Iron
الحَدِيد
الحَدید

सीखने के बिंदु
यह सूरह सभी के लिए अल्लाह पर सच्चा ईमान लाने और उसके दीन के लिए खड़े होने का आह्वान है।
मोमिनों से कहा गया है कि जब उन्हें कोई तकलीफ़ पहुँचे तो वे ज़्यादा उदास न हों, और जब उन्हें कोई नेमत मिले तो वे ज़्यादा प्रसन्न न हों, क्योंकि यह दुनिया महज़ एक आज़माइश है।
हर किसी को आख़िरत में इस दुनिया के उनके कर्मों और पसंद के आधार पर प्रतिफल मिलेगा या दंड दिया जाएगा।
मुनाफ़िक़ों को आख़िरत में एक ख़ौफ़नाक अज़ाब की चेतावनी दी गई है।
अल्लाह असीम ज्ञान और कुदरत का मालिक है।
अल्लाह का ज्ञान और शक्ति
1आकाशों और धरती में जो कुछ भी है, अल्लाह की तस्बीह करता है। और वह सर्वशक्तिमान, तत्वदर्शी है। 2आकाशों और धरती का राज्य उसी का है। वही जीवन देता है और मृत्यु देता है। और वह हर चीज़ पर सामर्थ्य रखता है। 3वही प्रथम है और अंतिम है, प्रकट है और अप्रकट है। और वह हर चीज़ को भली-भाँति जानता है। 4वही है जिसने आकाशों और धरती को छह दिनों में पैदा किया, फिर अर्श पर स्थापित हुआ। वह जानता है जो कुछ धरती में प्रवेश करता है और जो कुछ उससे निकलता है, और जो कुछ आकाश से उतरता है और जो कुछ उसमें चढ़ता है। और तुम जहाँ कहीं भी हो, वह तुम्हारे साथ है। और अल्लाह तुम्हारे सभी कर्मों को देखता है। 5आकाशों और धरती का राज्य उसी का है। और सभी मामले अल्लाह ही की ओर लौटाए जाते हैं। 6वह रात को दिन में दाखिल करता है और दिन को रात में। और वह खूब जानता है जो कुछ दिलों में पोशीदा है।
سَبَّحَ لِلَّهِ مَا فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۖ وَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلۡحَكِيمُ 1لَهُۥ مُلۡكُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۖ يُحۡيِۦ وَيُمِيتُۖ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ قَدِيرٌ 2هُوَ ٱلۡأَوَّلُ وَٱلۡأٓخِرُ وَٱلظَّٰهِرُ وَٱلۡبَاطِنُۖ وَهُوَ بِكُلِّ شَيۡءٍ عَلِيمٌ 3هُوَ ٱلَّذِي خَلَقَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ فِي سِتَّةِ أَيَّامٖ ثُمَّ ٱسۡتَوَىٰ عَلَى ٱلۡعَرۡشِۖ يَعۡلَمُ مَا يَلِجُ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَمَا يَخۡرُجُ مِنۡهَا وَمَا يَنزِلُ مِنَ ٱلسَّمَآءِ وَمَا يَعۡرُجُ فِيهَاۖ وَهُوَ مَعَكُمۡ أَيۡنَ مَا كُنتُمۡۚ وَٱللَّهُ بِمَا تَعۡمَلُونَ بَصِيرٞ 4لَّهُۥ مُلۡكُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ وَإِلَى ٱللَّهِ تُرۡجَعُ ٱلۡأُمُورُ 5يُولِجُ ٱلَّيۡلَ فِي ٱلنَّهَارِ وَيُولِجُ ٱلنَّهَارَ فِي ٱلَّيۡلِۚ وَهُوَ عَلِيمُۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ6
अल्लाह के मार्ग का समर्थन
7अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाओ, और उस माल में से खर्च करो जो उसने तुम्हें अमानत के तौर पर दिया है। तो तुम में से जो ईमान लाए और खर्च करें, उन्हें बहुत बड़ा अज्र (पुरस्कार) मिलेगा।
ءَامِنُواْ بِٱللَّهِ وَرَسُولِهِۦ وَأَنفِقُواْ مِمَّا جَعَلَكُم مُّسۡتَخۡلَفِينَ فِيهِۖ فَٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ مِنكُمۡ وَأَنفَقُواْ لَهُمۡ أَجۡرٞ كَبِيرٞ7
आप ईमान क्यों नहीं लाते?
8तुम्हें क्या हो गया है कि तुम अल्लाह पर ईमान नहीं लाते, जबकि रसूल तुम्हें तुम्हारे रब पर ईमान लाने के लिए बुला रहे हैं, और उसने तुमसे पहले ही प्रतिज्ञा ले ली है, यदि तुम (वास्तव में) ईमान लाने वाले हो। 9वही है जो अपने बंदे मुहम्मद पर स्पष्ट आयतें उतारता है, ताकि तुम्हें अंधेरों से निकालकर रोशनी में लाए। निःसंदेह अल्लाह तुम्हारे प्रति अत्यंत दयालु और परम कृपालु है।
وَمَا لَكُمۡ لَا تُؤۡمِنُونَ بِٱللَّهِ وَٱلرَّسُولُ يَدۡعُوكُمۡ لِتُؤۡمِنُواْ بِرَبِّكُمۡ وَقَدۡ أَخَذَ مِيثَٰقَكُمۡ إِن كُنتُم مُّؤۡمِنِينَ 8هُوَ ٱلَّذِي يُنَزِّلُ عَلَىٰ عَبۡدِهِۦٓ ءَايَٰتِۢ بَيِّنَٰتٖ لِّيُخۡرِجَكُم مِّنَ ٱلظُّلُمَٰتِ إِلَى ٱلنُّورِۚ وَإِنَّ ٱللَّهَ بِكُمۡ لَرَءُوفٞ رَّحِيمٞ9
आप सदक़ा क्यों नहीं देते?
10और तुम अल्लाह के मार्ग में क्यों न खर्च करो, जबकि आकाश और पृथ्वी अल्लाह के ही तो हैं? तुम में से वे लोग जिन्होंने विजय से पहले खर्च किया और युद्ध किया, प्रतिफल में उनके बराबर कोई नहीं। वे उन लोगों से दर्जे में बहुत ऊँचे हैं जिन्होंने बाद में खर्च किया और युद्ध किया। फिर भी अल्लाह ने प्रत्येक से एक महान प्रतिफल का वादा किया है। और अल्लाह भली-भाँति जानता है जो तुम करते हो।
وَمَا لَكُمۡ أَلَّا تُنفِقُواْ فِي سَبِيلِ ٱللَّهِ وَلِلَّهِ مِيرَٰثُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ لَا يَسۡتَوِي مِنكُم مَّنۡ أَنفَقَ مِن قَبۡلِ ٱلۡفَتۡحِ وَقَٰتَلَۚ أُوْلَٰٓئِكَ أَعۡظَمُ دَرَجَةٗ مِّنَ ٱلَّذِينَ أَنفَقُواْ مِنۢ بَعۡدُ وَقَٰتَلُواْۚ وَكُلّٗا وَعَدَ ٱللَّهُ ٱلۡحُسۡنَىٰۚ وَٱللَّهُ بِمَا تَعۡمَلُونَ خَبِيرٞ10
सखी के लिए सखी सवाब
11कौन है जो अल्लाह को अच्छा कर्ज़ देगा जिसे वह उनके लिए कई गुना बढ़ाएगा, और उनके लिए बड़ा प्रतिफल होगा? 12उस दिन तुम ईमान वाले पुरुषों और स्त्रियों को देखोगे कि उनका नूर उनके आगे और उनके दाहिनी ओर दौड़ रहा होगा। उनसे कहा जाएगा, "आज तुम्हें उन बाग़ों की शुभ सूचना है जिनके नीचे नहरें बहती हैं, जिनमें तुम सदा रहोगे। यही वास्तव में सबसे बड़ी सफलता है।"
مَّن ذَا ٱلَّذِي يُقۡرِضُ ٱللَّهَ قَرۡضًا حَسَنٗا فَيُضَٰعِفَهُۥ لَهُۥ وَلَهُۥٓ أَجۡرٞ كَرِيمٞ 11يَوۡمَ تَرَى ٱلۡمُؤۡمِنِينَ وَٱلۡمُؤۡمِنَٰتِ يَسۡعَىٰ نُورُهُم بَيۡنَ أَيۡدِيهِمۡ وَبِأَيۡمَٰنِهِمۖ بُشۡرَىٰكُمُ ٱلۡيَوۡمَ جَنَّٰتٞ تَجۡرِي مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَٰرُ خَٰلِدِينَ فِيهَاۚ ذَٰلِكَ هُوَ ٱلۡفَوۡزُ ٱلۡعَظِيمُ12

