Defrauders
المُطَفِّفِين
المُطَفِّفین

सीखने के बिंदु
लोगों को दूसरों के साथ लेन-देन करते समय ईमानदार रहना चाहिए।
इस्लाम में, व्यापारी बिना बेईमानी किए अच्छा लाभ कमा सकते हैं। जो लोग इस दुनिया में थोड़ा लाभ कमाने के लिए धोखा देते हैं, उन्हें परलोक में कहीं अधिक हानि उठानी पड़ेगी।
क़यामत का दिन आ रहा है—बुरे लोगों को दंडित किया जाएगा और अच्छे लोगों को प्रतिफल मिलेगा।
लोगों के साथ आर्थिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार करना (जैसे उनके पैसे चुराना या उनका उपहास करना) क़यामत के दिन बुरे अंजाम लाएगा।


पृष्ठभूमि की कहानी
इस्लाम से पहले, मदीना के कई व्यापारी अपने ग्राहकों को धोखा देते थे। उदाहरण के लिए, यदि कोई उनसे 1 किलो खजूर खरीदना चाहता था, तो वे खरीदार को केवल 750 ग्राम देते थे लेकिन उससे 1 किलो का दाम लेते थे। जब पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) शहर में आए, तो उन्होंने उनके इस कृत्य को देखा, और जल्द ही इस सूरह का पहला भाग अवतरित हुआ। अंततः, यह प्रथा रुक गई। (इमाम इब्न माजा द्वारा वर्णित)

छोटी कहानी
पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने हमें सिखाया कि अल्लाह ने लिख दिया है कि हम इस जीवन में कितना कमाएँगे। सब कुछ सुनिश्चित है, लेकिन हमें उसके लिए प्रयास करना होगा। हालाँकि, कुछ लोग अधीर होते हैं—वे हराम तरीके से कुछ हासिल करने की जल्दी करते हैं, जबकि वह उन्हें हलाल तरीके से मिलने वाला था। {इमाम अल-बैहकी द्वारा दर्ज किया गया}
इमाम अली इब्न अबी तालिब (पैगंबर के चचेरे भाई और दामाद) के पास एक सुंदर लगाम (एक सिर पर पहनने वाला उपकरण जिसका उपयोग घोड़े को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है, जैसे कार में ब्रेक) वाला एक बेहतरीन घोड़ा था। एक दिन, वह अपने सहायक के साथ नमाज़ के लिए एक मस्जिद में गए। इमाम अली ने अपने घोड़े को एक ऐसे व्यक्ति की देखरेख में छोड़ दिया जो मस्जिद के बाहर बैठा था। बाहर निकलते समय, उन्होंने अपने सहायक से कहा, "मुझे लगता है कि हमें उस आदमी को घोड़े की देखभाल करने के लिए 2 दिरहम (चाँदी के सिक्के) देने चाहिए।" जब वे बाहर आए, तो उन्होंने पाया कि उस आदमी ने लगाम ले ली थी और भाग गया था। दुख महसूस करते हुए, इमाम अली ने अपने सहायक को लगाम खरीदने के लिए बाज़ार भेजा। सहायक यह देखकर हैरान रह गया कि जिस आदमी ने लगाम ली थी, वह उसे बाज़ार में 2 दिरहम में बेच रहा था। {अल-अबशीही द्वारा अपनी पुस्तक अल-मुस्ततरफ में दर्ज किया गया}

धोखेबाज़ों को चेतावनी
1नाप-तोल में कमी करने वालों के लिए विनाश है! 2जो जब लोगों से लेते हैं तो पूरा नाप लेते हैं, 3और जब वे दूसरों को नाप-तोल कर देते हैं तो कम देते हैं। 4क्या उन्हें यह गुमान नहीं कि उन्हें उठाया जाएगा? 5एक भयानक दिन के लिए— 6वह दिन जब सारे लोग सारे जहान के रब के सामने हिसाब के लिए खड़े होंगे?
وَيۡلٞ لِّلۡمُطَفِّفِينَ 1ٱلَّذِينَ إِذَا ٱكۡتَالُواْ عَلَى ٱلنَّاسِ يَسۡتَوۡفُونَ 2وَإِذَا كَالُوهُمۡ أَو وَّزَنُوهُمۡ يُخۡسِرُونَ 3أَلَا يَظُنُّ أُوْلَٰٓئِكَ أَنَّهُم مَّبۡعُوثُونَ 4لِيَوۡمٍ عَظِيمٖ 5يَوۡمَ يَقُومُ ٱلنَّاسُ لِرَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ6

