The One Covered up
المُدَّثِّر
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सीखने के बिंदु
पैगंबर को इस्लाम का संदेश सभी तक पहुँचाने का आदेश दिया गया है।
अल्लाह वादा करता है कि वह उन बुत-परस्तों से निपटेगा जो सच्चाई को चुनौती देते हैं, कुरान पर हमला करते हैं और जहन्नम के रखवालों का मज़ाक उड़ाते हैं।
जो नमाज़ नहीं पढ़ते और गरीबों को खाना खिलाने से इनकार करते हैं, उन्हें आखिरत में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

पृष्ठभूमि की कहानी
फ़रिश्ते जिब्रील के पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को पहली बार हीरा नामक गुफा में प्रकट होने के बाद, जो मक्का के ठीक बाहर थी, वे पूरी तरह सदमे में अपने घर की ओर भागे, अपनी पत्नी खदीजा (रज़ियल्लाहु अन्हा) से उन्हें अपने कपड़ों से ढकने का अनुरोध करते हुए। बाद में, यह सूरह नाज़िल हुई, जिसने उन्हें इस्लाम का संदेश पहुँचाना शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया। (इसे इमाम अल-बुखारी और इमाम मुस्लिम द्वारा रिवायत किया गया है)
नबी को संदेश
1ऐ अपने वस्त्रों में लिपटे हुए! 2उठो और चेतावनी दो। 3अपने रब की ही बड़ाई बयान करो। 4अपने वस्त्रों को पाक करो। 5और बुतों से दूर रहो। 6अधिक पाने की अपेक्षा से एहसान न करो। 7और अपने रब की खातिर सब्र करो। 8फिर जब सूर फूँका जाएगा, 9वह वास्तव में एक कठिन दिन होगा— 10काफ़िरों के लिए आसान नहीं होगा।
يَٰٓأَيُّهَا ٱلۡمُدَّثِّرُ 1قُمۡ فَأَنذِرۡ 2وَرَبَّكَ فَكَبِّرۡ 3وَثِيَابَكَ فَطَهِّرۡ 4وَٱلرُّجۡزَ فَٱهۡجُرۡ 5وَلَا تَمۡنُن تَسۡتَكۡثِرُ 6وَلِرَبِّكَ فَٱصۡبِرۡ 7فَإِذَا نُقِرَ فِي ٱلنَّاقُورِ 8فَذَٰلِكَ يَوۡمَئِذٖ يَوۡمٌ عَسِيرٌ 9عَلَى ٱلۡكَٰفِرِينَ غَيۡرُ يَسِيرٖ10

पृष्ठभूमि की कहानी
अल-वलीद इब्न अल-मुगीरा ने एक बार पैगंबर की तिलावत सुनने के बाद अपने लोगों के सामने कुरान के बारे में कुछ अच्छा कहा था। उसके दोस्त, अबू जहल, ने अल-वलीद की बात सुनकर बहुत गुस्सा किया, इसलिए उसने उस पर अपना मन बदलने का दबाव डाला। अल-वलीद को कुरान के बारे में कुछ बुरा कहने के लिए बार-बार सोचना पड़ा। आखिरकार, वह बाहर आया और अपने लोगों से कहा कि कुरान तो बस जादू है, एक आदमी का कलाम। (इमाम अल-कुर्तुबी द्वारा दर्ज किया गया)