ज्ञान की बातें
मुनाफ़िक़ (अरबी में 'कपटी' या 'पाखंडी') ना-फ़ा-क़ा मूल से आया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है 'एक रेगिस्तानी चूहे का दो मुँह वाली सुरंग (नफ़क़) खोदना, जिसमें एक प्रवेश द्वार हो और दूसरा फँसने से बचने के लिए एक छिपा हुआ निकास हो।' एक कपटी या पाखंडी वह व्यक्ति होता है जिसके दो चेहरे होते हैं, जो आपका दोस्त होने का ढोंग करता है लेकिन आपकी पीठ पीछे आपके खिलाफ बोलता और साज़िशें रचता है।
मक्की सूरह में मुनाफ़िक़ों के बारे में बात नहीं की जाती क्योंकि वे मक्का में मौजूद नहीं थे। यदि कोई शुरुआती मुसलमानों को पसंद नहीं करता था (जब वे संख्या में कम थे), तो वे सार्वजनिक रूप से उन्हें गाली देने और उनका मज़ाक उड़ाने से डरते नहीं थे। जब मदीना में मुस्लिम समुदाय मजबूत हो गया, तो उनके दुश्मनों ने खुले तौर पर उन्हें गाली देने या उनका मज़ाक उड़ाने की हिम्मत नहीं की। उन्होंने मुस्लिम समुदाय का हिस्सा होने का ढोंग किया, लेकिन गुप्त रूप से इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ काम किया। यही कारण है कि कई मदनी सूरह (इस सूरह की तरह) मुनाफ़िक़ों, मुस्लिम समुदाय के प्रति उनके रवैये और क़यामत के दिन उनकी सज़ा के बारे में बात करते हैं।
मुनाफ़िक़ अंधेरे में भटके हुए
13उस दिन मुनाफ़िक़ पुरुष और स्त्रियाँ ईमानवालों से गिड़गिड़ाकर कहेंगे, "हमारे लिए ठहर जाओ ताकि हम तुम्हारे नूर में से कुछ ले लें।" उपहासपूर्वक कहा जाएगा, "पीछे 'दुनिया में' लौट जाओ और 'वहाँ' प्रकाश ढूँढो!" फिर उनके बीच एक 'अलग करने वाली' दीवार खड़ी कर दी जाएगी जिसका एक दरवाज़ा होगा। उसकी अंदरूनी तरफ़ रहमत होगी और बाहरी तरफ़ अज़ाब। 14वे 'मुनाफ़िक़' जिन्हें अज़ाब दिया जाएगा, उन 'ईमानवालों' से पुकार कर कहेंगे जिन्हें रहमत मिलेगी, "क्या हम तुम्हारे साथ नहीं थे?" वे जवाब देंगे, "हाँ 'तुम थे'। लेकिन तुमने स्वयं को 'कपट में डाला', 'हमारे लिए बुराई की प्रतीक्षा की', 'सत्य पर संदेह किया', और झूठी आशाओं से धोखा खा गए जब तक कि अल्लाह का 'तुम्हारी मृत्यु का' आदेश नहीं आ गया। और 'इस तरह' 'सबसे बड़े धोखेबाज़' ने तुम्हें अल्लाह के बारे में धोखे में रखा।" 15तो आज तुमसे 'मुनाफ़िक़ों' से कोई फ़िदिया स्वीकार नहीं किया जाएगा और न ही काफ़िरों से 'सज़ा रोकने के लिए'। तुम्हारा ठिकाना आग है -- वही तुम्हारे लिए 'एकमात्र' उचित स्थान है। क्या ही बुरा ठिकाना है!
يَوۡمَ يَقُولُ ٱلۡمُنَٰفِقُونَ وَٱلۡمُنَٰفِقَٰتُ لِلَّذِينَ ءَامَنُواْ ٱنظُرُونَا نَقۡتَبِسۡ مِن نُّورِكُمۡ قِيلَ ٱرۡجِعُواْ وَرَآءَكُمۡ فَٱلۡتَمِسُواْ نُورٗاۖ فَضُرِبَ بَيۡنَهُم بِسُورٖ لَّهُۥ بَابُۢ بَاطِنُهُۥ فِيهِ ٱلرَّحۡمَةُ وَظَٰهِرُهُۥ مِن قِبَلِهِ ٱلۡعَذَابُ 13يُنَادُونَهُمۡ أَلَمۡ نَكُن مَّعَكُمۡۖ قَالُواْ بَلَىٰ وَلَٰكِنَّكُمۡ فَتَنتُمۡ أَنفُسَكُمۡ وَتَرَبَّصۡتُمۡ وَٱرۡتَبۡتُمۡ وَغَرَّتۡكُمُ ٱلۡأَمَانِيُّ حَتَّىٰ جَآءَ أَمۡرُ ٱللَّهِ وَغَرَّكُم بِٱللَّهِ ٱلۡغَرُورُ 14فَٱلۡيَوۡمَ لَا يُؤۡخَذُ مِنكُمۡ فِدۡيَةٞ وَلَا مِنَ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْۚ مَأۡوَىٰكُمُ ٱلنَّارُۖ هِيَ مَوۡلَىٰكُمۡۖ وَبِئۡسَ ٱلۡمَصِيرُ15

