Surah 35
Volume 4

The Originator

فَاطِر

فاطِر

LEARNING POINTS

सीखने के बिंदु

हम अल्लाह की अनंत शक्ति को उन अद्भुत चीज़ों में देख सकते हैं जो उसने कायनात में पैदा की हैं।

हमें हर चीज़ के लिए अल्लाह की ज़रूरत है, लेकिन उसे किसी की या किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं है।

अल्लाह ने हमें इतनी सारी नेमतों से नवाज़ा है जिनके लिए हमें शुक्रगुज़ार होना चाहिए।

बुत कुछ भी पैदा नहीं कर सकते और न ही कोई दुआ सुन सकते हैं।

नबी को बताया गया है कि उनसे पहले भी दूसरे नबियों को ठुकराया गया था, लेकिन अंत में जीत उन्हीं की हुई।

मोमिनों को जन्नत में एक महान प्रतिफल का वादा किया गया है, और काफ़िरों को जहन्नम में एक भयानक अज़ाब की चेतावनी दी गई है।

अल्लाह बहुत सब्र करने वाला और रहम करने वाला है - वह इस दुनिया में दूसरे मौके देता है।

क़यामत के दिन, दुष्ट लोग दूसरे मौके के लिए रो रहे होंगे, लेकिन तब बहुत देर हो चुकी होगी।

Illustration

अल्लाह की क़ुदरत: १) रचना और रहमत

1सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जो आकाशों और पृथ्वी का रचयिता है, जिसने फ़रिश्तों को अपने दूत बनाया, जिनके दो, तीन या चार पंख हैं। वह अपनी सृष्टि में जो चाहता है, वृद्धि करता है। निःसंदेह अल्लाह हर चीज़ पर शक्ति रखता है। 2अल्लाह लोगों के लिए जो भी रहमत खोलता है, उसे कोई रोक नहीं सकता। और जिसे वह रोक लेता है, उसे उसके सिवा कोई नहीं खोल सकता। वह ज़बरदस्त, हिकमत वाला है।

ٱلۡحَمۡدُ لِلَّهِ فَاطِرِ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ جَاعِلِ ٱلۡمَلَٰٓئِكَةِ رُسُلًا أُوْلِيٓ أَجۡنِحَةٖ مَّثۡنَىٰ وَثُلَٰثَ وَرُبَٰعَۚ يَزِيدُ فِي ٱلۡخَلۡقِ مَا يَشَآءُۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ قَدِيرٞ 1مَّا يَفۡتَحِ ٱللَّهُ لِلنَّاسِ مِن رَّحۡمَةٖ فَلَا مُمۡسِكَ لَهَاۖ وَمَا يُمۡسِكۡ فَلَا مُرۡسِلَ لَهُۥ مِنۢ بَعۡدِهِۦۚ وَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلۡحَكِيمُ2

एक ही ईश्वर

3ऐ लोगो! अल्लाह की उन नेमतों को याद करो जो तुम पर हैं। क्या अल्लाह के सिवा कोई और पैदा करने वाला है जो तुम्हें आसमान और ज़मीन से रोज़ी देता है? उसके सिवा कोई माबूद नहीं। फिर तुम कहाँ बहके जा रहे हो?

يَٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ ٱذۡكُرُواْ نِعۡمَتَ ٱللَّهِ عَلَيۡكُمۡۚ هَلۡ مِنۡ خَٰلِقٍ غَيۡرُ ٱللَّهِ يَرۡزُقُكُم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ وَٱلۡأَرۡضِۚ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَۖ فَأَنَّىٰ تُؤۡفَكُونَ3

पैगंबर को सांत्वना

4यदि वे तुम्हें ठुकरा दें, तो तुमसे पहले भी रसूलों को ठुकराया गया था। और सभी मामले अल्लाह ही की ओर लौटाए जाएँगे निर्णय हेतु।

وَإِن يُكَذِّبُوكَ فَقَدۡ كُذِّبَتۡ رُسُلٞ مِّن قَبۡلِكَۚ وَإِلَى ٱللَّهِ تُرۡجَعُ ٱلۡأُمُورُ4

शैतान से सावधान

5ऐ लोगों! बेशक अल्लाह का वादा सच्चा है। तो तुम्हें दुनिया की ज़िंदगी धोखे में न डाले, और न ही वह बड़ा धोखेबाज़ तुम्हें अल्लाह के बारे में धोखे में डाले। 6बेशक शैतान तुम्हारा दुश्मन है, तो उसे दुश्मन ही समझो। वह तो अपने अनुयायियों को केवल दहकती आग में जाने के लिए बुलाता है।

يَٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ إِنَّ وَعۡدَ ٱللَّهِ حَقّٞۖ فَلَا تَغُرَّنَّكُمُ ٱلۡحَيَوٰةُ ٱلدُّنۡيَا وَلَا يَغُرَّنَّكُم بِٱللَّهِ ٱلۡغَرُورُ 5إِنَّ ٱلشَّيۡطَٰنَ لَكُمۡ عَدُوّٞ فَٱتَّخِذُوهُ عَدُوًّاۚ إِنَّمَا يَدۡعُواْ حِزۡبَهُۥ لِيَكُونُواْ مِنۡ أَصۡحَٰبِ ٱلسَّعِيرِ6

