यह अनुवाद कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से किया गया है। इसके अलावा, यह डॉ. मुस्तफा खत्ताब के "स्पष्ट कुरआन" पर आधारित है।

Al-Aḥzâb (सूरह 33)
الأحْزَاب (The Enemy Alliance)
परिचय
यह मदनी सूरह अपना नाम उस दुश्मन गठबंधन के नाम पर पड़ा है (जिसका उल्लेख आयतों 9-27 में है) जिसने 5 हिजरी/627 ईस्वी में ग़ज़वा-ए-खंदक के दौरान मदीना का घेराव किया था। जहाँ ईमान वालों को दुश्मन गठबंधन के खिलाफ़ अल्लाह की मदद की याद दिलाई जाती है, वहीं मुनाफ़िक़ों को बार-बार धिक्कारा जाता है। यह सूरह गोद लेने, तलाक़, पर्दा और नबी (ﷺ) तथा उनकी पत्नियों के साथ बर्ताव के आदाब के संबंध में सामाजिक दिशा-निर्देश प्रदान करती है। अल्लाह के ईमान वालों पर एहसानों को देखते हुए (जिसमें सूरह के अंत में उसकी माफ़ी और भरपूर प्रतिफल शामिल हैं), अगली सूरह अल्लाह की प्रशंसा के साथ शुरू होती है। अल्लाह के नाम से जो अत्यंत कृपाशील, दयावान है।