Surah 51
Volume 1

Scattering Winds

الذَّارِيَات

الذَّارِیات

LEARNING POINTS

सीखने के बिंदु

अल्लाह में सबको पैदा करने और हिसाब के लिए दोबारा जीवित करने की क्षमता है।

वह उन लोगों को बड़े सवाब का वादा करता है जो ईमान लाते हैं और नेक अमल करते हैं।

बहुत से लोगों को अल्लाह का इनकार करने, उसके पैगंबरों का अपमान करने और क़यामत के दिन का मज़ाक उड़ाने के लिए सज़ा दी गई।

मक्का के लोगों को बताया जाता है कि यदि वे अपने तौर-तरीके नहीं बदलते तो उन्हें सज़ा की अपेक्षा करनी चाहिए।

वे हमेशा सज़ा का मज़ाक उड़ाते थे, पैगंबर को उसे शीघ्र लाने की चुनौती देते हुए।

फ़ैसला ज़रूर आएगा।

1धूल उड़ाने वाली हवाओं की क़सम, 2और भारी वर्षा ढोने वाले बादलों की क़सम, 3और आसानी से चलने वाले जहाज़ों की क़सम। 4और अल्लाह के हुक्म से मामलों का प्रबंध करने वाले फ़रिश्तों की क़सम! 5बेशक जिसका तुमसे वादा किया गया है, वह सच है। 6और क़यामत यक़ीनन आने वाली है।

وَٱلذَّٰرِيَٰتِ ذَرۡوٗا 1فَٱلۡحَٰمِلَٰتِ وِقۡرٗا 2فَٱلۡجَٰرِيَٰتِ يُسۡرٗا 3فَٱلۡمُقَسِّمَٰتِ أَمۡرًا 4إِنَّمَا تُوعَدُونَ لَصَادِقٞ 5وَإِنَّ ٱلدِّينَ لَوَٰقِعٞ6

काफ़िरों को चेतावनी

7और क़सम है आसमान की, उसकी पुख़्ता बनावट की! 8बेशक तुम सत्य के विषय में भ्रमित हो। 9इससे वही फेरे जाते हैं जो आसानी से बहक जाते हैं। 10झूठ बोलने वाले हलाक हुए। 11जो अपनी ग़फ़लत में खोए हुए हैं, बेख़बर, 12वे उपहासपूर्वक पूछते हैं, 'यह क़यामत का दिन कब है?' 13यह वह दिन है जब उन्हें आग में जलाया जाएगा। 14उनसे कहा जाएगा, 'अपनी जलन का स्वाद चखो! यही वह है जिसे तुम जल्दी चाहते थे।'

وَٱلسَّمَآءِ ذَاتِ ٱلۡحُبُكِ 7إِنَّكُمۡ لَفِي قَوۡلٖ مُّخۡتَلِفٖ 8يُؤۡفَكُ عَنۡهُ مَنۡ أُفِكَ 9قُتِلَ ٱلۡخَرَّٰصُونَ 10ٱلَّذِينَ هُمۡ فِي غَمۡرَةٖ سَاهُونَ 11يَسۡ‍َٔلُونَ أَيَّانَ يَوۡمُ ٱلدِّينِ 12يَوۡمَ هُمۡ عَلَى ٱلنَّارِ يُفۡتَنُونَ 13ذُوقُواْ فِتۡنَتَكُمۡ هَٰذَا ٱلَّذِي كُنتُم بِهِۦ تَسۡتَعۡجِلُونَ14

मोमिनों के लिए खुशखबरी

15बेशक ईमानवाले जन्नतों और चश्मों के बीच में होंगे। 16खुशी-खुशी वह लेते हुए जो उनका रब उन्हें देगा। इस 'बदले' से पहले उन्होंने सचमुच दुनिया में नेक काम किए थे। 17वे रात को बहुत कम सोते थे, 18और रात के पिछले पहर में इस्तग़फ़ार करते थे। 19और उनके माल में मांगने वालों और वंचितों का एक निर्धारित हक़ था।

