The Palm-Fibre Rope
المَسَد
المسد

सीखने के बिंदु
अबू लहब (शाब्दिक अर्थ, लपटों का पिता) नामक एक मूर्तिपूजक और उसकी पत्नी उम जमील पैगंबर ﷺ को गाली देते थे और इस्लाम पर हमला करते थे।
इस जोड़े को नरक की आग में एक भयानक सज़ा की चेतावनी दी गई है।
उन्हें बताया गया है कि क़यामत के दिन उनका धन और बच्चे उनकी रक्षा नहीं करेंगे।
उन्हें बिना सोचे-समझे इसका विरोध करने के बजाय इस्लाम की सच्चाई के बारे में सोचना चाहिए था।


पृष्ठभूमि की कहानी
जब पैगंबर ﷺ को अल्लाह से अपने संदेश को सार्वजनिक करने का आदेश मिला, तो वे काबा के पास एक छोटी पहाड़ी पर खड़े हुए और सभी क़बीलों को किसी ज़रूरी बात के लिए बुलाया। जब सब लोग आ गए, जिनमें उनके मूर्ति पूजक चाचा अबू लहब भी शामिल थे, तो पैगंबर ने घोषणा की, 'अगर मैं तुमसे कहूँ कि उस पहाड़ के पीछे एक सेना है, जो तुम पर हमला करने आ रही है, तो क्या तुम मुझ पर विश्वास करोगे?' उन सब ने कहा, 'बेशक, आपने कभी झूठ नहीं बोला।' तब उन्होंने कहा, 'अब यह सुनो: मैं अल्लाह का रसूल हूँ, जो तुम्हें एक भयानक सज़ा की चेतावनी दे रहा हूँ अगर तुम मूर्ति पूजा नहीं छोड़ोगे।'

अबू लहब बहुत गुस्सा हुआ और चिल्लाया, 'तुम! तुम्हारा सत्यानाश हो! क्या तुमने हमें यह बकवास सुनने के लिए यहाँ बुलाया है?' वह पीठ फेरकर चला गया। उसकी पत्नी, उम्म जमील ने अपना महंगा हार बेचकर उस पैसे का इस्तेमाल इस्लाम के खिलाफ लड़ने के लिए करने का वादा किया। वह काँटों के गट्ठर उठाती और उन्हें पैगंबर के घर के सामने फेंक देती ताकि उनके पैरों को चोट लगे।
यह सूरह कहती है कि अबू लहब और उसकी पत्नी का सत्यानाश हो। उसके हार की जगह आग की रस्सी होगी, और वह अपने और अपने पति के लिए जहन्नम को भड़काने के लिए काँटेदार ईंधन उठाएगी।
अबू लहब 10 साल बाद, बदर की लड़ाई में मूर्ति पूजकों की हार के ठीक एक सप्ताह बाद मर गया। उसे एक त्वचा रोग था जिसके कारण उसके शरीर से बदबू आती थी। उसका परिवार उसे 3 दिनों तक दफना नहीं सका, इसलिए उन्हें उसके बदबूदार शरीर को ढकने के लिए दूर से उस पर पत्थर फेंकने पड़े। (इमाम अल-कुर्तुबी द्वारा दर्ज)
एक शैतानी जोड़ा
1अबू लहब के दोनों हाथ टूट जाएँ और वह स्वयं भी तबाह हो जाए! 2उसका माल और जो कुछ उसने कमाया, उसके कुछ काम न आएगा। 3वह शीघ्र ही भड़कती हुई आग में पड़ेगा, 4और उसकी पत्नी भी, जो ईंधन ढोने वाली है— 5उसकी गर्दन में खजूर की रस्सी होगी।
تَبَّتۡ يَدَآ أَبِي لَهَبٖ وَتَبَّ 1مَآ أَغۡنَىٰ عَنۡهُ مَالُهُۥ وَمَا كَسَبَ 2سَيَصۡلَىٰ نَارٗا ذَاتَ لَهَبٖ 3وَٱمۡرَأَتُهُۥ حَمَّالَةَ ٱلۡحَطَبِ 4فِي جِيدِهَا حَبۡلٞ مِّن مَّسَدِۢ5