दुष्ट और नेक

7जिन्होंने कुफ्र किया, उनके लिए कठोर अज़ाब है। और जिन्होंने ईमान लाया और नेक अमल किए, उनके लिए क्षमा और महान प्रतिफल है। 8क्या वे लोग जिन्होंने कुफ्र किया, जिनके बुरे कर्म उन्हें सुहावने लगते हैं और वे उन्हें सही समझते हैं, ईमान वालों के समान हो सकते हैं? बेशक अल्लाह जिसे चाहता है गुमराह कर देता है, और जिसे चाहता है हिदायत देता है। तो ऐ नबी, उनके कुफ्र पर आप अपने प्राण न खपाएँ। बेशक अल्लाह जो कुछ वे करते हैं, उसे भली-भाँति जानता है।

ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ لَهُمۡ عَذَابٞ شَدِيدٞۖ وَٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّٰلِحَٰتِ لَهُم مَّغۡفِرَةٞ وَأَجۡرٞ كَبِيرٌ 7أَفَمَن زُيِّنَ لَهُۥ سُوٓءُ عَمَلِهِۦ فَرَءَاهُ حَسَنٗاۖ فَإِنَّ ٱللَّهَ يُضِلُّ مَن يَشَآءُ وَيَهۡدِي مَن يَشَآءُۖ فَلَا تَذۡهَبۡ نَفۡسُكَ عَلَيۡهِمۡ حَسَرَٰتٍۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلِيمُۢ بِمَا يَصۡنَعُونَ8

अल्लाह की क़ुदरत २) हवा

9और अल्लाह ही है जो हवाएँ भेजता है, फिर वे बादलों को उठाती हैं, और फिर हम उन्हें किसी मुर्दा ज़मीन की ओर हाँकते हैं, और उसकी मौत के बाद ज़मीन को ज़िंदा करते हैं। इसी तरह मुर्दों का जी उठना होगा।

وَٱللَّهُ ٱلَّذِيٓ أَرۡسَلَ ٱلرِّيَٰحَ فَتُثِيرُ سَحَابٗا فَسُقۡنَٰهُ إِلَىٰ بَلَدٖ مَّيِّتٖ فَأَحۡيَيۡنَا بِهِ ٱلۡأَرۡضَ بَعۡدَ مَوۡتِهَاۚ كَذَٰلِكَ ٱلنُّشُورُ9

सारी महिमा और सत्ता अल्लाह ही की है।

10जो कोई इज़्ज़त और ताक़त चाहता है, तो उसे जान लेना चाहिए कि सारी इज़्ज़त और ताक़त अल्लाह ही के लिए है। उसी की ओर पाकीज़ा बातें ऊपर चढ़ती हैं, और नेक अमल उसी के ज़रिए ऊपर उठाए जाते हैं। और जो लोग बुरी चालें चलते हैं, उनके लिए सख़्त अज़ाब है। और ऐसे लोगों की चालबाज़ी बर्बाद होकर रहती है।

مَن كَانَ يُرِيدُ ٱلۡعِزَّةَ فَلِلَّهِ ٱلۡعِزَّةُ جَمِيعًاۚ إِلَيۡهِ يَصۡعَدُ ٱلۡكَلِمُ ٱلطَّيِّبُ وَٱلۡعَمَلُ ٱلصَّٰلِحُ يَرۡفَعُهُۥۚ وَٱلَّذِينَ يَمۡكُرُونَ ٱلسَّيِّ‍َٔاتِ لَهُمۡ عَذَابٞ شَدِيدٞۖ وَمَكۡرُ أُوْلَٰٓئِكَ هُوَ يَبُورُ10

अल्लाह की शक्ति ३) इंसानों की रचना

11और अल्लाह ही है जिसने तुम्हें मिट्टी से पैदा किया, फिर एक बूंद वीर्य से, फिर तुम्हें जोड़े-जोड़े बनाया। कोई स्त्री न गर्भवती होती है और न जन्म देती है, मगर उसके ज्ञान के बिना। और न किसी की आयु बढ़ाई जाती है और न घटाई जाती है, मगर यह एक किताब में लिखा हुआ है। यह अल्लाह के लिए निश्चय ही आसान है।

وَٱللَّهُ خَلَقَكُم مِّن تُرَابٖ ثُمَّ مِن نُّطۡفَةٖ ثُمَّ جَعَلَكُمۡ أَزۡوَٰجٗاۚ وَمَا تَحۡمِلُ مِنۡ أُنثَىٰ وَلَا تَضَعُ إِلَّا بِعِلۡمِهِۦۚ وَمَا يُعَمَّرُ مِن مُّعَمَّرٖ وَلَا يُنقَصُ مِنۡ عُمُرِهِۦٓ إِلَّا فِي كِتَٰبٍۚ إِنَّ ذَٰلِكَ عَلَى ٱللَّهِ يَسِيرٞ11

अल्लाह की कुदरत ४) मीठा और खारा पानी

12दो दरिया एक जैसे नहीं होते: एक मीठा, ताज़ा और पीने में सुखद होता है, जबकि दूसरा खारा और कड़वा होता है। फिर भी तुम उन दोनों से ताज़ा गोश्त खाते हो और पहनने के लिए मोती निकालते हो। और तुम जहाजों को उन दोनों में चलते हुए देखते हो ताकि तुम उसका फज़ल तलाश करो और उसका शुक्र अदा करो।

