The Jinn
الجِنّ
الجِنّ

सीखने के बिंदु
यह सूरह जिन्नों के एक समूह की कहानी बताती है जिन्होंने पैगंबर के कुरान के पाठ को सुनने के बाद अल्लाह के प्रति समर्पण किया। यह समूह जिन्नों के विश्वासों और प्रथाओं के बारे में कुछ जानकारी साझा करता है।
मूर्तिपूजकों से अल्लाह और मुहम्मद के संदेश पर विश्वास करने के लिए कहा गया है, ठीक वैसे ही जैसे उन जिन्नों ने किया था।

कुछ जिन्न इस्लाम कबूल करते हैं।
1कहो, 'हे पैगंबर,' "मुझे यह वह्य की गई है कि जिन्नों के एक समूह ने 'कुरान' सुना, और 'अपने साथी जिन्नों से' कहा: 'निश्चित रूप से हमने एक अद्भुत पाठ सुना है।'" 2यह सीधे मार्ग का प्रदर्शन करता है, अतः हम इस पर ईमान लाए, और हम अपने रब के साथ किसी को शरीक नहीं करेंगे। 3'और यह कि अब हम मानते हैं कि' हमारा रब—जिसकी शान बहुत ऊँची है—की न कोई पत्नी है और न कोई संतान। 4और यह कि हमारे मूर्ख अल्लाह के बारे में हद से बढ़ी हुई बातें कहते थे! 5और यह कि हमने निश्चित रूप से सोचा था कि मनुष्य और जिन्न अल्लाह पर कभी झूठ नहीं गढ़ेंगे। 6और कुछ मनुष्य कुछ जिन्नों से पनाह माँगते थे, तो उन्होंने एक-दूसरे की सरकशी और बढ़ा दी। 7और उन मनुष्यों ने सोचा, जैसे तुम जिन्नों ने, कि अल्लाह किसी को भी दोबारा जीवित नहीं करेगा।
قُلۡ أُوحِيَ إِلَيَّ أَنَّهُ ٱسۡتَمَعَ نَفَرٞ مِّنَ ٱلۡجِنِّ فَقَالُوٓاْ إِنَّا سَمِعۡنَا قُرۡءَانًا عَجَبٗا 1يَهۡدِيٓ إِلَى ٱلرُّشۡدِ فََٔامَنَّا بِهِۦۖ وَلَن نُّشۡرِكَ بِرَبِّنَآ أَحَدٗا 2وَأَنَّهُۥ تَعَٰلَىٰ جَدُّ رَبِّنَا مَا ٱتَّخَذَ صَٰحِبَةٗ وَلَا وَلَدٗا 3وَأَنَّهُۥ كَانَ يَقُولُ سَفِيهُنَا عَلَى ٱللَّهِ شَطَطٗا 4وَأَنَّا ظَنَنَّآ أَن لَّن تَقُولَ ٱلۡإِنسُ وَٱلۡجِنُّ عَلَى ٱللَّهِ كَذِبٗا 5وَأَنَّهُۥ كَانَ رِجَالٞ مِّنَ ٱلۡإِنسِ يَعُوذُونَ بِرِجَالٖ مِّنَ ٱلۡجِنِّ فَزَادُوهُمۡ رَهَقٗا 6وَأَنَّهُمۡ ظَنُّواْ كَمَا ظَنَنتُمۡ أَن لَّن يَبۡعَثَ ٱللَّهُ أَحَدٗا7

पृष्ठभूमि की कहानी
पैगंबर के ज़माने से पहले, कुछ जिन्न छिपकर सुनते थे कि फ़रिश्ते आसमान में क्या बातें करते थे। अब, जिन्नों को आसमान के करीब कहीं भी जाने की इजाज़त नहीं है। जो करीब आने की जुर्रत करते हैं, उन्हें आग के गोलों से खदेड़ दिया जाता है। इसी वजह से जिन्न भविष्य में क्या होगा, इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकते। {इमाम इब्न कसीर द्वारा उल्लेखित}