छोटी कहानी
एक काल्पनिक कहानी के अनुसार, एक वैज्ञानिक था जो मेंढकों पर प्रयोग करता था। एक दिन, उसने एक मेंढक को गर्म पानी से भरे एक पैन में डालने की कोशिश की, मेंढक ने गर्मी महसूस की और तुरंत बाहर कूद गया। लेकिन बाद में, उसने पैन को नल के सामान्य पानी से भरा, मेंढक को पैन के अंदर रखा, फिर उसे बहुत कम तापमान पर चूल्हे पर रख दिया। फिर उसने धीरे-धीरे आंच बढ़ाई। मेंढक बाहर नहीं कूदा, बल्कि बढ़ते तापमान के अनुसार अपने शरीर का तापमान समायोजित करने लगा। अंततः, मेंढक धीरे-धीरे उबलकर मर गया।


ज्ञान की बातें
कभी-कभी दिल जंग खा जाते हैं, खासकर जब हम किसी अच्छी या बुरी चीज़ के आदी हो जाते हैं। जब हम पहली बार कुछ अच्छा करते हैं, तो हम बहुत उत्साहित होते हैं। फिर अगर हम इसे कई बार करते हैं, तो आमतौर पर ऊब जाते हैं। यही बात तब भी होती है जब हम पहली बार कुछ गलत करते हैं। हमें इसके बारे में इतना बुरा लगता है कि रात को नींद नहीं आती। लेकिन अगर हम इस बुरी चीज़ को बार-बार करते हैं, तो हमें अब बुरा नहीं लगता। एक अच्छा व्यक्ति बैंक लूटने से मना कर देगा। लेकिन अगर आप उन्हें एक पेंसिल चुराने के लिए मना लेते हैं और वे चोरी करने के आदी हो जाते हैं, तो एक चीज़ दूसरी चीज़ की ओर ले जाती है, और अंततः उन्हें बैंक लूटने में बुरा नहीं लगेगा। यह कई चीज़ों पर लागू होता है, जिनमें सिगरेट पीना और नशीले पदार्थों का सेवन करना शामिल है। हम सभी 'उबलते मेंढक के प्रयोग' से सबक ले सकते हैं।

यह बताता है कि अल्लाह हमें बुराई के करीब न जाने के लिए क्यों कह रहा है, क्योंकि एक बार जब हम इसके आदी हो जाते हैं, तो इसमें और गहराई तक गिरना आसान हो जाता है। उदाहरण के लिए, अल्लाह कहता है (6:151), "बुरे कामों के करीब मत जाओ," और (17:34), "अनाथों के धन के करीब मत जाओ," और (17:32), "अवैध संबंधों के करीब मत जाओ।" पैगंबर आदम अलैहिस्सलाम को बताया गया था (2:35), "वर्जित पेड़ के करीब मत जाओ।" हम निश्चित रूप से नहीं जानते कि आदम अलैहिस्सलाम ने कब पेड़ से खाया, लेकिन सबसे अधिक संभावना है कि यह उसी दिन नहीं था जब उन्हें अल्लाह से आदेश मिला था। शायद दूसरे दिन शैतान ने उनसे फुसफुसाकर कहा कि उस पेड़ को दूर से देखें कि वह कितना सुंदर था। फिर शायद तीसरे दिन शैतान ने उनसे कहा, "करीब आओ! यह काटेगा नहीं, मैं वादा करता हूँ।" फिर शायद चौथे दिन उसने उनसे फल को छूने के लिए कहा। और अंत में, शायद आदम ने पांचवें दिन पेड़ से खाया।