وَمَا يَسۡتَوِي ٱلۡبَحۡرَانِ هَٰذَا عَذۡبٞ فُرَاتٞ سَآئِغٞ شَرَابُهُۥ وَهَٰذَا مِلۡحٌ أُجَاجٞۖ وَمِن كُلّٖ تَأۡكُلُونَ لَحۡمٗا طَرِيّٗا وَتَسۡتَخۡرِجُونَ حِلۡيَةٗ تَلۡبَسُونَهَاۖ وَتَرَى ٱلۡفُلۡكَ فِيهِ مَوَاخِرَ لِتَبۡتَغُواْ مِن فَضۡلِهِۦ وَلَعَلَّكُمۡ تَشۡكُرُونَ12

Illustration

अल्लाह की शक्ति ५) दिन और रात

13वह रात को दिन में दाखिल करता है और दिन को रात में दाखिल करता है, और उसने सूरज और चाँद को तुम्हारे अधीन कर रखा है, हर एक एक निर्धारित अवधि तक चलता है। वही अल्लाह तुम्हारा रब है! सारी सत्ता उसी की है। लेकिन वे जिन्हें तुम उसके सिवा पुकारते हो, वे खजूर की गुठली के छिलके के भी मालिक नहीं हैं। 14यदि तुम उन्हें पुकारो, तो वे तुम्हारी पुकार नहीं सुन सकते। और यदि वे सुन भी पाते, तो तुम्हें उत्तर नहीं दे सकते। क़यामत के दिन वे कहेंगे कि उनका तुम्हारी इबादत से कोई संबंध नहीं था। और कोई तुम्हें उस सर्वज्ञानी की तरह ख़बर नहीं दे सकता।

يُولِجُ ٱلَّيۡلَ فِي ٱلنَّهَارِ وَيُولِجُ ٱلنَّهَارَ فِي ٱلَّيۡلِ وَسَخَّرَ ٱلشَّمۡسَ وَٱلۡقَمَرَۖ كُلّٞ يَجۡرِي لِأَجَلٖ مُّسَمّٗىۚ ذَٰلِكُمُ ٱللَّهُ رَبُّكُمۡ لَهُ ٱلۡمُلۡكُۚ وَٱلَّذِينَ تَدۡعُونَ مِن دُونِهِۦ مَا يَمۡلِكُونَ مِن قِطۡمِيرٍ 13إِن تَدۡعُوهُمۡ لَا يَسۡمَعُواْ دُعَآءَكُمۡ وَلَوۡ سَمِعُواْ مَا ٱسۡتَجَابُواْ لَكُمۡۖ وَيَوۡمَ ٱلۡقِيَٰمَةِ يَكۡفُرُونَ بِشِرۡكِكُمۡۚ وَلَا يُنَبِّئُكَ مِثۡلُ خَبِيرٖ14

अल्लाह की कुदरत ६) रिज़क़ के साधन

15ऐ लोगो! तुम अल्लाह के मोहताज हो, और अल्लाह ही बेनियाज़ है, और वही तारीफ़ के लायक है। 16अगर वह चाहे तो तुम्हें हटा दे और एक नई मख़लूक़ पैदा कर दे। 17और यह अल्लाह पर कुछ भी दुश्वार नहीं।

يَٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ أَنتُمُ ٱلۡفُقَرَآءُ إِلَى ٱللَّهِۖ وَٱللَّهُ هُوَ ٱلۡغَنِيُّ ٱلۡحَمِيدُ 15إِن يَشَأۡ يُذۡهِبۡكُمۡ وَيَأۡتِ بِخَلۡقٖ جَدِيدٖ 16وَمَا ذَٰلِكَ عَلَى ٱللَّهِ بِعَزِيزٖ17

हर कोई अपने लिए जवाबदेह है।

18कोई गुनाहगार दूसरे का बोझ नहीं उठाएगा। और यदि कोई बोझ से लदी हुई जान अपने बोझ के लिए मदद पुकारे, तो उसका कुछ भी नहीं उठाया जाएगा, चाहे वह कोई करीबी रिश्तेदार ही क्यों न हो। आप 'ऐ पैगंबर' केवल उन्हें आगाह कर सकते हैं जो अपने रब से बिना देखे डरते हैं और नमाज़ क़ायम करते हैं। और जो कोई खुद को पाक करता है, वह केवल अपने ही भले के लिए करता है। और अल्लाह ही की ओर अंतिम वापसी है।

وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٞ وِزۡرَ أُخۡرَىٰۚ وَإِن تَدۡعُ مُثۡقَلَةٌ إِلَىٰ حِمۡلِهَا لَا يُحۡمَلۡ مِنۡهُ شَيۡءٞ وَلَوۡ كَانَ ذَا قُرۡبَىٰٓۗ إِنَّمَا تُنذِرُ ٱلَّذِينَ يَخۡشَوۡنَ رَبَّهُم بِٱلۡغَيۡبِ وَأَقَامُواْ ٱلصَّلَوٰةَۚ وَمَن تَزَكَّىٰ فَإِنَّمَا يَتَزَكَّىٰ لِنَفۡسِهِۦۚ وَإِلَى ٱللَّهِ ٱلۡمَصِيرُ18