अब चोरी-छिपे सुनना नहीं
8पहले हम खबर जानने के लिए आकाश तक पहुँचने का प्रयास करते थे, तो उसे सख्त पहरेदारों और जलते हुए अंगारों से भरा पाया। 9हम वहाँ छिपकर सुनने के लिए जगहें लेते थे, लेकिन अब जो कोई सुनने का प्रयास करेगा, उसे अपने लिए एक दहकती हुई आग मिलेगी। 10अब हमें नहीं पता कि क्या धरती वालों के लिए बुराई का इरादा किया गया है, या उनके रब का इरादा उन्हें सही राह दिखाने का है।
وَأَنَّا لَمَسۡنَا ٱلسَّمَآءَ فَوَجَدۡنَٰهَا مُلِئَتۡ حَرَسٗا شَدِيدٗا وَشُهُبٗا 8وَأَنَّا كُنَّا نَقۡعُدُ مِنۡهَا مَقَٰعِدَ لِلسَّمۡعِۖ فَمَن يَسۡتَمِعِ ٱلۡأٓنَ يَجِدۡ لَهُۥ شِهَابٗا رَّصَدٗا 9وَأَنَّا لَا نَدۡرِيٓ أَشَرٌّ أُرِيدَ بِمَن فِي ٱلۡأَرۡضِ أَمۡ أَرَادَ بِهِمۡ رَبُّهُمۡ رَشَدٗا10
नेक और बुरे जिन्न
11हम में से कुछ नेक हैं और कुछ उनसे कमतर हैं। हम विभिन्न समूहों के रहे हैं। 12अब, हम सचमुच जानते हैं कि हम अल्लाह से ज़मीन पर भाग नहीं सकते, और न हम उससे 'आसमान में' बच सकते हैं। 13जब हमने 'क़ुरान की' हिदायत सुनी, तो हमने उस पर 'फ़ौरन' ईमान ले आए। क्योंकि जो कोई अपने रब पर ईमान लाता है, उसे न तो 'प्रतिफल से' वंचित किए जाने का डर होगा और न ही उस पर ज़ुल्म किया जाएगा। 14और हम में से कुछ ऐसे हैं जिन्होंने 'अल्लाह के आगे' समर्पण किया है और कुछ ऐसे हैं जो भटक गए हैं। तो जिन्होंने समर्पण किया है, वे ही हैं जिन्होंने सही मार्गदर्शन प्राप्त किया है। 15और जो भटक गए हैं, वे जहन्नम का ईंधन बनेंगे।
وَأَنَّا مِنَّا ٱلصَّٰلِحُونَ وَمِنَّا دُونَ ذَٰلِكَۖ كُنَّا طَرَآئِقَ قِدَدٗا 11وَأَنَّا ظَنَنَّآ أَن لَّن نُّعۡجِزَ ٱللَّهَ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَلَن نُّعۡجِزَهُۥ هَرَبٗا 12وَأَنَّا لَمَّا سَمِعۡنَا ٱلۡهُدَىٰٓ ءَامَنَّا بِهِۦۖ فَمَن يُؤۡمِنۢ بِرَبِّهِۦ فَلَا يَخَافُ بَخۡسٗا وَلَا رَهَقٗا 13وَأَنَّا مِنَّا ٱلۡمُسۡلِمُونَ وَمِنَّا ٱلۡقَٰسِطُونَۖ فَمَنۡ أَسۡلَمَ فَأُوْلَٰٓئِكَ تَحَرَّوۡاْ رَشَدٗا 14وَأَمَّا ٱلۡقَٰسِطُونَ فَكَانُواْ لِجَهَنَّمَ حَطَبٗا15
झुठलाने वालों के लिए एक संदेश
16यदि वे मुशरिक सीधे मार्ग पर चलते, तो हम उन्हें पीने के लिए प्रचुर वर्षा अवश्य देते। 17ताकि हम उन्हें आज़माते। और जो कोई अपने रब के ज़िक्र से विमुख होता है, उसे वह (अल्लाह) एक भयानक अज़ाब देगा।
وَأَلَّوِ ٱسۡتَقَٰمُواْ عَلَى ٱلطَّرِيقَةِ لَأَسۡقَيۡنَٰهُم مَّآءً غَدَقٗا 16لِّنَفۡتِنَهُمۡ فِيهِۚ وَمَن يُعۡرِضۡ عَن ذِكۡرِ رَبِّهِۦ يَسۡلُكۡهُ عَذَابٗا صَعَدٗا17

ज्ञान की बातें
नीचे दी गई आयत 23 के अनुसार, मक्का के मूर्तिपूजकों को चेतावनी दी गई है कि यदि वे अपनी मृत्यु तक अल्लाह और उसके रसूल की अवज्ञा करते रहेंगे और कुफ्र (अविश्वास) करते रहेंगे, तो वे हमेशा के लिए जहन्नम में रहेंगे। कोई पूछ सकता है, यदि अबू जहल 12 साल तक कुफ्र (अविश्वास) करने के बाद मर गया, तो उसके लिए हमेशा के लिए जहन्नम में रहना कैसे उचित है, न कि केवल 12 साल के लिए? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए, मान लीजिए कि मिस्टर एक्स ने कनाडा में मिस्टर वाई की हत्या कर दी। कनाडाई कानून के अनुसार, मिस्टर एक्स को आजीवन कारावास (25 साल) होना चाहिए। अब, मिस्टर एक्स अदालत में यह कहते हुए विरोध करता है कि मिस्टर वाई को मारने में उसे केवल 30 सेकंड लगे, और इसलिए उसे केवल 30 सेकंड के लिए जेल जाना चाहिए। तार्किक रूप से, केवल न्यायाधीश ही यह तय करेगा कि आपको ओवर-स्पीडिंग के लिए कितना जुर्माना देना होगा, और बैंक लूटने या किसी की हत्या करने के लिए आपको कितने समय तक जेल में रहना होगा। कानून तोड़ने वाला व्यक्ति यह चुनने की स्थिति में नहीं होता कि उसे कैसे दंडित किया जाएगा। इसी तरह, अल्लाह ही न्यायाधीश है - वह तय करता है कि उसकी अवज्ञा करने वालों को कैसे दंडित किया जाए। चूंकि अल्लाह में कुफ्र (अविश्वास) करना सबसे बड़ा पाप है, इसलिए इसकी सबसे बुरी सज़ा है। यदि अबू जहल इस दुनिया में हमेशा के लिए रहता, तो भी वह अल्लाह में कुफ्र करता (अविश्वास करता)। यही कारण है कि वह हमेशा के लिए सज़ा में रहने का हकदार है।