झुठलाने वाले को चेतावनी
11और ऐ नबी, उस (व्यक्ति) को मुझ पर छोड़ दे जिसे मैंने अकेला ही पैदा किया, 12और उसे बहुत-सा माल दिया, 13और बेटे हमेशा उसके पास रहे, 14और उसकी ज़िंदगी को बहुत आसान बना दिया। 15फिर भी वह और ज़्यादा चाहता है। 16नहीं, बल्कि वह हमारी आयतों के प्रति हमेशा से हठी रहा है। 17मैं उसके परलोक को बहुत कठिन बना दूँगा, 18क्योंकि उसने सोचा और क़ुरआन के लिए एक बुरा नाम गढ़ा। 19नाश हो उसका! उसने जो गढ़ा, वह कितना बुरा था! 20उसका और भी नाश हो! उसने जो गढ़ा, वह कितना बुरा था! 21फिर उसने झुंझलाहट में सोचा, 22फिर उसने तेवरी चढ़ाई और क्रोधित हुआ, 23फिर वह मुँह मोड़ गया और अहंकार किया, 24कहने लगा, "यह 'क़ुरआन' तो बस प्राचीन काल का जादू है। 25यह तो बस एक मनुष्य का वचन है।" 26जल्द ही मैं उसे जहन्नम में जलाऊँगा। 27और तुम्हें क्या पता कि जहन्नम क्या है?: 28वह न किसी को जीवित छोड़ता है और न मरने देता है। 29खाल को झुलसाने वाली। 30उस पर उन्नीस रखवाले नियुक्त हैं।
ذَرۡنِي وَمَنۡ خَلَقۡتُ وَحِيدٗا 11وَجَعَلۡتُ لَهُۥ مَالٗا مَّمۡدُودٗا 12وَبَنِينَ شُهُودٗا 13وَمَهَّدتُّ لَهُۥ تَمۡهِيدٗا 14ثُمَّ يَطۡمَعُ أَنۡ أَزِيدَ 15كَلَّآۖ إِنَّهُۥ كَانَ لِأٓيَٰتِنَا عَنِيدٗا 16سَأُرۡهِقُهُۥ صَعُودًا 17إِنَّهُۥ فَكَّرَ وَقَدَّرَ 18فَقُتِلَ كَيۡفَ قَدَّرَ 19ثُمَّ قُتِلَ كَيۡفَ قَدَّرَ 20ثُمَّ نَظَرَ 21ثُمَّ عَبَسَ وَبَسَرَ 22ثُمَّ أَدۡبَرَ وَٱسۡتَكۡبَرَ 23فَقَالَ إِنۡ هَٰذَآ إِلَّا سِحۡرٞ يُؤۡثَرُ 24إِنۡ هَٰذَآ إِلَّا قَوۡلُ ٱلۡبَشَرِ 25سَأُصۡلِيهِ سَقَرَ 26وَمَآ أَدۡرَىٰكَ مَا سَقَرُ 27لَا تُبۡقِي وَلَا تَذَرُ 28لَوَّاحَةٞ لِّلۡبَشَرِ 29عَلَيۡهَا تِسۡعَةَ عَشَرَ30

पृष्ठभूमि की कहानी
कुछ बुतपरस्तों ने पैगंबर का उपहास किया जब उन्होंने उन्हें बताया कि जहन्नम के 19 रखवाले हैं। अल-अशद्द, जो अपनी शक्ति के लिए प्रसिद्ध था, ने अन्य बुतपरस्तों से उपहास करते हुए कहा, "तुम बस 2 रखवालों को संभाल लेना और बाकी सबको मैं अकेला ही मार गिराऊंगा।" (इमाम इब्न कसीर द्वारा दर्ज)