हिदायत बनाम गुमराही

19जो अंधे हैं और जो देखते हैं, वे बराबर नहीं हैं, 20और न अंधकार और न प्रकाश, 21और न भीषण गर्मी और न शीतल छाया। 22और न मरे हुए और न जीवित बराबर हैं। निश्चित रूप से अल्लाह ही जिसे चाहता है, उसे सुनाता है, लेकिन आप (हे पैगंबर) उन लोगों को कभी नहीं सुना सकते जो कब्रों में हैं। 23¹ इसका संभवतः अर्थ जहन्नम और जन्नत है।

وَمَا يَسۡتَوِي ٱلۡأَعۡمَىٰ وَٱلۡبَصِيرُ 19وَلَا ٱلظُّلُمَٰتُ وَلَا ٱلنُّورُ 20وَلَا ٱلظِّلُّ وَلَا ٱلۡحَرُورُ 21وَمَا يَسۡتَوِي ٱلۡأَحۡيَآءُ وَلَا ٱلۡأَمۡوَٰتُۚ إِنَّ ٱللَّهَ يُسۡمِعُ مَن يَشَآءُۖ وَمَآ أَنتَ بِمُسۡمِعٖ مَّن فِي ٱلۡقُبُورِ 22إِنۡ أَنتَ إِلَّا نَذِيرٌ23

पैगंबर का समर्थन

23आप तो बस एक सचेतक हैं। 24हमने आपको निश्चित रूप से सत्य के साथ शुभ समाचार देने वाले और चेतावनी देने वाले के रूप में भेजा है। कोई कौम ऐसी नहीं गुज़री जिसमें पहले कोई चेतावनी देने वाला न आया हो।¹ 25अगर वे आपको झुठलाते हैं, तो उनसे पहले वालों ने भी झुठलाया। उनके रसूल उनके पास खुली निशानियों, पवित्र लेखों और हिदायत देने वाली किताबों के साथ आए। 26फिर मैंने उन लोगों को पकड़ा जो कुफ्र करते रहे। और मेरी पकड़ कितनी सख्त थी! 27¹ अर्थात् तौरात, इंजील और ज़बूर

إِنۡ أَنتَ إِلَّا نَذِيرٌ 23إِنَّآ أَرۡسَلۡنَٰكَ بِٱلۡحَقِّ بَشِيرٗا وَنَذِيرٗاۚ وَإِن مِّنۡ أُمَّةٍ إِلَّا خَلَا فِيهَا نَذِيرٞ 24وَإِن يُكَذِّبُوكَ فَقَدۡ كَذَّبَ ٱلَّذِينَ مِن قَبۡلِهِمۡ جَآءَتۡهُمۡ رُسُلُهُم بِٱلۡبَيِّنَٰتِ وَبِٱلزُّبُرِ وَبِٱلۡكِتَٰبِ ٱلۡمُنِيرِ 25ثُمَّ أَخَذۡتُ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْۖ فَكَيۡفَ كَانَ نَكِيرِ 26أَلَمۡ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ أَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءٗ فَأَخۡرَجۡنَا بِهِۦ ثَمَرَٰتٖ مُّخۡتَلِفًا أَلۡوَٰنُهَاۚ وَمِنَ ٱلۡجِبَالِ جُدَدُۢ بِيضٞ وَحُمۡرٞ مُّخۡتَلِفٌ أَلۡوَٰنُهَا وَغَرَابِيبُ سُودٞ27

अल्लाह की शक्ति 7) रंग

27क्या तुम नहीं देखते कि अल्लाह आकाश से पानी बरसाता है जिससे हम विभिन्न रंगों के फल उगाते हैं? और पहाड़ों में सफेद, लाल और घोर काले रंग की विभिन्न परतें हैं; 28इसी तरह लोग, अन्य जीव और जानवर भी विभिन्न रंगों के होते हैं। अल्लाह के सभी बंदों में से, केवल वही लोग जिन्हें ज्ञान से नवाज़ा गया है, 'वास्तव में' उसका सम्मान करते हैं। निःसंदेह अल्लाह सर्वशक्तिमान और क्षमाशील है।

أَلَمۡ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ أَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءٗ فَأَخۡرَجۡنَا بِهِۦ ثَمَرَٰتٖ مُّخۡتَلِفًا أَلۡوَٰنُهَاۚ وَمِنَ ٱلۡجِبَالِ جُدَدُۢ بِيضٞ وَحُمۡرٞ مُّخۡتَلِفٌ أَلۡوَٰنُهَا وَغَرَابِيبُ سُودٞ 27وَمِنَ ٱلنَّاسِ وَٱلدَّوَآبِّ وَٱلۡأَنۡعَٰمِ مُخۡتَلِفٌ أَلۡوَٰنُهُۥ كَذَٰلِكَۗ إِنَّمَا يَخۡشَى ٱللَّهَ مِنۡ عِبَادِهِ ٱلۡعُلَمَٰٓؤُاْۗ إِنَّ ٱللَّهَ عَزِيزٌ غَفُورٌ28