إِنَّ ٱلۡمُتَّقِينَ فِي جَنَّٰتٖ وَعُيُونٍ 15ءَاخِذِينَ مَآ ءَاتَىٰهُمۡ رَبُّهُمۡۚ إِنَّهُمۡ كَانُواْ قَبۡلَ ذَٰلِكَ مُحۡسِنِينَ 16كَانُواْ قَلِيلٗا مِّنَ ٱلَّيۡلِ مَا يَهۡجَعُونَ 17وَبِٱلۡأَسۡحَارِ هُمۡ يَسۡتَغۡفِرُونَ 18وَفِيٓ أَمۡوَٰلِهِمۡ حَقّٞ لِّلسَّآئِلِ وَٱلۡمَحۡرُومِ19

WORDS OF WISDOM

ज्ञान की बातें

आयतों 20-21 में, अल्लाह हमें अपने भीतर मौजूद अपनी निशानियों पर विचार करने के लिए आमंत्रित करता है। यहाँ आपके शरीर के बारे में कुछ तथ्य दिए गए हैं:

1. आपका दिल एक साल में लगभग 3.5 करोड़ बार धड़कता है, और आपके पूरे जीवनकाल में 2.5 अरब से ज़्यादा बार।

2. आप एक दिन में लगभग 23,000 बार साँस लेते हैं।

3. आपकी आँख 1 करोड़ अलग-अलग रंगों को पहचान सकती है।

4. आपकी नाक एक खरब अलग-अलग गंधों को पहचान सकती है।

5. आपके मस्तिष्क की याददाश्त 4 टेराबाइट से ज़्यादा की हार्ड ड्राइव जितनी होती है।

6. यदि आप अपनी रक्त वाहिकाओं को एक सीधी रेखा में रखें, तो वे लगभग 60,000 मील तक फैलेंगी—जो पृथ्वी का 3 बार चक्कर लगाने के लिए पर्याप्त है!

7. आपके शरीर में लगभग 5.6 लीटर रक्त होता है। एक दिन में, रक्त कुल 12,000 मील की यात्रा करता है—यह अमेरिका के एक तट से दूसरे तट तक की दूरी का चार गुना है।

8. आपका मस्तिष्क किसी भी कंप्यूटर से अधिक शक्तिशाली है, आपकी किडनी किसी भी फिल्टर से अधिक प्रभावी हैं, और आपकी आँख किसी भी कैमरे से बेहतर है।

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अल्लाह की अद्भुत सृष्टि

20निश्चित विश्वास रखने वालों के लिए धरती पर अनेक निशानियाँ हैं। 21और तुम्हारे अपने अंदर भी हैं। क्या तुम नहीं देखते? 22आसमान में तुम्हारी रोज़ी है और जिसका तुमसे वादा किया गया है। 23तो आसमान और ज़मीन के रब की क़सम! यह सब उतना ही सच है जितना तुम्हारा बोलना!

وَفِي ٱلۡأَرۡضِ ءَايَٰتٞ لِّلۡمُوقِنِينَ 20وَفِيٓ أَنفُسِكُمۡۚ أَفَلَا تُبۡصِرُونَ 21وَفِي ٱلسَّمَآءِ رِزۡقُكُمۡ وَمَا تُوعَدُونَ 22فَوَرَبِّ ٱلسَّمَآءِ وَٱلۡأَرۡضِ إِنَّهُۥ لَحَقّٞ مِّثۡلَ مَآ أَنَّكُمۡ تَنطِقُونَ23