पृष्ठभूमि की कहानी
कुछ विद्वानों के अनुसार, यह अंश पैगंबर के साथियों के मदीना हिजरत करने के बाद नाज़िल हुआ। जल्द ही, उनमें से कुछ आरामदायक जीवन के आदी हो गए और चीज़ों को नियमित रूप से करने लगे तथा हँसी-मज़ाक करने लगे। तो, अगली दो आयतें नाज़िल हुईं, उनसे यह कहने के लिए कि वे अपने ईमान को उतनी ही गंभीरता से लें जितनी गंभीरता से वे मक्का में लेते थे। उन्हें यह भी बताया गया कि अल्लाह कुरान के माध्यम से उनके दिलों में ईमान को फिर से ताज़ा करने में सक्षम है, ठीक वैसे ही जैसे वह बारिश के माध्यम से धरती को जीवन देता है। (इमाम मुस्लिम और इमाम इब्न कथीर द्वारा दर्ज किया गया है।)
कठोर दिल
16क्या ईमानवालों के लिए वह समय अभी तक नहीं आया कि उनके दिल अल्लाह की याद से और उस सत्य से जो अवतरित हुआ है, झुक जाएँ? और वे उन लोगों की तरह न हों जिन्हें उनसे पहले किताब दी गई थी, जिन पर लंबी मुद्दत गुज़र गई तो उनके दिल सख़्त हो गए? और उनमें से बहुत से तो फ़ासिक़ हैं। 17जान लो कि अल्लाह धरती को उसकी मृत्यु के बाद जीवन देता है। हमने तुम्हारे लिए निशानियाँ साफ़-साफ़ बयान कर दी हैं ताकि तुम समझो।
۞ أَلَمۡ يَأۡنِ لِلَّذِينَ ءَامَنُوٓاْ أَن تَخۡشَعَ قُلُوبُهُمۡ لِذِكۡرِ ٱللَّهِ وَمَا نَزَلَ مِنَ ٱلۡحَقِّ وَلَا يَكُونُواْ كَٱلَّذِينَ أُوتُواْ ٱلۡكِتَٰبَ مِن قَبۡلُ فَطَالَ عَلَيۡهِمُ ٱلۡأَمَدُ فَقَسَتۡ قُلُوبُهُمۡۖ وَكَثِيرٞ مِّنۡهُمۡ فَٰسِقُونَ 16ٱعۡلَمُوٓاْ أَنَّ ٱللَّهَ يُحۡيِ ٱلۡأَرۡضَ بَعۡدَ مَوۡتِهَاۚ قَدۡ بَيَّنَّا لَكُمُ ٱلۡأٓيَٰتِ لَعَلَّكُمۡ تَعۡقِلُونَ ١٧17
आयत 16: वे अब अल्लाह की आज्ञा नहीं मानते, और हमेशा उनके नियमों को तोड़ते हैं।
मोमिनों का सवाब
18बेशक, जो पुरुष और स्त्रियाँ सदक़ा देते हैं और अल्लाह को नेक क़र्ज़ देते हैं, उनके लिए उसे कई गुना बढ़ा दिया जाएगा, और उनके लिए एक उत्तम प्रतिफल होगा। 19और जो लोग अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाते हैं, वे ही सच्चे लोग हैं। और जो लोग अल्लाह की राह में शहीद हुए, उनके लिए उनके रब के पास उनका प्रतिफल और उनका नूर होगा। लेकिन जो लोग कुफ़्र करते हैं और हमारी आयतों को झुठलाते हैं, वे ही जहन्नम वाले होंगे।
إِنَّ ٱلۡمُصَّدِّقِينَ وَٱلۡمُصَّدِّقَٰتِ وَأَقۡرَضُواْ ٱللَّهَ قَرۡضًا حَسَنٗا يُضَٰعَفُ لَهُمۡ وَلَهُمۡ أَجۡرٞ كَرِيمٞ 18وَٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ بِٱللَّهِ وَرُسُلِهِۦٓ أُوْلَٰٓئِكَ هُمُ ٱلصِّدِّيقُونَۖ وَٱلشُّهَدَآءُ عِندَ رَبِّهِمۡ لَهُمۡ أَجۡرُهُمۡ وَنُورُهُمۡۖ وَٱلَّذِينَ كَفَرُواْ وَكَذَّبُواْ بَِٔايَٰتِنَآ أُوْلَٰٓئِكَ أَصۡحَٰبُ ٱلۡجَحِيمِ19

छोटी कहानी
एक धूप वाले दिन अमन जंगल में चल रहा था, तभी उसने एक गुस्से में भरे शेर को अपनी ओर आते देखा। वह आदमी भागने लगा, और जल्द ही उसे अपने सामने एक कुआँ मिला, तो वह उसमें कूद गया और एक रस्सी से लटकी एक बड़ी बाल्टी में जा गिरा। वह आदमी खुश था कि वह अब शेर से सुरक्षित है, लेकिन जब उसने कुएँ के तल पर देखा, तो उसे एक साँप दिखा जो उसे निगलने के लिए काफी बड़ा था। स्थिति को और बदतर बनाने के लिए, दो चूहे - एक काला और एक सफेद - रस्सी पर चढ़ गए और उसे कुतरने लगे। वह आदमी घबरा गया, लेकिन वह शेर के कारण ऊपर नहीं जा सकता था और साँप के कारण नीचे नहीं जा सकता था। तो वह डर के मारे दाएँ-बाएँ झूलने लगा। हालाँकि, उसने कुएँ के किनारे पर एक मधुमक्खी का छत्ता देखा। उसने शहद चखा और उसे बहुत मीठा लगा। तो, वह शेर, साँप और चूहों के बारे में पूरी तरह भूल गया और शहद खाता रहा। अचानक, वह जाग गया। यह एक बुरा सपना निकला। उसने एक इमाम से अपने सपने का अर्थ पूछा, और इमाम ने कहा, "शेर मौत का फरिश्ता है, साँप तुम्हारी कब्र है, और दो चूहे दिन और रात हैं, जो तुम्हारी ज़िंदगी को कुतर रहे हैं।" आदमी ने फिर पूछा, "शहद के बारे में क्या?" इमाम ने कहा, "यह इस दुनिया में आनंद का केवल एक भ्रम है।"

एक परिवार ने ईद अल-अधा (बलिदान का पर्व) से एक महीने पहले कुर्बानी के लिए एक भेड़ खरीदी। बच्चों को वह बहुत पसंद आया। उन्होंने उसका नाम ज़ीज़ो रखा। उन्होंने उसे अपने खिलौनों वाले कमरे में रखा, उसके लिए एक अच्छा बिस्तर लगाया, और उसे बहुत खास महसूस कराया। हर दिन, वे ज़ीज़ो को बबल बाथ देते थे, और उसके लिए मज़ेदार कार्टून चलाते थे। उन्होंने उसके लिए मेज पर एक सीट भी आरक्षित की, और उसे वह सारा खाना परोसा जो उसे पसंद था। ईद के दिन, वे नमाज़ से घर लौटे, और ज़ीज़ो के साथ बालकनी में खड़े हो गए। उन्होंने अपने पड़ोसियों को देखना शुरू किया जब वे अपनी भेड़ों को कुर्बानी के लिए ले जा रहे थे। ज़ीज़ो ने उन भेड़ों को देखा और उदास महसूस किया। बच्चों ने ज़ीज़ो से पूछा कि वह खुश क्यों नहीं है, और उसने कहा, "क्योंकि हम सबके पास कुर्बानी के लिए एक भेड़ है, सिवाय हमारे!"