जहन्नम के उन्नीस दारोगा
31हमने आग के रखवाले केवल 'सख्त' फ़रिश्ते बनाए हैं। और हमने उनकी संख्या केवल काफ़िरों के लिए एक आज़माइश बनाई है; ताकि अहले किताब यक़ीन कर लें, और ईमान वालों का ईमान बढ़ जाए; और अहले किताब और ईमान वालों को कोई शक न रहे; और ताकि वे मुनाफ़िक़ जिनके दिलों में बीमारी है और काफ़िर कहें, "अल्लाह का इस संख्या से क्या अभिप्राय है?" इसी तरह अल्लाह जिसे चाहता है गुमराह करता है और जिसे चाहता है हिदायत देता है। और आपके रब की सेनाओं को उसके सिवा कोई नहीं जानता। और यह (जहन्नम का) वर्णन केवल मानवजाति के लिए एक नसीहत है।
وَمَا جَعَلۡنَآ أَصۡحَٰبَ ٱلنَّارِ إِلَّا مَلَٰٓئِكَةٗۖ وَمَا جَعَلۡنَا عِدَّتَهُمۡ إِلَّا فِتۡنَةٗ لِّلَّذِينَ كَفَرُواْ لِيَسۡتَيۡقِنَ ٱلَّذِينَ أُوتُواْ ٱلۡكِتَٰبَ وَيَزۡدَادَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓاْ إِيمَٰنٗا وَلَا يَرۡتَابَ ٱلَّذِينَ أُوتُواْ ٱلۡكِتَٰبَ وَٱلۡمُؤۡمِنُونَ وَلِيَقُولَ ٱلَّذِينَ فِي قُلُوبِهِم مَّرَضٞ وَٱلۡكَٰفِرُونَ مَاذَآ أَرَادَ ٱللَّهُ بِهَٰذَا مَثَلٗاۚ كَذَٰلِكَ يُضِلُّ ٱللَّهُ مَن يَشَآءُ وَيَهۡدِي مَن يَشَآءُۚ وَمَا يَعۡلَمُ جُنُودَ رَبِّكَ إِلَّا هُوَۚ وَمَا هِيَ إِلَّا ذِكۡرَىٰ لِلۡبَشَرِ31
जहन्नम की चेतावनी
32हरगिज़ नहीं! चाँद की क़सम, 33और रात की क़सम जब वह विदा होती है, 34और सुबह की क़सम जब वह रौशन होती है! 35निश्चित रूप से वह (जहन्नम) सबसे बड़ी विपदाओं में से एक है, 36मानवजाति के लिए एक चेतावनी, 37तुम में से जो कोई भी आगे बढ़ना चाहे या पीछे रहना चाहे।
كَلَّا وَٱلۡقَمَرِ 32وَٱلَّيۡلِ إِذۡ أَدۡبَرَ 33وَٱلصُّبۡحِ إِذَآ أَسۡفَرَ 34إِنَّهَا لَإِحۡدَى ٱلۡكُبَرِ 35نَذِيرٗا لِّلۡبَشَرِ 36لِمَن شَآءَ مِنكُمۡ أَن يَتَقَدَّمَ أَوۡ يَتَأَخَّرَ37
क्या जहन्नम की ओर ले जाता है?
38हर नफ़्स अपने किए के बदले गिरवी रखा जाएगा, 39सिवाय दाएँ हाथ वालों के, 40जो जन्नतों में होंगे, आपस में पूछेंगे 41मुजरिमों के बारे में, जिनसे फिर पूछा जाएगा': 42"तुम्हें किस चीज़ ने जहन्नम में ला डाला?" 43वे पुकारेंगे, "हम उन लोगों में से थे जो नमाज़ पढ़ते थे, 44और हमने गरीबों को खाना नहीं खिलाया। 45बल्कि हम दूसरों की तरह व्यर्थ बातों में लगे रहते थे, 46और क़यामत के दिन को झुठलाते थे, 47यहाँ तक कि हमें मौत आ गई।" 48तो चाहे कोई भी उनकी पैरवी करे, उन्हें कोई लाभ नहीं होगा।
كُلُّ نَفۡسِۢ بِمَا كَسَبَتۡ رَهِينَةٌ 38إِلَّآ أَصۡحَٰبَ ٱلۡيَمِينِ 39فِي جَنَّٰتٖ يَتَسَآءَلُونَ 40عَنِ ٱلۡمُجۡرِمِينَ 41مَا سَلَكَكُمۡ فِي سَقَرَ 42قَالُواْ لَمۡ نَكُ مِنَ ٱلۡمُصَلِّينَ 43وَلَمۡ نَكُ نُطۡعِمُ ٱلۡمِسۡكِينَ 44وَكُنَّا نَخُوضُ مَعَ ٱلۡخَآئِضِينَ 45وَكُنَّا نُكَذِّبُ بِيَوۡمِ ٱلدِّينِ 46حَتَّىٰٓ أَتَىٰنَا ٱلۡيَقِينُ 47فَمَا تَنفَعُهُمۡ شَفَٰعَةُ ٱلشَّٰفِعِينَ48

मूर्ति-पूजकों को चेतावनी
49तो उन्हें क्या हो गया है कि वे इस नसीहत से मुँह मोड़ रहे हैं, 50मानो वे सहमे हुए ज़ेबरा हों 51जो एक शेर से भाग रहे हों? 52बल्कि, उनमें से हर एक चाहता है कि उसे अल्लाह की ओर से एक निजी ख़त मिले जिसे सब पढ़ें। 53हरगिज़ नहीं! बल्कि वे परलोक से नहीं डरते। 54निश्चित रूप से यह क़ुरआन एक नसीहत है। 55तो जो कोई चाहे, इसे ध्यान में रखे। 56लेकिन वे ऐसा नहीं कर सकते जब तक अल्लाह न चाहे। वही अकेला डरने योग्य है और बख्शने वाला है।
فَمَا لَهُمۡ عَنِ ٱلتَّذۡكِرَةِ مُعۡرِضِينَ 49كَأَنَّهُمۡ حُمُرٞ مُّسۡتَنفِرَةٞ 50فَرَّتۡ مِن قَسۡوَرَةِۢ 51بَلۡ يُرِيدُ كُلُّ ٱمۡرِيٕٖ مِّنۡهُمۡ أَن يُؤۡتَىٰ صُحُفٗا مُّنَشَّرَةٗ 52كَلَّاۖ بَل لَّا يَخَافُونَ ٱلۡأٓخِرَةَ 53كَلَّآ إِنَّهُۥ تَذۡكِرَةٞ 54فَمَن شَآءَ ذَكَرَهُۥ 55وَمَا يَذۡكُرُونَ إِلَّآ أَن يَشَآءَ ٱللَّهُۚ هُوَ أَهۡلُ ٱلتَّقۡوَىٰ وَأَهۡلُ ٱلۡمَغۡفِرَةِ56