छोटी कहानी
एक आदमी एक स्थानीय कॉफी शॉप में अपनी चाय का आनंद ले रहा था। अचानक, एक नौजवान अंदर आया और चिल्लाया, "ऐ अब्दुल्ला! तुम्हारी पत्नी बच्चे को जन्म दे रही है।" उस आदमी ने अपनी चाय ज़मीन पर गिरा दी और घर की ओर भागने लगा। 3 मिनट दौड़ने के बाद, वह रुका और बोला, "एक मिनट रुको! मेरी पत्नी गर्भवती नहीं है।" फिर भी उसने घर जाकर अपनी पत्नी को देखने का फैसला किया। और 5 मिनट दौड़ने के बाद, वह फिर रुका और बोला, "यह क्या हो रहा है? मेरी तो शादी भी नहीं हुई है!" फिर भी वह अपने घर की ओर दौड़ता रहा। जब वह अपने घर में घुसने ही वाला था, तो उसने खुद से पूछा, "क्या मैं पागल हो गया हूँ या क्या? मेरा नाम तो अब्दुल्ला भी नहीं है!"

हम में से कुछ लोग ऐसा ही करते हैं, लेकिन एक अलग तरीके से।
जब हम जानते हैं कि नमाज़ (सलाह) इबादत का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है, लेकिन फिर भी हम नमाज़ पढ़ने के लिए कुछ मिनट नहीं निकालते..
जब हम जानते हैं कि एक दिन हम मर जाएंगे, लेकिन हम ऐसा दिखावा करते हैं कि हम यहाँ हमेशा के लिए हैं..
जब हम सही और गलत में फर्क जानते हैं, लेकिन गलत करना चुनते हैं..
जब हम जानते हैं कि क़यामत का दिन यकीनन आने वाला है, फिर भी हम उसकी तैयारी नहीं करते..
निम्नलिखित अंश के अनुसार, जब दिल जंग खा जाते हैं, तो लोग जीवन की महत्वपूर्ण चीज़ों से आसानी से विचलित हो जाते हैं। इस स्थिति को ग़फ़लत (विचलित होना और बिना किसी उद्देश्य के जीवन जीना) कहा जाता है।
दुष्टों का दण्ड
7हरगिज़ नहीं! गुनाहगार निश्चित रूप से सिज्जीन 'जहन्नम की गहराइयों में' जा रहे हैं। 8और तुम्हें क्या मालूम कि सिज्जीन क्या है?— 9यह एक मुहरबंद किताब है। 10उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ी तबाही होगी— 11वे जो क़यामत के दिन को झुठलाते हैं! 12इसे कोई नहीं झुठलाता सिवाय हर गुनाहगार, सरकश के। 13जब कभी हमारी आयतें उन्हें सुनाई जाती हैं, तो वे कहते हैं, "अगले लोगों की कहानियाँ।" 14हरगिज़ नहीं! बल्कि उनके दिलों पर उनकी कमाई के कारण ज़ंग लग गया है! 15यकीनन उस दिन वे अपने रब से महरूम कर दिए जाएँगे। 16फिर वे यकीनन जहन्नम में जलेंगे। 17और फिर कहा जाएगा, "यह वही है जिसे तुम झुठलाते थे।"
كَلَّآ إِنَّ كِتَٰبَ ٱلۡفُجَّارِ لَفِي سِجِّينٖ 7وَمَآ أَدۡرَىٰكَ مَا سِجِّينٞ 8كِتَٰبٞ مَّرۡقُومٞ 9وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ 10ٱلَّذِينَ يُكَذِّبُونَ بِيَوۡمِ ٱلدِّينِ 11وَمَا يُكَذِّبُ بِهِۦٓ إِلَّا كُلُّ مُعۡتَدٍ أَثِيمٍ 12إِذَا تُتۡلَىٰ عَلَيۡهِ ءَايَٰتُنَا قَالَ أَسَٰطِيرُ ٱلۡأَوَّلِينَ 13كَلَّاۖ بَلۡۜ رَانَ عَلَىٰ قُلُوبِهِم مَّا كَانُواْ يَكۡسِبُونَ 14كَلَّآ إِنَّهُمۡ عَن رَّبِّهِمۡ يَوۡمَئِذٖ لَّمَحۡجُوبُونَ 15ثُمَّ إِنَّهُمۡ لَصَالُواْ ٱلۡجَحِيمِ 16ثُمَّ يُقَالُ هَٰذَا ٱلَّذِي كُنتُم بِهِۦ تُكَذِّبُونَ17
आयत 13: यह अटल है और इसे बदला नहीं जा सकता।
मोमिनों का सवाब
18हरगिज़ नहीं! निःसंदेह नेक लोग इल्लियून (उच्च बागों) में होंगे। 19और तुम्हें क्या पता कि इल्लियून क्या है? 20वह एक मुहरबंद किताब है, 21जिसकी गवाही अल्लाह के निकटतम लोग देते हैं। 22निःसंदेह नेक लोग नेमतों में होंगे, 23सजे हुए तख्तों पर टिके हुए, चारों ओर देखते हुए। 24तुम उनके चेहरों पर खुशी की चमक पहचानोगे। 25उन्हें मुहरबंद, शुद्ध पेय पिलाया जाएगा, 26जिसकी अंतिम घूँट में कस्तूरी की महक होगी। तो जो कोई इसकी कामना करता है, उसे चाहिए कि वह (इसके लिए) मेहनत करे। 27और इस पेय का मिज़ाज तस्नीम से होगा— 28एक चश्मा जिससे मुक़र्रबीन पिएँगे।
كَلَّآ إِنَّ كِتَٰبَ ٱلۡأَبۡرَارِ لَفِي عِلِّيِّينَ 18وَمَآ أَدۡرَىٰكَ مَا عِلِّيُّونَ 19كِتَٰبٞ مَّرۡقُومٞ 20يَشۡهَدُهُ ٱلۡمُقَرَّبُونَ 21إِنَّ ٱلۡأَبۡرَارَ لَفِي نَعِيمٍ 22عَلَى ٱلۡأَرَآئِكِ يَنظُرُونَ 23تَعۡرِفُ فِي وُجُوهِهِمۡ نَضۡرَةَ ٱلنَّعِيمِ 24يُسۡقَوۡنَ مِن رَّحِيقٖ مَّخۡتُومٍ 25خِتَٰمُهُۥ مِسۡكٞۚ وَفِي ذَٰلِكَ فَلۡيَتَنَافَسِ ٱلۡمُتَنَٰفِسُونَ 26وَمِزَاجُهُۥ مِن تَسۡنِيمٍ 27عَيۡنٗا يَشۡرَبُ بِهَا ٱلۡمُقَرَّبُونَ28