इस सूरह की आयतों 20-21 के अनुसार, बहुत से लोग इस दुनिया के जीवन से विचलित हो जाते हैं। तो, वे पूरी तरह भूल जाते हैं कि वे कौन हैं और वे यहाँ किस लिए हैं।

ज्ञान की बातें
आयत 21 के अनुसार, एक बार जब हम जीवन का उद्देश्य समझ जाते हैं, तो हम कड़ी मेहनत करेंगे, बड़ा सोचेंगे और ऊँचा लक्ष्य रखेंगे।
1. पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया, "जब तुम अल्लाह से जन्नत के लिए दुआ करो, तो अल-फिरदौस मांगो, जो जन्नत में सबसे अच्छी और सबसे ऊँची जगह है।" {इमाम अल-बुखारी द्वारा दर्ज} यदि तुम अल-फिरदौस का लक्ष्य रखते हो और चूक जाते हो, तो तुम शीर्ष के करीब कहीं उतरोगे। लेकिन यदि तुम जन्नत के निचले हिस्से का लक्ष्य रखते हो और चूक जाते हो, तो तुम बड़ी मुसीबत में पड़ जाओगे। इसी तरह, यदि तुम एक छात्र हो और A+ का लक्ष्य रखते हो और चूक जाते हो, तो तुम्हें A- मिल सकता है। लेकिन यदि तुम्हारा लक्ष्य B- है और चूक जाते हो, तो तुम्हें F मिल सकता है।

2. अपने लिए लक्ष्य निर्धारित करें। हर दिन 10-15 मिनट के लिए भी नए कौशल सीखने का प्रयास करें। उदाहरण के लिए, जनवरी से अप्रैल तक, टाइपिंग सीखने का प्रयास करें; मई से अगस्त तक, कोडिंग सीखने का प्रयास करें; और इसी तरह। दूसरी भाषा सीखना (विशेषकर आपके माता-पिता की भाषा) एक बेहतरीन निवेश है। यदि आप आज भी वही हैं जो आप 5 साल पहले थे, तो आप उस छात्र की तरह होंगे जिसने कक्षा 4 में 5 साल बिताए।
3. इसे ध्यान में रखते हुए, आपको एक विरासत छोड़ने का प्रयास करना चाहिए - कुछ ऐसा जिसमें आप अच्छे हों, जिससे दूसरों को लाभ हो और जिसके लिए आपको याद किया जाएगा। उदाहरण के लिए, अबू बक्र अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते थे, उमर अपने न्याय के लिए, उस्मान अपनी उदारता के लिए, अली अपनी बहादुरी के लिए, इब्न अब्बास अपने ज्ञान के लिए, खदीजा अपनी दयालुता के लिए, और इसी तरह।
आइए कुछ ऐसे मुसलमानों को देखें जिन्होंने एक महान विरासत छोड़ी।
.1सअद इब्न मुआज़, पैगंबर के महान साथियों में से एक जिन्होंने मदीना में इस्लाम का पूर्ण समर्थन किया, जब उनकी मृत्यु हुई तब वे केवल 36 वर्ष के थे। पैगंबर ने कहा कि उनके जनाज़े के लिए 70,000 फ़रिश्ते उतरे थे। (इमाम अन-नसाई द्वारा दर्ज)
2इमाम अन-नवावी, इस्लाम के महानतम विद्वानों में से एक, जिन्होंने 'द 40 नवावीज़' और 'रियाज़ अस-सालिहीन' सहित कई किताबें लिखीं, जब उनकी मृत्यु हुई तब वे केवल 45 वर्ष के थे।
3.सिबवैह, अरबी व्याकरण के महान उस्ताद, का 32 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
.4.हालांकि मुहम्मद सिद्दीक़ अल-मिनशावी का 1969 में 49 वर्ष की आयु में निधन हो गया, फिर भी वे अब तक के कुरान के सर्वश्रेष्ठ पाठकों में से एक हैं।
.सूरह 68 (अल-क़लम) में, आप मैल्कम एक्स (अमेरिकी इतिहास के महानतम मुस्लिम नेताओं में से एक) के बारे में पढ़ने जा रहे हैं, जिनका 1965 में 39 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
अबुल-कासिम अश-शाब्बी ट्यूनीशिया के इतिहास के सबसे महान कवि हैं। ट्यूनीशिया का राष्ट्रगान उन्हीं ने लिखा था। 1934 में जब उनका निधन हुआ, तब वे केवल 2 वर्ष के थे।
इन सभी महान लोगों में एक बात समान थी: उन्होंने वर्षों की गिनती नहीं की; उन्होंने वर्षों को सार्थक बनाया।
4. आपकी विरासत क्या है? स्वयंसेवा करना? सदक़ा देना? अपनी नमाज़ समय पर अदा करना? गरीबों को खाना खिलाना? अनाथों की देखभाल करना? स्कूल में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना? अल्लाह के साथ आपकी विरासत कुछ छोटा सा हो सकता है जो आप नियमित रूप से करते हैं, जैसे दूसरों के लिए दरवाज़ा खुला रखना, और लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाना।

छोटी कहानी
यह मिस्र के एक छोटे से गाँव में पैदा हुए एक लड़के की कहानी है। उसे स्कूल नहीं जाना था, ठीक वैसे ही जैसे उसके परिवार के बाकी सदस्य और गाँव के अन्य किसान। उसकी माँ ने उसे स्कूल भेजने के लिए बहुत संघर्ष किया। उसके गाँव में कोई स्कूल न होने के कारण, उसे हर दिन एक घंटा स्कूल जाने और एक घंटा वापस आने के लिए पैदल चलना पड़ता था। हालाँकि वह अपनी कक्षा का सबसे मेधावी छात्र था, फिर भी उसके पिता हमेशा उसे स्कूल छोड़ने और खेत में मदद करने के लिए कहते थे। लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। उसने 12 साल की उम्र में कुरान को कंठस्थ करना पूरा किया। हाई स्कूल के बाद, वह दुनिया के सबसे अच्छे इस्लामी स्कूल, अल-अजहर में अंग्रेजी में इस्लाम का अध्ययन करने के लिए काहिरा के एक कॉलेज में चला गया। लेकिन एक छोटी सी समस्या थी: उसकी अंग्रेजी बहुत खराब थी। हाई स्कूल में, उन्हें 'stomach' का उच्चारण /स्टू-मच/, 'delicious' का /दिलिक-वास/, और 'experience' का /एक्स-अपी-रन्स/ करना सिखाया गया था। उसके कुछ सहपाठियों ने उसके उच्चारण का मज़ाक उड़ाया। एक दिन, उसने इसके बारे में कुछ करने का फैसला किया। उसने अपनी कक्षा के एक मेधावी छात्र, मिस्टर एम. से पूछा कि क्या वे हर दिन 10 मिनट अंग्रेजी में बात कर सकते हैं। मिस्टर एम. ने कहा, "नहीं! तुम्हारी अंग्रेजी बहुत खराब है। यह एक निराशाजनक मामला है!" उस रात, यह गाँव का लड़का सोने से पहले प्रार्थना की, "हे अल्लाह! तुम पूरे ब्रह्मांड के रब हो। तुमने आसमानों और ज़मीन को बनाया है। तो, कृपया मेरे लिए अंग्रेजी आसान कर दो। और मैं वादा करता हूँ कि मैं इसका उपयोग लोगों को इस्लाम के बारे में सिखाने के लिए करूँगा।" हर दिन, उसने अंग्रेजी सीखने के लिए हर संभव प्रयास किया। चार साल बाद, उसने सम्मान के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की, पूरे अंग्रेजी विभाग में शीर्ष छात्र के रूप में। मिस्टर एम. पास नहीं हो पाए, इसलिए उन्हें फिर से परीक्षा देनी पड़ी। इसके तुरंत बाद, उस गाँव के लड़के को अल-अजहर विश्वविद्यालय में अंग्रेजी में इस्लामी अध्ययन के व्याख्याता के रूप में नियुक्त किया गया। बाद में उन्होंने अपनी मास्टर और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की, जो इस क्षेत्र की सर्वोच्च डिग्रियाँ हैं। फिर वह मुसलमानों और गैर-मुसलमानों दोनों को इस्लाम के बारे में सिखाने के लिए उत्तरी अमेरिका चले गए। उनके अनुवाद, 'द क्लियर कुरान' ने, अल्लाह की किताब को दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए सुलभ बना दिया है। माना जाता है कि यह कुरान का पहला अनुवाद है जो कनाडाई इतिहास में कभी पूरा और प्रकाशित हुआ। यदि आप अभी यह किताब पकड़े हुए हैं, तो आप उनकी किताबों में से एक पढ़ रहे हैं।