इब्राहीम से फ़रिश्तों की मुलाक़ात

24क्या आपको, हे पैगंबर, इब्राहीम के सम्मानित मेहमानों की कहानी पहुँची है? 25याद करो जब वे उसके पास आए और उसे 'सलाम!' कहा। उसने कहा, 'सलाम!' फिर उसने अपने मन में कहा, 'ये तो ऐसे लोग हैं जिन्हें मैं नहीं जानता।' 26फिर वह अपने परिवार के पास तेज़ी से गया और एक मोटा 'भुना हुआ बछड़ा' लाया। 27और उसे उनके सामने रखा, पूछते हुए, 'क्या आप खाते नहीं?' 28फिर उसकी पत्नी एक ज़ोरदार चीख के साथ आगे आई, आश्चर्य से अपना माथा पीटते हुए कहा, 'एक बूढ़ी औरत से बच्चा, जो जन्म देने में असमर्थ है!' 29उन्होंने जवाब दिया, यह वही है जो तुम्हारे रब ने पहले ही तय कर दिया है। निःसंदेह वह पूर्ण हिकमत (विवेक) और इल्म (ज्ञान) वाला है।

هَلۡ أَتَىٰكَ حَدِيثُ ضَيۡفِ إِبۡرَٰهِيمَ ٱلۡمُكۡرَمِينَ 24إِذۡ دَخَلُواْ عَلَيۡهِ فَقَالُواْ سَلَٰمٗاۖ قَالَ سَلَٰمٞ قَوۡمٞ مُّنكَرُونَ 25فَرَاغَ إِلَىٰٓ أَهۡلِهِۦ فَجَآءَ بِعِجۡلٖ سَمِينٖ 26فَقَرَّبَهُۥٓ إِلَيۡهِمۡ قَالَ أَلَا تَأۡكُلُونَ 27فَأَوۡجَسَ مِنۡهُمۡ خِيفَةٗۖ قَالُواْ لَا تَخَفۡۖ وَبَشَّرُوهُ بِغُلَٰمٍ عَلِيمٖ 28فَأَقۡبَلَتِ ٱمۡرَأَتُهُۥ فِي صَرَّةٖ فَصَكَّتۡ وَجۡهَهَا وَقَالَتۡ عَجُوزٌ عَقِيمٞ29

आयत 27: प्राचीन मध्य पूर्वी संस्कृति के अनुसार, यदि मेहमान खाने से इनकार करता था, तो यह इस बात का संकेत माना जाता था कि वह संभवतः मेज़बान को हानि पहुँचाना चाहता था।

लूत की क़ौम का विनाश

30फिर इब्राहीम ने पूछा, ऐ पैग़म्बरो, तुम्हारा क्या काम है? 31उन्होंने जवाब दिया, हम दरअसल एक गुनहगार क़ौम के ख़िलाफ़ भेजे गए हैं, 32ताकि उन पर पक्की मिट्टी के पत्थर बरसाएँ, 33जो तुम्हारे रब की तरफ़ से उन लोगों के लिए निशानज़द हैं जिन्होंने गुनाह में हद पार कर दी है। 34फिर अज़ाब आने से पहले हमने मोमिनों को उन बस्तियों से निकाल लिया। 35लेकिन हमने वहाँ केवल एक मुस्लिम परिवार पाया। 36और हमने वहाँ एक निशानी छोड़ दी है उन लोगों के लिए जो दर्दनाक अज़ाब से डरते हैं।

قَالُواْ كَذَٰلِكِ قَالَ رَبُّكِۖ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلۡحَكِيمُ ٱلۡعَلِيمُ 30قَالَ فَمَا خَطۡبُكُمۡ أَيُّهَا ٱلۡمُرۡسَلُونَ 31قَالُوٓاْ إِنَّآ أُرۡسِلۡنَآ إِلَىٰ قَوۡمٖ مُّجۡرِمِينَ 32لِنُرۡسِلَ عَلَيۡهِمۡ حِجَارَةٗ مِّن طِينٖ 33مُّسَوَّمَةً عِندَ رَبِّكَ لِلۡمُسۡرِفِينَ 34فَأَخۡرَجۡنَا مَن كَانَ فِيهَا مِنَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ 35فَمَا وَجَدۡنَا فِيهَا غَيۡرَ بَيۡتٖ مِّنَ ٱلۡمُسۡلِمِينَ36

