबी (ﷺ) को 'पागल' कहते थे, और उन्हें इस जीवन और अगले जीवन में सज़ा की चेतावनी दी जाती है। इस सूरह का अंतिम भाग (आयतों 40-41) और अगली सूरह का आरंभ (आयतः 1) दोनों फ़रिश्तों को अल्लाह के वफ़ादार बंदों के रूप में पुनः पुष्टि करते हैं। अल्लाह के नाम से—जो अत्यंत कृपाशील, परम दयावान है।