छोटी ज़िंदगी बनाम आख़िरत की ज़िंदगी
20जान लो कि यह सांसारिक जीवन मात्र खेल, तमाशा, सजावट, आपस में एक-दूसरे पर बड़ाई जताना और धन तथा संतान में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ है। यह उस वर्षा के समान है जिससे पौधे उगते हैं और किसानों को प्रसन्न करते हैं, फिर वे पौधे सूख जाते हैं और तुम उन्हें पीला पड़ते देखते हो, फिर वे टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं। और आख़िरत में या तो कठोर दंड होगा या अल्लाह की ओर से क्षमा और उसकी प्रसन्नता, जबकि यह सांसारिक जीवन धोखे के सामान के सिवा कुछ नहीं है। 21तो अपने रब की माफ़ी और उस जन्नत के लिए एक-दूसरे से आगे बढ़ो जो आकाशों और धरती जितनी विशाल है, जो उन लोगों के लिए तैयार की गई है जो अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाते हैं। यह अल्लाह का फ़ज़ल है। वह जिसे चाहता है उसे देता है। और अल्लाह बड़े फ़ज़ल वाला है।
ٱعۡلَمُوٓاْ أَنَّمَا ٱلۡحَيَوٰةُ ٱلدُّنۡيَا لَعِبٞ وَلَهۡوٞ وَزِينَةٞ وَتَفَاخُرُۢ بَيۡنَكُمۡ وَتَكَاثُرٞ فِي ٱلۡأَمۡوَٰلِ وَٱلۡأَوۡلَٰدِۖ كَمَثَلِ غَيۡثٍ أَعۡجَبَ ٱلۡكُفَّارَ نَبَاتُهُۥ ثُمَّ يَهِيجُ فَتَرَىٰهُ مُصۡفَرّٗا ثُمَّ يَكُونُ حُطَٰمٗاۖ وَفِي ٱلۡأٓخِرَةِ عَذَابٞ شَدِيدٞ وَمَغۡفِرَةٞ مِّنَ ٱللَّهِ وَرِضۡوَٰنٞۚ وَمَا ٱلۡحَيَوٰةُ ٱلدُّنۡيَآ إِلَّا مَتَٰعُ ٱلۡغُرُورِ 20سَابِقُوٓاْ إِلَىٰ مَغۡفِرَةٖ مِّن رَّبِّكُمۡ وَجَنَّةٍ عَرۡضُهَا كَعَرۡضِ ٱلسَّمَآءِ وَٱلۡأَرۡضِ أُعِدَّتۡ لِلَّذِينَ ءَامَنُواْ بِٱللَّهِ وَرُسُلِهِۦۚ ذَٰلِكَ فَضۡلُ ٱللَّهِ يُؤۡتِيهِ مَن يَشَآءُۚ وَٱللَّهُ ذُو ٱلۡفَضۡلِ ٱلۡعَظِيمِ21

छोटी कहानी
एक बार की बात है, एक बूढ़े आदमी को सड़क से उठाया गया और गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया। उसने ऑपरेशन थिएटर में अपनी आँखें खोलीं और डॉक्टरों तथा नर्सों को घबराया हुआ देखा क्योंकि वे उसके बारे में कुछ नहीं जानते थे - उसका नाम, ब्लड ग्रुप, या मेडिकल हिस्ट्री। उन्हें आश्वस्त करने के लिए, उसने अपना ऑक्सीजन मास्क उठाया और कई बार फुसफुसाया, "बी पॉज़िटिव!" उसकी मृत्यु के बाद, डॉक्टरों और नर्सों ने हमेशा इस बात की सराहना की कि वह चाहते थे कि वे सकारात्मक रहें। उसके अंतिम संस्कार के बाद ही उन्हें एहसास हुआ कि वह वास्तव में उन्हें सकारात्मक रहने के लिए नहीं कह रहा था - वह बस उन्हें अपना ब्लड ग्रुप, बी पॉज़िटिव (B+) बताने की कोशिश कर रहा था।


ज्ञान की बातें
यह दुनिया जन्नत नहीं है। इसलिए, आपको अपने साथ अच्छी और बुरी दोनों चीजें होने की उम्मीद करनी चाहिए। यदि आप सोचते हैं कि आपको परखा नहीं जाना चाहिए क्योंकि आप एक अच्छे इंसान हैं, तो आप उस आदमी की तरह होंगे जो यह उम्मीद करता है कि एक बैल उस पर हमला नहीं करेगा क्योंकि वह शाकाहारी है!
हमें उन इम्तिहानों से सीखना चाहिए जिनसे अल्लाह हमें गुज़ारता है। हर बार जब एक पेंसिल को दर्दनाक तरीके से तराशा जाता है, तो वह बेहतर लिखती है।