शाश्वत इनाम

29निश्चित रूप से वे लोग जो अल्लाह की किताब का पाठ करते हैं, नमाज़ क़ायम करते हैं, और जो कुछ हमने उन्हें दिया है उसमें से गुप्त रूप से और खुले तौर पर ख़र्च करते हैं, वे अल्लाह के साथ ऐसे व्यापार की उम्मीद रख सकते हैं जो कभी घाटे में नहीं रहेगा, 30ताकि वह उन्हें उनका पूरा बदला दे और अपनी कृपा से उन्हें बढ़ाए। वह वास्तव में बड़ा क्षमाशील और क़द्रदान है।

إِنَّ ٱلَّذِينَ يَتۡلُونَ كِتَٰبَ ٱللَّهِ وَأَقَامُواْ ٱلصَّلَوٰةَ وَأَنفَقُواْ مِمَّا رَزَقۡنَٰهُمۡ سِرّٗا وَعَلَانِيَةٗ يَرۡجُونَ تِجَٰرَةٗ لَّن تَبُورَ 29لِيُوَفِّيَهُمۡ أُجُورَهُمۡ وَيَزِيدَهُم مِّن فَضۡلِهِۦٓۚ إِنَّهُۥ غَفُورٞ شَكُورٞ30

तीन प्रकार के ईमान वाले

31यह किताब जो हमने आप पर 'ऐ पैगंबर' नाज़िल की है, वह हक़ है, जो इससे पहले की किताबों की तस्दीक़ करती है। बेशक अल्लाह अपने बंदों को पूरी तरह जानता और देखता है। 32फिर हमने वह किताब अपने उन बंदों को दी जिन्हें हमने चुना। उनमें से कुछ अपनी जानों पर ज़ुल्म करते हैं, कुछ दरमियानी राह पर हैं, और कुछ अल्लाह की इजाज़त से नेकी के कामों में सबसे आगे हैं। यह वास्तव में सबसे बड़ी नेमत है।

وَٱلَّذِيٓ أَوۡحَيۡنَآ إِلَيۡكَ مِنَ ٱلۡكِتَٰبِ هُوَ ٱلۡحَقُّ مُصَدِّقٗا لِّمَا بَيۡنَ يَدَيۡهِۗ إِنَّ ٱللَّهَ بِعِبَادِهِۦ لَخَبِيرُۢ بَصِيرٞ 31ثُمَّ أَوۡرَثۡنَا ٱلۡكِتَٰبَ ٱلَّذِينَ ٱصۡطَفَيۡنَا مِنۡ عِبَادِنَاۖ فَمِنۡهُمۡ ظَالِمٞ لِّنَفۡسِهِۦ وَمِنۡهُم مُّقۡتَصِدٞ وَمِنۡهُمۡ سَابِقُۢ بِٱلۡخَيۡرَٰتِ بِإِذۡنِ ٱللَّهِۚ ذَٰلِكَ هُوَ ٱلۡفَضۡلُ ٱلۡكَبِيرُ32

Illustration
WORDS OF WISDOM

ज्ञान की बातें

नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया कि जन्नत के लोगों से कहा जाएगा: 'यहाँ तुम हमेशा रहोगे और कभी नहीं मरोगे, तुम स्वस्थ रहोगे और कभी बीमार नहीं पड़ोगे, तुम परिपक्व रहोगे और कभी बूढ़े नहीं होंगे, और तुम आनंद लोगे और कभी कष्ट नहीं उठाओगे।' (इसे इमाम मुस्लिम और इमाम अहमद ने रिवायत किया है)

जन्नत के लोगों को सोने की ज़रूरत नहीं होगी क्योंकि वे कभी थकेंगे नहीं। नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया कि जन्नत में नींद नहीं है क्योंकि नींद मौत की जुड़वाँ बहन है। दूसरे शब्दों में, जब कोई सोता है, तो उसकी इंद्रियाँ एक मरे हुए व्यक्ति की तरह बंद हो जाती हैं। इसलिए वहाँ न नींद है और न मौत। वे अपने सभी इंद्रियों के साथ हर एक पल का आनंद लेंगे। (इसे अत-तबरानी और इमाम अल-बैहकी ने रिवायत किया है)