आयत 34: प्राचीन मध्य-पूर्व की संस्कृति के अनुसार, यदि अतिथि भोजन करने से मना करता था, तो यह इस बात का संकेत था कि वह संभवतः मेज़बान को हानि पहुँचाना चाहता था।

आयत 35: लूत का परिवार, उसकी पत्नी के सिवा।

आयत 36: लूत की बस्तियाँ उलट दी गईं।

फ़िरौन की क़ौम की हलाकत

37और मूसा की कहानी में एक और सबक था, जब हमने उसे फ़िरौन के पास एक स्पष्ट प्रमाण के साथ भेजा। 38लेकिन फ़िरौन अपनी शक्ति के मद में चूर था और उसने मूसा को 'एक जादूगर या एक दीवाना' कहा! 39तो हमने उसे और उसके सैनिकों को पकड़ लिया, उन्हें समुद्र में डुबो दिया जबकि वह गुनाहगार था।

وَتَرَكۡنَا فِيهَآ ءَايَةٗ لِّلَّذِينَ يَخَافُونَ ٱلۡعَذَابَ ٱلۡأَلِيمَ 37وَفِي مُوسَىٰٓ إِذۡ أَرۡسَلۡنَٰهُ إِلَىٰ فِرۡعَوۡنَ بِسُلۡطَٰنٖ مُّبِينٖ 38فَتَوَلَّىٰ بِرُكۡنِهِۦ وَقَالَ سَٰحِرٌ أَوۡ مَجۡنُونٞ39

हूद की क़ौम की हलाकत

40और आद के वृत्तांत में एक और शिक्षा थी, जब हमने उन पर विनाशकारी वायु भेजी। 41वह जिस चीज़ पर भी गुज़री, उसे धूल में बदल दिया।

فَأَخَذۡنَٰهُ وَجُنُودَهُۥ فَنَبَذۡنَٰهُمۡ فِي ٱلۡيَمِّ وَهُوَ مُلِيمٞ 40وَفِي عَادٍ إِذۡ أَرۡسَلۡنَا عَلَيۡهِمُ ٱلرِّيحَ ٱلۡعَقِيمَ41

क़ौम-ए-सालिह का विनाश

43और समूद के वृत्तांत में एक और शिक्षा थी, जब उनसे कहा गया, "तुम्हें बस थोड़े समय के लिए ही जीवन का आनंद लेना है।" 44फिर भी वे अपने रब के आदेशों की अवज्ञा करते रहे, तो उन्हें एक ज़बरदस्त धमाके ने आ घेरा जबकि वे देख रहे थे। 45फिर वे उठ न सके, और वे बेबस थे।

وَفِي ثَمُودَ إِذۡ قِيلَ لَهُمۡ تَمَتَّعُواْ حَتَّىٰ حِينٖ 43فَعَتَوۡاْ عَنۡ أَمۡرِ رَبِّهِمۡ فَأَخَذَتۡهُمُ ٱلصَّٰعِقَةُ وَهُمۡ يَنظُرُونَ 44فَمَا ٱسۡتَطَٰعُواْ مِن قِيَامٖ وَمَا كَانُواْ مُنتَصِرِينَ45

नूह की क़ौम का विनाश

46और नूह की क़ौम भी इससे पहले हलाक कर दी गई थी। वे बड़े सरकश थे।

وَقَوۡمَ نُوحٖ مِّن قَبۡلُۖ إِنَّهُمۡ كَانُواْ قَوۡمٗا فَٰسِقِينَ46

WORDS OF WISDOM

ज्ञान की बातें

कुरान संकेतों की किताब है—विज्ञान की किताब नहीं। हालांकि, जब अल्लाह लोगों को फिर से जीवित करने की अपनी क्षमता के बारे में बात करते हैं, तो वे आमतौर पर अपनी सृजन शक्ति के बारे में बात करते हैं, जिसमें ब्रह्मांड का निर्माण और विस्तार (नीचे आयत 47), पृथ्वी का घूमना (27:88), माताओं के गर्भ में शिशुओं का विकास (22:5 और 23:12-14), और इसी तरह की बातें शामिल हैं।