हमें धन और स्वास्थ्य के साथ-साथ गरीबी और बीमारी से भी परखा जाएगा। ये इम्तिहान दिखाते हैं कि हम वास्तव में कौन हैं। यदि आप एक ताज़े संतरे को निचोड़ते हैं, तो आपको संतरे का रस मिलेगा, क्योंकि यही उसके अंदर है। लेकिन यदि आप एक सड़े हुए टमाटर को निचोड़ते हैं, तो आपको केवल बदबूदार रस मिलेगा। अब, जब जीवन आपको निचोड़ता है तो क्या निकलता है? धैर्य, साहस, उदारता और कृतज्ञता, या क्रोध, भय, स्वार्थ और ईर्ष्या? जो निकलता है वही वास्तव में हमारे दिलों के अंदर है।

छोटी कहानी
पैगंबर के 3 बेटे और 4 बेटियाँ थीं। उनकी बेटी फ़ातिमा को छोड़कर, वे सभी उनके जीवनकाल में ही चल बसे। उन्होंने अपनी प्यारी पत्नी खदीजा और अपने चाचा अबू तालिब को भी खो दिया, और कई अन्य चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना किया। फिर भी, उनके साथियों ने कहा, "अल्लाह की क़सम! हमने उनसे ज़्यादा मुस्कुराने वाला कोई नहीं देखा।" {इमाम अत-तिर्मिज़ी द्वारा दर्ज}
एक राजा था जो हमेशा अपने सबसे अच्छे सहायक, सादिक़ के साथ शिकार पर जाता था। राजा ने महसूस किया कि जब भी कुछ बुरा होता था, सादिक़ मुस्कुराता और कहता, "कोई बात नहीं। शायद यह एक अच्छी बात है।" एक दिन वे शिकार पर गए, और राजा ने गलती से अपनी उंगली काट ली। हमेशा की तरह, सादिक़ मुस्कुराया और कहा, "कोई बात नहीं। शायद यह एक अच्छी बात है।" दर्द में डूबा राजा बहुत क्रोधित हो गया। महल लौटने के बाद, उसने अपने पहरेदारों को सादिक़ को जेल में डालने का आदेश दिया। फिर से, सादिक़ मुस्कुराया और कहा, "कोई बात नहीं। शायद यह एक अच्छी बात है।" बाद में, राजा अकेले शिकार पर गया, और जंगल में लोगों के एक समूह द्वारा उसका अपहरण कर लिया गया। वे उसे मानव बलि के रूप में चढ़ाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने उसे तुरंत छोड़ दिया क्योंकि उसकी कटी हुई उंगली उसे बलि के लिए अनुपयुक्त बनाती थी। वह अपने चेहरे पर मुस्कान के साथ महल लौटा, और सादिक़ को रिहा करने का आदेश दिया। राजा ने उससे पूछा, "मैं अब समझ गया कि मेरी कटी हुई उंगली मेरे लिए क्यों अच्छी थी, लेकिन तुम्हारी जेल तुम्हारे लिए कैसे अच्छी थी?" सादिक़ ने उत्तर दिया, "अगर मैं तुम्हारे साथ जाता, तो वे तुम्हारी जगह मेरी बलि चढ़ा देते, क्योंकि मेरी कोई उंगली कटी हुई नहीं है!"

निम्नलिखित अंश हमें अच्छे समय में आभारी रहने और कठिन समय में धैर्य रखने की शिक्षा देता है। क्योंकि हम भरोसा करते हैं कि अल्लाह हमारे लिए सबसे अच्छा करता है।
सब कुछ लिखा हुआ है
22पृथ्वी पर या तुम्हारी जानों में जो भी आपदा 'या सौभाग्य' घटित होता है, वह एक आसमानी किताब में पहले ही 'लिखा' हुआ है, इससे पहले कि हम उसे अस्तित्व में लाएँ। यह अल्लाह के लिए निश्चय ही आसान है। 23'हमने तुम्हें यह इसलिए बताया है' ताकि तुम उस पर बहुत दुखी न हो जो तुमसे छूट गया है और न उस पर बहुत खुश हो जो उसने तुम्हें दिया है। और अल्लाह किसी घमंडी, दिखावा करने वाले को पसंद नहीं करता- 24जो खर्च करने को तैयार नहीं होते और दूसरों को खर्च करने से रोकते हैं। और जो कोई मुँह मोड़ता है 'उसे जानना चाहिए कि' अल्लाह बेनियाज़ है और वह प्रशंसा का पात्र है।
مَآ أَصَابَ مِن مُّصِيبَةٖ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَلَا فِيٓ أَنفُسِكُمۡ إِلَّا فِي كِتَٰبٖ مِّن قَبۡلِ أَن نَّبۡرَأَهَآۚ إِنَّ ذَٰلِكَ عَلَى ٱللَّهِ يَسِيرٞ 22لِّكَيۡلَا تَأۡسَوۡاْ عَلَىٰ مَا فَاتَكُمۡ وَلَا تَفۡرَحُواْ بِمَآ ءَاتَىٰكُمۡۗ وَٱللَّهُ لَا يُحِبُّ كُلَّ مُخۡتَالٖ فَخُورٍ 23ٱلَّذِينَ يَبۡخَلُونَ وَيَأۡمُرُونَ ٱلنَّاسَ بِٱلۡبُخۡلِۗ وَمَن يَتَوَلَّ فَإِنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلۡغَنِيُّ ٱلۡحَمِيدُ24

ज्ञान की बातें
आयत 25 के अनुसार, अल्लाह ने धरती पर न्याय स्थापित करने के लिए नबियों और वहियों को भेजा। अब, दुनिया में इतनी पीड़ा का मुख्य कारण वे अन्याय हैं जो लोग एक-दूसरे के साथ करते हैं।