Illustration

जन्नत और जहन्नम की हकीकत को समझना ज़रूरी है। जब दोनों की तुलना की जाती है, तो कोई भी जन्नत में जाने और जहन्नम से दूर रहने के लिए बेताब हो जाएगा। इस खूबसूरत हदीस पर गौर करें: नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया, 'अल्लाह के पास फरिश्तों के ऐसे समूह हैं जो उन लोगों को तलाशते हुए घूमते हैं जो उसे याद करते हैं। तो अगर उन्हें कुछ लोग अल्लाह को याद करते हुए मिलते हैं, तो वे एक-दूसरे से कहते हैं, 'आओ, यही वह है जिसकी तुम तलाश कर रहे थे।' फिर वे उन लोगों को घेर लेते हैं, उनके परों से आसमान तक की जगह भर जाती है। फिर (जब वे लौटते हैं,) तो उनका रब उनसे पूछता है, और वह सबसे बेहतर जानता है, 'मेरे बंदे क्या कह रहे थे?' वे जवाब देंगे, 'वे आपकी तारीफ और तस्बीह कर रहे थे।' वह पूछेगा, 'क्या उन्होंने मुझे देखा था?' वे जवाब देंगे, 'नहीं! अल्लाह की कसम, उन्होंने आपको कभी नहीं देखा।' वह पूछेगा, 'अगर उन्होंने देखा होता तो क्या होता?' वे जवाब देंगे, 'अगर उन्होंने आपको देखा होता, तो वे आपकी और ज़्यादा इबादत करते, और आपकी और ज़्यादा तारीफ और तस्बीह करते।' फिर वह पूछेगा, 'वे किस चीज़ के लिए दुआ कर रहे थे?' वे जवाब देंगे, 'वे जन्नत के लिए दुआ कर रहे थे।' वह पूछेगा, 'क्या उन्होंने उसे देखा था?' वे जवाब देंगे, 'नहीं! अल्लाह की कसम, उन्होंने उसे कभी नहीं देखा।' वह पूछेगा, 'अगर उन्होंने देखा होता तो क्या होता?' वे जवाब देंगे, 'वे उसमें दाखिल होने के लिए और ज़्यादा बेताब होते।' फिर वह पूछेगा, 'वे किस चीज़ से पनाह मांग रहे थे?' वे जवाब देंगे, 'वे आग (जहन्नम) से पनाह मांग रहे थे।' वह पूछेगा, 'क्या उन्होंने उसे देखा था?' वे जवाब देंगे, 'नहीं! अल्लाह की कसम, उन्होंने उसे कभी नहीं देखा।' वह पूछेगा, 'अगर उन्होंने देखा होता तो क्या होता?' वे जवाब देंगे, 'अगर उन्होंने उसे देखा होता, तो वे उससे और ज़्यादा डरते।' फिर वह कहेगा, 'मैं चाहता हूँ कि तुम गवाह रहो कि मैंने इन लोगों को माफ कर दिया है।' एक फरिश्ता कहेगा, 'लेकिन उनके साथ एक ऐसा व्यक्ति बैठा है जो वास्तव में उनमें से नहीं है। वह बस किसी और काम से आया था।' वह कहेगा, 'अगर वह उनके साथ बैठा है, तो वह भी धन्य है।' (इसे इमाम अल-बुखारी और इमाम मुस्लिम ने रिवायत किया है)

मोमिनों का अज्र

33वे हमेशा रहने वाली जन्नतों में दाखिल होंगे, जहाँ उन्हें सोने और मोतियों के कंगन पहनाए जाएँगे, और उनके कपड़े रेशम के होंगे। 34और वे कहेंगे, 'सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जिसने हमें हर चिंता से दूर रखा। हमारा रब निश्चय ही बहुत क्षमा करने वाला और क़द्रदान है।' 35'वही है जिसने हमें हमेशा रहने वाले घर में बसाया है - अपनी कृपा से - जहाँ हमें न कोई तकलीफ़ पहुँचेगी और न हम थकेंगे।'

جَنَّٰتُ عَدۡنٖ يَدۡخُلُونَهَا يُحَلَّوۡنَ فِيهَا مِنۡ أَسَاوِرَ مِن ذَهَبٖ وَلُؤۡلُؤٗاۖ وَلِبَاسُهُمۡ فِيهَا حَرِيرٞ 33وَقَالُواْ ٱلۡحَمۡدُ لِلَّهِ ٱلَّذِيٓ أَذۡهَبَ عَنَّا ٱلۡحَزَنَۖ إِنَّ رَبَّنَا لَغَفُورٞ شَكُورٌ 34ٱلَّذِيٓ أَحَلَّنَا دَارَ ٱلۡمُقَامَةِ مِن فَضۡلِهِۦ لَا يَمَسُّنَا فِيهَا نَصَبٞ وَلَا يَمَسُّنَا فِيهَا لُغُوبٞ35

काफ़िरों का अज़ाब

36काफ़िरों के लिए तो जहन्नम की आग है, जहाँ न तो उन्हें मरने दिया जाएगा और न ही उनकी सज़ा में कोई कमी की जाएगी। हम हर हठी काफ़िर को इसी तरह बदला देते हैं। 37वहाँ वे चीख़-पुकार कर रहे होंगे, 'हमारे रब! हमें यहाँ से निकाल और वापस भेज दे। हम अच्छे कर्म करेंगे, वे नहीं जो हम पहले करते थे।' उन्हें कहा जाएगा, 'क्या हमने तुम्हें इतनी लंबी उम्र नहीं दी थी कि जो कोई समझना चाहता, वह समझ सकता था? और तुम्हारे पास डराने वाला भी आया था। तो अब चखो 'सज़ा'! आज ज़ालिमों का कोई मददगार नहीं है।'

وَٱلَّذِينَ كَفَرُواْ لَهُمۡ نَارُ جَهَنَّمَ لَا يُقۡضَىٰ عَلَيۡهِمۡ فَيَمُوتُواْ وَلَا يُخَفَّفُ عَنۡهُم مِّنۡ عَذَابِهَاۚ كَذَٰلِكَ نَجۡزِي كُلَّ كَفُورٖ 36وَهُمۡ يَصۡطَرِخُونَ فِيهَا رَبَّنَآ أَخۡرِجۡنَا نَعۡمَلۡ صَٰلِحًا غَيۡرَ ٱلَّذِي كُنَّا نَعۡمَلُۚ أَوَ لَمۡ نُعَمِّرۡكُم مَّا يَتَذَكَّرُ فِيهِ مَن تَذَكَّرَ وَجَآءَكُمُ ٱلنَّذِيرُۖ فَذُوقُواْ فَمَا لِلظَّٰلِمِينَ مِن نَّصِيرٍ37