इस्लाम सिखाता है कि अवलोकन करना, सीखना और सोचना महत्वपूर्ण है। इसने विद्वानों को ज्ञान के कई क्षेत्रों, जैसे चिकित्सा, शरीर रचना विज्ञान, गणित, भूगोल, खगोल विज्ञान और वास्तुकला में प्रगति करने के लिए प्रेरित किया। बीजगणित, रसायन विज्ञान और शराब सभी अरबी शब्द हैं। एविसेना (इब्न सिना, 980-1037 ईस्वी) द्वारा लिखित 'द कैनन ऑफ मेडिसिन' यूरोप में 700 से अधिक वर्षों तक एक महत्वपूर्ण चिकित्सा ग्रंथ रहा। आज उपयोग में आने वाले कई सर्जिकल उपकरण अल्बुकासिस (अल-ज़हरावी, 936-1013 ईस्वी) द्वारा आविष्कार किए गए थे। मरियम अल-एस्ट्रोलाबिया, सीरिया में 10वीं शताब्दी में रहने वाली एक मुस्लिम महिला विद्वान, एस्ट्रोलैब (दिशासूचक यंत्र) के डिजाइन और निर्माण के लिए प्रसिद्ध थीं, जो यात्रियों और नाविकों को सूर्य, चंद्रमा और सितारों की स्थिति के आधार पर अपना रास्ता खोजने में मदद करते थे। अरबी अंक (0, 1, 2, 3, आदि) का उपयोग दुनिया भर में किया जाता है।

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मुसलमानों ने कई विज्ञानों का आविष्कार किया और कई अन्य (जो उन्होंने रोमन, यूनानियों, फारसियों, भारतीयों और अन्य से सीखे थे) को विकसित किया। इसने यूरोपीय औद्योगिक क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया। कैमरा, कंप्यूटर और जीपीएस प्रणालियों का आविष्कार मुस्लिम विद्वानों के योगदान के बिना संभव नहीं हो पाता।

अल्लाह की सृजन शक्ति

47हमने अपनी महान शक्ति से ब्रह्मांड का निर्माण किया, और हम निश्चित रूप से इसे विस्तृत कर रहे हैं। 48और पृथ्वी को हमने बिछाया। हमने उसे कितनी उत्तमता से बिछाया! 49और हमने हर चीज़ के जोड़े बनाए ताकि तुम शायद याद रखो।

وَٱلسَّمَآءَ بَنَيۡنَٰهَا بِأَيۡيْدٖ وَإِنَّا لَمُوسِعُونَ 47وَٱلۡأَرۡضَ فَرَشۡنَٰهَا فَنِعۡمَ ٱلۡمَٰهِدُونَ 48وَمِن كُلِّ شَيۡءٍ خَلَقۡنَا زَوۡجَيۡنِ لَعَلَّكُمۡ تَذَكَّرُونَ49

काफ़िरों को जगाने की पुकार

50तो 'ऐ नबी, ऐलान करो': अल्लाह की तरफ़ तेज़ी से रुजू करो! मैं यक़ीनन उसकी तरफ़ से तुम्हें एक खुली चेतावनी के साथ भेजा गया हूँ। 51और अल्लाह के साथ कोई दूसरा माबूद न बनाओ। मैं यक़ीनन उसकी तरफ़ से तुम्हें एक खुली चेतावनी के साथ भेजा गया हूँ।

فَفِرُّوٓاْ إِلَى ٱللَّهِۖ إِنِّي لَكُم مِّنۡهُ نَذِيرٞ مُّبِينٞ 50وَلَا تَجۡعَلُواْ مَعَ ٱللَّهِ إِلَٰهًا ءَاخَرَۖ إِنِّي لَكُم مِّنۡهُ نَذِيرٞ مُّبِينٞ51