कुछ लोगों ने भयावह कार्य किए हैं - जिसमें पूरे मुल्कों को तबाह करना और झूठ पर आधारित युद्धों के ज़रिए लाखों बेगुनाह लोगों की हत्या करना शामिल है। उनमें से कई कातिल बादशाहों की तरह रहते हैं और इस दुनिया में अपने गुनाहों की सज़ा कभी नहीं भुगतेंगे, और उनके ज़्यादातर पीड़ितों को इस दुनिया में कभी इंसाफ नहीं मिलेगा। यही वजह है कि क़यामत का दिन है, जहाँ अल्लाह अपना मुकम्मल इंसाफ स्थापित करेगा और हर किसी को आखिरकार वही मिलेगा जिसके वे हकदार हैं।
पैगंबर और न्याय
25निश्चित रूप से हमने अपने रसूलों को खुली निशानियों के साथ भेजा, और उनके साथ किताब और मीज़ान (न्याय का पलड़ा) उतारा ताकि लोग न्याय पर क़ायम हों। और हमने लोहा उतारा जिसमें बड़ी शक्ति और लोगों के लिए अनेक लाभ हैं, ताकि अल्लाह यह देखे कि कौन उसकी और उसके रसूलों की मदद करता है, परोक्ष में (बिना देखे)। निश्चित रूप से अल्लाह शक्तिमान और प्रभुत्वशाली है।
لَقَدۡ أَرۡسَلۡنَا رُسُلَنَا بِٱلۡبَيِّنَٰتِ وَأَنزَلۡنَا مَعَهُمُ ٱلۡكِتَٰبَ وَٱلۡمِيزَانَ لِيَقُومَ ٱلنَّاسُ بِٱلۡقِسۡطِۖ وَأَنزَلۡنَا ٱلۡحَدِيدَ فِيهِ بَأۡسٞ شَدِيدٞ وَمَنَٰفِعُ لِلنَّاسِ وَلِيَعۡلَمَ ٱللَّهُ مَن يَنصُرُهُۥ وَرُسُلَهُۥ بِٱلۡغَيۡبِۚ إِنَّ ٱللَّهَ قَوِيٌّ عَزِيزٞ25
नूह और इब्राहीम
26और निश्चित रूप से हमने नूह और इब्राहीम को भेजा और नबुव्वत और वह्यी केवल उनकी संतान के लिए आरक्षित की। उनमें से कुछ सही मार्गदर्शन प्राप्त हैं, लेकिन अधिकांश फ़सादी हैं।
وَلَقَدۡ أَرۡسَلۡنَا نُوحٗا وَإِبۡرَٰهِيمَ وَجَعَلۡنَا فِي ذُرِّيَّتِهِمَا ٱلنُّبُوَّةَ وَٱلۡكِتَٰبَۖ فَمِنۡهُم مُّهۡتَدٖۖ وَكَثِيرٞ مِّنۡهُمۡ فَٰسِقُونَ26
ईसा और उनके अनुयायी
27फिर इन 'पैगंबरों' के पदचिन्हों पर, हमने अपने रसूलों को भेजा, और 'उनके बाद' हमने 'मरियम के बेटे ईसा' को भेजा, और उन्हें इंजील प्रदान की, और उनके अनुयायियों के दिलों में करुणा और दया डाली। जहाँ तक उनकी कठोर धार्मिक प्रथा (रहबानियत) का सवाल है, उन्होंने इसे स्वयं गढ़ा था - हमने उनसे ऐसा करने को नहीं कहा था - केवल अल्लाह की प्रसन्नता चाहते थे, लेकिन उन्होंने 'उसे' ठीक से 'भी' नहीं निभाया। तो हमने उनमें से उन लोगों को पुरस्कृत किया जो ईमान वाले थे। लेकिन उनमें से अधिकांश फ़ासिक़ (अवज्ञाकारी) हैं।
ثُمَّ قَفَّيۡنَا عَلَىٰٓ ءَاثَٰرِهِم بِرُسُلِنَا وَقَفَّيۡنَا بِعِيسَى ٱبۡنِ مَرۡيَمَ وَءَاتَيۡنَٰهُ ٱلۡإِنجِيلَۖ وَجَعَلۡنَا فِي قُلُوبِ ٱلَّذِينَ ٱتَّبَعُوهُ رَأۡفَةٗ وَرَحۡمَةٗۚ وَرَهۡبَانِيَّةً ٱبۡتَدَعُوهَا مَا كَتَبۡنَٰهَا عَلَيۡهِمۡ إِلَّا ٱبۡتِغَآءَ رِضۡوَٰنِ ٱللَّهِ فَمَا رَعَوۡهَا حَقَّ رِعَايَتِهَاۖ فََٔاتَيۡنَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ مِنۡهُمۡ أَجۡرَهُمۡۖ وَكَثِيرٞ مِّنۡهُمۡ فَٰسِقُونَ27
आयत 27: इस प्रथा को संन्यास कहते हैं। कुछ ईसाई उपासक, जिन्हें भिक्षु और भिक्षुणियाँ कहा जाता है, एक कठोर जीवन शैली अपनाते हैं। वे केवल उपासना के लिए समर्पित रहते हैं और विवाह नहीं करते, हालाँकि अल्लाह ने उन्हें ऐसा करने का हुक्म नहीं दिया था। फिर भी, कुछ लोग इस प्रथा का सही ढंग से पालन नहीं कर पाए।
यहूदियों और ईसाइयों को आमंत्रण
28ऐ ईमान वालो! अल्लाह से डरो और उसके रसूल पर ईमान लाओ। वह तुम्हें अपनी रहमत के दो हिस्से देगा, और तुम्हें एक नूर अता करेगा जिससे तुम क़यामत के दिन चलोगे, और तुम्हें बख्श देगा। और अल्लाह बख्शने वाला, निहायत मेहरबान है। 29यह इसलिए है ताकि अहले किताब (जो नबी को झुठलाते हैं) जान लें कि अल्लाह के फ़ज़ल पर उनका कोई अख़्तियार नहीं है, और यह कि तमाम फ़ज़ल अल्लाह के हाथ में है। वह जिसे चाहता है उसे देता है। और अल्लाह बड़े फ़ज़ल का मालिक है।
يَٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ ٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَءَامِنُواْ بِرَسُولِهِۦ يُؤۡتِكُمۡ كِفۡلَيۡنِ مِن رَّحۡمَتِهِۦ وَيَجۡعَل لَّكُمۡ نُورٗا تَمۡشُونَ بِهِۦ وَيَغۡفِرۡ لَكُمۡۚ وَٱللَّهُ غَفُورٞ رَّحِيمٞ 28لِّئَلَّا يَعۡلَمَ أَهۡلُ ٱلۡكِتَٰبِ أَلَّا يَقۡدِرُونَ عَلَىٰ شَيۡءٖ مِّن فَضۡلِ ٱللَّهِ وَأَنَّ ٱلۡفَضۡلَ بِيَدِ ٱللَّهِ يُؤۡتِيهِ مَن يَشَآءُۚ وَٱللَّهُ ذُو ٱلۡفَضۡلِ ٱلۡعَظِيمِ29
आयत 29: यहूदी और ईसाई, जिन्हें अल्लाह से पवित्र किताबें मिलीं।