पृष्ठभूमि की कहानी
मूर्ति-पूजक ईमान वालों का मज़ाक उड़ाते थे और उन्हें गाली देते थे।

छोटी कहानी
एक व्यक्ति अपने परिवार के साथ एक नए घर में रहने लगा। जब उसकी पत्नी ने काँच की खिड़की से बाहर देखा, तो उसने अपने पड़ोसियों के कपड़े सूखते हुए देखे। उसने टिप्पणी की, "वे कपड़े गंदे हैं। हमारे पड़ोसियों को कपड़े धोना नहीं आता।" अगले हफ्ते, उसने फिर देखा और शिकायत की, "फिर से गंदे कपड़े।" यह दो महीने तक चलता रहा। एक दिन, उसने देखा और साफ कपड़े देखे। उसने अपने पति से कहा, "आखिरकार, हमारे पड़ोसियों ने अपने कपड़े साफ करना सीख लिया है।" उसके पति ने कहा, "नहीं। मैंने अभी-अभी अपनी खिड़की बाहर से साफ की है!"

निम्नलिखित अंश के अनुसार, दुष्ट लोग हमेशा ईमान वालों को देखकर कहते थे, "ये लोग गुमराह हैं - इनमें कुछ कमी है।" उन्हें यह एहसास नहीं था कि वे खुद गुमराह थे। लेकिन वे सच्चाई नहीं देख सके क्योंकि वे अज्ञानता और नफरत से अंधे हो गए थे। {इमाम इब्न कसीर द्वारा दर्ज}
आखिरी हँसी
29निश्चित रूप से दुष्ट लोग ईमानवालों पर हँसते थे, 30जब भी वे उनके पास से गुज़रते थे, एक-दूसरे को आँख मारते थे, 31और जब वे अपने लोगों के पास लौटते थे, तो उसका मज़ाक उड़ाते थे। 32और जब वे ईमानवालों को देखते थे, तो कहते थे, "ये लोग तो सचमुच गुमराह हैं।" 33हालाँकि ईमानवालों पर नज़र रखना उनका सरोकार नहीं था। 34परन्तु उस दिन मोमिन काफ़िरों पर हँस रहे होंगे, 35अपने सजे हुए तख्तों पर से देखते हुए। 36मोमिनों से पूछा जाएगा, "क्या काफ़िरों को उनके किए का बदला नहीं मिल गया?"
إِنَّ ٱلَّذِينَ أَجۡرَمُواْ كَانُواْ مِنَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ يَضۡحَكُونَ 29وَإِذَا مَرُّواْ بِهِمۡ يَتَغَامَزُونَ 30وَإِذَا ٱنقَلَبُوٓاْ إِلَىٰٓ أَهۡلِهِمُ ٱنقَلَبُواْ فَكِهِينَ 31وَإِذَا رَأَوۡهُمۡ قَالُوٓاْ إِنَّ هَٰٓؤُلَآءِ لَضَآلُّونَ 32وَمَآ أُرۡسِلُواْ عَلَيۡهِمۡ حَٰفِظِينَ 33فَٱلۡيَوۡمَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ مِنَ ٱلۡكُفَّارِ يَضۡحَكُونَ 34عَلَى ٱلۡأَرَآئِكِ يَنظُرُونَ 35هَلۡ ثُوِّبَ ٱلۡكُفَّارُ مَا كَانُواْ يَفۡعَلُونَ36