पहले के कुफ़्फ़ार

52इसी तरह, उनसे पहले कोई रसूल नहीं आया जिसे न कहा गया हो: जादूगर या पागल। 53क्या उन्होंने यह 'बात' एक-दूसरे को सौंपी है? बल्कि, वे सब सरकशी में हद से बढ़ गए हैं। 54तो 'अब' उनसे मुँह मोड़ लो 'ऐ पैगंबर', क्योंकि तुम्हें उनके कुफ्र के लिए कोई इल्ज़ाम नहीं दिया जाएगा। 55लेकिन नसीहत करते रहो, क्योंकि नसीहतें यकीनन ईमान वालों को फायदा देती हैं।

كَذَٰلِكَ مَآ أَتَى ٱلَّذِينَ مِن قَبۡلِهِم مِّن رَّسُولٍ إِلَّا قَالُواْ سَاحِرٌ أَوۡ مَجۡنُونٌ 52أَتَوَاصَوۡاْ بِهِۦۚ بَلۡ هُمۡ قَوۡمٞ طَاغُونَ 53فَتَوَلَّ عَنۡهُمۡ فَمَآ أَنتَ بِمَلُومٖ 54وَذَكِّرۡ فَإِنَّ ٱلذِّكۡرَىٰ تَنفَعُ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ55

जीवन का उद्देश्य

56मैंने जिन्न और इंसानों को केवल अपनी इबादत के लिए ही पैदा किया है। 57मुझे उनसे रोज़ी की ज़रूरत नहीं, और न मुझे उनसे खिलाने की ज़रूरत है। 58बेशक अल्लाह ही सबसे बड़ा रोज़ी देने वाला, ज़बरदस्त कुव्वत वाला और मज़बूत है।

وَمَا خَلَقۡتُ ٱلۡجِنَّ وَٱلۡإِنسَ إِلَّا لِيَعۡبُدُونِ 56مَآ أُرِيدُ مِنۡهُم مِّن رِّزۡقٖ وَمَآ أُرِيدُ أَن يُطۡعِمُونِ 57إِنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلرَّزَّاقُ ذُو ٱلۡقُوَّةِ ٱلۡمَتِينُ58

BACKGROUND STORY

पृष्ठभूमि की कहानी

अगले परिच्छेद के अनुसार, पैगंबर ने बुत-परस्तों को चेतावनी दी कि यदि उन्होंने अपनी बुत-परस्ती, भ्रष्टाचार और ज़्यादती नहीं छोड़ी, तो उनका विनाश हो जाएगा जैसे इस सूरह में पहले उल्लेखित सभी लोगों का हुआ था। लेकिन, उन्होंने उन्हें उस सज़ा को जल्द से जल्द लाने की चुनौती दी। (इमाम इब्न कसीर द्वारा वर्णित)

काफ़िरों को चेतावनी

59जो लोग ज़ुल्म करते हैं, उन्हें निश्चित रूप से अपने से पहले वालों की तरह ही अज़ाब का एक हिस्सा मिलेगा। तो वे मुझसे उसे जल्दी करने की माँग न करें! 60काफ़िरों के लिए वह दिन बहुत भयानक होगा जब वे अपने उस दिन का सामना करेंगे जिसकी उन्हें चेतावनी दी गई है!

فَإِنَّ لِلَّذِينَ ظَلَمُواْ ذَنُوبٗا مِّثۡلَ ذَنُوبِ أَصۡحَٰبِهِمۡ فَلَا يَسۡتَعۡجِلُونِ 59فَوَيۡلٞ لِّلَّذِينَ كَفَرُواْ مِن يَوۡمِهِمُ ٱلَّذِي يُوعَدُونَ60

Aⱬ-Ⱬâriyât () - बच्चों के लिए कुरान - अध्याय 51 - स्पष्ट कुरान डॉ. मुस्तफा खत्ताब द्वारा