अल्लाह का कुफ़्र

38निःसंदेह अल्लाह आकाशों और धरती के अदृश्य का जानने वाला है। वह निश्चित रूप से भली-भाँति जानता है जो कुछ भी दिलों में छिपा है। 39वही है जिसने तुम्हें धरती का उत्तराधिकारी बनाया है। अतः जो कोई कुफ़्र करेगा तो अपने कुफ़्र का बोझ उसी पर होगा। कुफ़्र करने वालों का कुफ़्र उनके रब की निगाह में उनकी घृणा को ही बढ़ाता है, और वह उनके नुक़सान को ही बढ़ाएगा।

إِنَّ ٱللَّهَ عَٰلِمُ غَيۡبِ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ إِنَّهُۥ عَلِيمُۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ 38هُوَ ٱلَّذِي جَعَلَكُمۡ خَلَٰٓئِفَ فِي ٱلۡأَرۡضِۚ فَمَن كَفَرَ فَعَلَيۡهِ كُفۡرُهُۥۖ وَلَا يَزِيدُ ٱلۡكَٰفِرِينَ كُفۡرُهُمۡ عِندَ رَبِّهِمۡ إِلَّا مَقۡتٗاۖ وَلَا يَزِيدُ ٱلۡكَٰفِرِينَ كُفۡرُهُمۡ إِلَّا خَسَارٗا39

व्यर्थ बुत

40ऐ पैगंबर, उनसे कहो, "क्या तुमने कभी अपने उन माबूदों पर गौर किया है जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो? मुझे दिखाओ कि उन्होंने धरती पर क्या पैदा किया है! या क्या उन्होंने आकाशों के निर्माण में कोई सहायता की है? या क्या हमने उन मूर्तिपूजकों को कोई ऐसी आसमानी किताब दी है जो उनके 'झूठे' अकीदों का स्पष्ट समर्थन करती हो? वास्तव में, ज़ुल्म करने वाले एक-दूसरे से भ्रम के सिवा कुछ नहीं वादा करते।"

قُلۡ أَرَءَيۡتُمۡ شُرَكَآءَكُمُ ٱلَّذِينَ تَدۡعُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ أَرُونِي مَاذَا خَلَقُواْ مِنَ ٱلۡأَرۡضِ أَمۡ لَهُمۡ شِرۡكٞ فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ أَمۡ ءَاتَيۡنَٰهُمۡ كِتَٰبٗا فَهُمۡ عَلَىٰ بَيِّنَتٖ مِّنۡهُۚ بَلۡ إِن يَعِدُ ٱلظَّٰلِمُونَ بَعۡضُهُم بَعۡضًا إِلَّا غُرُورًا40

अल्लाह की शक्ति ८) ब्रह्मांड का पालन

41निश्चित रूप से अल्लाह ही आकाशों और धरती को थामे हुए है कि वे अपनी जगह से टल न जाएँ। और यदि वे टल जाएँ, तो उसके बाद कोई उन्हें थाम नहीं सकता। निःसंदेह वह अत्यंत सहनशील, बड़ा क्षमाशील है।

إِنَّ ٱللَّهَ يُمۡسِكُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ أَن تَزُولَاۚ وَلَئِن زَالَتَآ إِنۡ أَمۡسَكَهُمَا مِنۡ أَحَدٖ مِّنۢ بَعۡدِهِۦٓۚ إِنَّهُۥ كَانَ حَلِيمًا غَفُورٗا41

काफ़िरों को चेतावनी

42उन्होंने अल्लाह की कड़ी कसमें खाईं कि यदि उनके पास कोई चेतावनी देने वाला आता, तो वे निश्चित रूप से किसी भी अन्य समुदाय से अधिक मार्गदर्शन प्राप्त करते। अंततः, जब एक चेतावनी देने वाला 'वास्तव में' उनके पास आया, तो इसने उन्हें 'सत्य से' और दूर ही कर दिया। 43धरती में सरकशी करते हुए और बुरी साज़िशें रचते हुए। लेकिन बुरी साज़िशें केवल उन्हीं पर पलटती हैं जो उन्हें रचते हैं। क्या वे बस उन्हीं का 'भयानक' हश्र देख रहे हैं जो उनसे पहले 'तबाह' किए गए थे? तुम अल्लाह के विधान में कोई बदलाव नहीं पाओगे, और तुम इसे 'किसी और के लिए' बदला हुआ नहीं पाओगे। 44क्या उन्होंने धरती पर यात्रा नहीं की ताकि वे देख सकें कि उनसे पहले 'तबाह' किए गए लोगों का क्या हश्र हुआ? वे उनसे कहीं अधिक शक्तिशाली थे। लेकिन आसमानों में या धरती पर कोई भी चीज़ अल्लाह से बच नहीं सकती। निःसंदेह वह पूर्ण ज्ञान और शक्ति का स्वामी है।