अल्लाह की ही इबादत करें
18मस्जिदें ख़ालिस अल्लाह के लिए हैं, तो उसके सिवा किसी और की इबादत न करो। 19और जब अल्लाह का बंदा उसे अकेले पुकारने के लिए खड़ा हुआ, तो वे मुशरिक उस पर टूट पड़ने को थे। 20कहो, "(ऐ पैगंबर,)" "मैं तो बस अपने रब को पुकारता हूँ और उसके साथ किसी को शरीक नहीं करता।" 21कहो, "तुम्हें नुक़सान पहुँचाना या फ़ायदा देना मेरे इख़्तियार में नहीं है।" 22कहो, "मुझे अल्लाह से कोई बचा नहीं सकता और मैं उसके सिवा कोई पनाहगाह नहीं पा सकता।" 23मेरा कर्तव्य केवल अल्लाह की ओर से सत्य और उसके संदेशों को पहुँचाना है। और जो कोई अल्लाह और उसके रसूल की नाफ़रमानी करेगा, वह यक़ीनन जहन्नम की आग में होगा, उसमें हमेशा-हमेशा के लिए रहने के लिए।
وَأَنَّ ٱلۡمَسَٰجِدَ لِلَّهِ فَلَا تَدۡعُواْ مَعَ ٱللَّهِ أَحَدٗا 18وَأَنَّهُۥ لَمَّا قَامَ عَبۡدُ ٱللَّهِ يَدۡعُوهُ كَادُواْ يَكُونُونَ عَلَيۡهِ لِبَدٗا 19قُلۡ إِنَّمَآ أَدۡعُواْ رَبِّي وَلَآ أُشۡرِكُ بِهِۦٓ أَحَدٗا 20قُلۡ إِنِّي لَآ أَمۡلِكُ لَكُمۡ ضَرّٗا وَلَا رَشَدٗا 21قُلۡ إِنِّي لَن يُجِيرَنِي مِنَ ٱللَّهِ أَحَدٞ وَلَنۡ أَجِدَ مِن دُونِهِۦ مُلۡتَحَدًا 22إِلَّا بَلَٰغٗا مِّنَ ٱللَّهِ وَرِسَٰلَٰتِهِۦۚ وَمَن يَعۡصِ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥ فَإِنَّ لَهُۥ نَارَ جَهَنَّمَ خَٰلِدِينَ فِيهَآ أَبَدًا23
मूर्तिपूजकों को चेतावनी
24जब वे उस 'यातना' को देखेंगे जिसकी उन्हें चेतावनी दी गई थी, तो उन्हें पता चलेगा कि कौन मददगारों में कमज़ोर है और गिनती में कम है। 25कहो, "मैं नहीं जानता कि जिसका तुमसे वादा किया गया है वह जल्द है या मेरे रब ने उसे देर के लिए मुकर्रर किया है।" 26वह ग़ैब का जानने वाला है, उसमें से किसी पर कुछ भी ज़ाहिर नहीं करता, 27सिवाय अपने चुने हुए रसूलों के। फिर वह उनके आगे और पीछे फ़रिश्तों को पहरेदार नियुक्त करता है, 28ताकि रसूल अपने रब के पैग़ाम पूरी तरह पहुँचा दें—हालाँकि वह उनके बारे में सब कुछ जानता है, और हर चीज़ की गिनती रखता है।"
حَتَّىٰٓ إِذَا رَأَوۡاْ مَا يُوعَدُونَ فَسَيَعۡلَمُونَ مَنۡ أَضۡعَفُ نَاصِرٗا وَأَقَلُّ عَدَدٗا 24قُلۡ إِنۡ أَدۡرِيٓ أَقَرِيبٞ مَّا تُوعَدُونَ أَمۡ يَجۡعَلُ لَهُۥ رَبِّيٓ أَمَدًا 25عَٰلِمُ ٱلۡغَيۡبِ فَلَا يُظۡهِرُ عَلَىٰ غَيۡبِهِۦٓ أَحَدًا 26إِلَّا مَنِ ٱرۡتَضَىٰ مِن رَّسُولٖ فَإِنَّهُۥ يَسۡلُكُ مِنۢ بَيۡنِ يَدَيۡهِ وَمِنۡ خَلۡفِهِۦ رَصَدٗا 27لِّيَعۡلَمَ أَن قَدۡ أَبۡلَغُواْ رِسَٰلَٰتِ رَبِّهِمۡ وَأَحَاطَ بِمَا لَدَيۡهِمۡ وَأَحۡصَىٰ كُلَّ شَيۡءٍ عَدَدَۢا28