وَأَقۡسَمُواْ بِٱللَّهِ جَهۡدَ أَيۡمَٰنِهِمۡ لَئِن جَآءَهُمۡ نَذِيرٞ لَّيَكُونُنَّ أَهۡدَىٰ مِنۡ إِحۡدَى ٱلۡأُمَمِۖ فَلَمَّا جَآءَهُمۡ نَذِيرٞ مَّا زَادَهُمۡ إِلَّا نُفُورًا 42ٱسۡتِكۡبَارٗا فِي ٱلۡأَرۡضِ وَمَكۡرَ ٱلسَّيِّيِٕۚ وَلَا يَحِيقُ ٱلۡمَكۡرُ ٱلسَّيِّئُ إِلَّا بِأَهۡلِهِۦۚ فَهَلۡ يَنظُرُونَ إِلَّا سُنَّتَ ٱلۡأَوَّلِينَۚ فَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ ٱللَّهِ تَبۡدِيلٗاۖ وَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ ٱللَّهِ تَحۡوِيلًا 43أَوَ لَمۡ يَسِيرُواْ فِي ٱلۡأَرۡضِ فَيَنظُرُواْ كَيۡفَ كَانَ عَٰقِبَةُ ٱلَّذِينَ مِن قَبۡلِهِمۡ وَكَانُوٓاْ أَشَدَّ مِنۡهُمۡ قُوَّةٗۚ وَمَا كَانَ ٱللَّهُ لِيُعۡجِزَهُۥ مِن شَيۡءٖ فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَلَا فِي ٱلۡأَرۡضِۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَلِيمٗا قَدِيرٗا44

WORDS OF WISDOM

ज्ञान की बातें

अल्लाह बहुत मेहरबान है। सोचिए अगर वह हर बार जब लोग गुनाह करते या गलती करते, उन्हें बेनकाब कर देता। कल्पना कीजिए अगर 'सिन डोजो' नाम का कोई ऐप होता, जहाँ लोगों को आपके गुनाहों की सूचनाएँ मिलतीं। सोचिए अगर लोग अपने गुनाहों को अपने माथे पर लिखा हुआ लिए घूमते। कल्पना कीजिए अगर हम गिरगिट की तरह रंग बदलते, जो गुनाह हमने किया होता, उसके आधार पर। सोचिए अगर 'गुनाह पकड़ने वाले डिटेक्टर' होते (जैसे हवाई अड्डों पर मेटल डिटेक्टर होते हैं) जो हर बार जब कोई गुनाहगार व्यक्ति गुजरता, तो चीखते। कल्पना कीजिए अगर लोग हर बार जब कुछ गलत करते, तो एक खास तरह की गंध देने लगते – जैसे अगर वे धोखा देते तो स्कंक जैसी बदबू आती या अगर वे झूठ बोलते तो बदबूदार मोजों जैसी गंध आती। यह एक बहुत बड़ी बदनामी होती क्योंकि हर कोई जानता कि इस व्यक्ति ने क्या किया है, और कोई भी उन पर दोबारा कभी भरोसा नहीं करता, भले ही वे तौबा कर लेते। चूँकि हम सभी गुनाह करते हैं और गलतियाँ करते हैं, हम एक-दूसरे पर कभी भरोसा नहीं कर पाते। यह भी सोचिए अगर अल्लाह हम में से हर एक को तुरंत सज़ा देता हर बार जब हम गुनाह करते। अल्लाह बहुत रहमदिल और माफ़ करने वाला है। वह हमेशा लोगों को दूसरा मौका देता है और इस दुनिया में उनके गुनाहों को ढँकता है, ताकि उम्मीद है कि वे तौबा करें और अपने रास्ते बदल लें। हालांकि, अगर कोई तौबा किए बिना मर जाता है, तो क़यामत के दिन कोई दूसरा मौका नहीं दिया जाएगा।

Illustration

दूसरा अवसर

45यदि अल्लाह लोगों को उनके कर्मों के लिए 'तुरंत' दंडित करना चाहता, तो वह धरती पर एक भी प्राणी को न छोड़ता। लेकिन वह उन्हें एक निर्धारित समय तक टालता है। जब उनका समय आ जाएगा, तब निश्चित रूप से अल्लाह ने हमेशा अपने बंदों को देखा है।¹ 46¹ अर्थात अल्लाह उनका न्याय कर पाएगा क्योंकि उसने उनके हर कर्म को देखा है।

وَلَوۡ يُؤَاخِذُ ٱللَّهُ ٱلنَّاسَ بِمَا كَسَبُواْ مَا تَرَكَ عَلَىٰ ظَهۡرِهَا مِن دَآبَّةٖ وَلَٰكِن يُؤَخِّرُهُمۡ إِلَىٰٓ أَجَلٖ مُّسَمّٗىۖ فَإِذَا جَآءَ أَجَلُهُمۡ فَإِنَّ ٱللَّهَ كَانَ بِعِبَادِهِۦ بَصِيرَۢا 4546

Fâṭir () - बच्चों के लिए कुरान - अध्याय 35 - स्पष्ट कुरान डॉ. मुस्तफा खत्ताब द्वारा